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    'भारत माता की मांग में शौर्य का सिंदूर, न डालें राजनीति की धूल', विपक्ष पर जमकर बरसे राजनाथ सिंह

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Wed, 30 Jul 2025 02:52 AM (IST)

    राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा का आरंभ करते हुए उन्होंने इस सैन्य कार्रवाई की सफलता का दावा दोहराते हुए कहा कि राजनीति के लिए बहुत से विषय हैं लेकिन विपक्ष को सेना के शौर्य और पराक्रम पर राजनीति करने से बचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत माता की मांग में शौर्य का सिंदूर है उस पर राजनीति की धूल मत डालिए।

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    विपक्ष पर जमकर बरसे राजनाथ सिंह (फाइल फोटो)

     जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर को लेकर तरह-तरह के सवाल उठा रहे विपक्ष को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को आईना दिखाने का प्रयास किया।

    राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा का आरंभ करते हुए उन्होंने इस सैन्य कार्रवाई की सफलता का दावा दोहराते हुए कहा कि राजनीति के लिए बहुत से विषय हैं, लेकिन विपक्ष को सेना के शौर्य और पराक्रम पर राजनीति करने से बचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत माता की मांग में शौर्य का सिंदूर है, उस पर राजनीति की धूल मत डालिए।

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    पहलगाम हमले से जुड़े तीन आतंकी सैन्य बलों ने मार गिराए- राजनाथ सिंह

    रक्षा मंत्री ने सबसे पहले राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह के हवाले से जानकारी दी कि पहलगाम हमले से जुड़े तीन आतंकी सैन्य बलों ने मार गिराए हैं और हुंकार भरी, 'हम जो कहते हैं, वह करते हैं।'

    उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि आतंकवाद के विरुद्ध हमारी नीति का प्रभावशाली प्रदर्शन है।

    हिंदुस्तान की जनता स्वभाव से आक्रामक नहीं है- राजनाथ सिंह

    राजनाथ ने कहा कि यह हमारे इतिहास का एक कटु सत्य है कि लगभग 800 वर्षों की गुलामी के बाद यह माना जाने लगा था कि हिंदुस्तान की जनता स्वभाव से आक्रामक नहीं है, बल्कि बेहद शांतिप्रिय है। एक राष्ट्र के चरित्र के लिए यह कितना अपमानजनक था। अब हम अपनी पहचान को पुनर्परिभाषित कर रहे हैं और ऑपरेशन सिंदूर उसी का एक उदाहरण है।

    उन्होंने धार्मिक ग्रंथों का हवाला देते हुए तर्क दिया कि भारत की सांस्कृतिक विरासत ने कभी भी कमजोरी को बढ़ावा नहीं दिया। गोस्वामी तुलसीदास जी एक जगह कहते हैं, 'तुलसी मस्तक तब नवे, जब धनुष बाण लेउ हाथ..।'

    पहले की सरकारें चुपचाप तमाशा देखती जा रही

    संप्रग काल की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आतंकियों ने भारत को एक साफ्ट स्टेट समझ रखा था। उनके दो-चार नौसिखिए रंगरूट आते थे और हमारे नागरिकों को हताहत करके चले जाते थे। पहले की सरकारें चुपचाप तमाशा देखती जा रही थीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमने सुनिश्चित किया है कि आतंकियों के जेहन में यह बात बैठ जाए कि हमारे एक भी नागरिक को कुछ हुआ तो हम उनके पूरे ठिकाने को नेस्तनाबूत कर देंगे।

    क्या हम पाकिस्तान को डोजियर सौंपें

    रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर विपक्ष को यह लगता है कि हमने ऑपरेशन सिंदूर करके ठीक नहीं किया तो मैं उन्हें आमंत्रित करता हूं कि वह जनता को बताएं कि उनके पास वैकल्पिक एक्शन प्लान क्या है? हमारी माताओं-बहनों का सिंदूर उजड़ गया तो क्या हम पाकिस्तान के साथ राजनयिक वार्ता करें? क्या हम पाकिस्तान को डोजियर सौंपें? क्या हम अंतरराष्ट्रीय संगठनों में जाकर केवल बातें करें?

    आगे बोले कि जब हमारे विपक्ष के साथी सत्ता में थे तो आतंकी हमले होने पर वे ऐसे ही कदम उठाते थे? कुछ लोगों को लगता है कि पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार हैं तो उनसे केवल बातचीत करनी चाहिए। इस कारण हमने न जाने कितने नागरिकों को खो दिया। हमारा विजन है कि हम ईंट का जवाब पत्थर से देंगे।

     पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया से आतंकवाद खत्म हो

    राजनाथ ने कहा, भारत चाहता है कि पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया से आतंकवाद खत्म हो.. मैंने पहले भी पाकिस्तान को सलाह दी थी। अगर पाकिस्तान अपनी धरती पर आतंकवाद के विरुद्ध कार्रवाई नहीं कर सकता तो भारत उसकी मदद करने के लिए तैयार है क्योंकि भारतीय सेना सीमा के दूसरी ओर भी आतंकवाद से लड़ने में सक्षम है।

    उन्होंने कहा, ''अगर पाकिस्तान भविष्य में कोई आतंकी वारदात को अंजाम देता है, तो हम बिना किसी हिचकिचाहट के ऑपरेशन सिंदूर फिर शुरू करेंगे। आज नाग पंचमी है। नाग पंचमी के दिन सांपों को दूध पिलाना उचित है, लेकिन रोज नहीं। हमारा लक्ष्य है कि आपरेशन ¨सदूर लगातार चलता रहे। इसमें अल्पविराम तो लग सकता है, लेकिन पूर्ण विराम नहीं।''

    राजनाथ सिंह ने कही ये बात

    राजनाथ ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान को मिलने वाली वित्तीय सहायता रोकने की अपील करते हुए कहा कि इसका एक बड़ा हिस्सा आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण में जाता है। उन्होंने प्रमुख आतंकवाद-रोधी समिति में पाकिस्तान की नियुक्ति को लेकर संयुक्त राष्ट्र की आलोचना भी की।

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