दीवाली के बाद दिल्ली में प्रदूषण का कहर, दुनिया के टॉप-5 शहरों में भारत के ये तीन राज्य शामिल
दीपावली पर दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर रहा। टॉप-5 में भारत के तीन शहर शामिल थे। पिछले चार सालों में इस बार प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक रहा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और सरकारी दावों के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हुआ। नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के बावजूद प्रदूषण नियंत्रण में असफलता मिली है। अमिताभ कांत ने दिल्ली के प्रदूषण नियंत्रण पर सवाल उठाए हैं।

दीपावली के बाद दिल्ली में प्रदूषण का कहर (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर को दीपावली पर जहरीली हवाओं से बचाने के दावे एक बार फिर से फेल साबित हुए है। दीपावली पर जमकर चले तथाकथित ग्रीन पटाखों के चलते दिल्ली मंगलवार को जहां दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, वहीं आईक्यूएयर (वायु गुणवत्ता मापने वाली स्विस कंपनी) के दुनिया के टॉप -5 सबसे प्रदूषित शहरों में तीन अकेले भारत के है।
इनमें दूसरे नंर पर कोलकाता, तीसरे नंबर पर कराची और और चौथे नंबर पर लाहौर (पाकिस्तान) और पांचवें नंबर पर मुंबई रहा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले चार सालों के मुकाबले दीपावली पर इस बार दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक रहा।
सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश
वह तो गनीमत है कि कि हवाओं की गति ने इस बार पूरा साथ देते हुए आपातकालीन स्थिति पैदा होने की परिस्थितियां नहीं बनने दी। हवाओं की गति के चलते प्रदूषित हवाएं एक जगह पर ठहर नहीं पायी अन्यथा स्थिति और विकराल होती। दीपावली पर इस बार दिल्ली-एनसीआर पिछले सालों के मुकाबले प्रदूषण का यह स्तर तब था, जब सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर सख्त निर्देश दिए थे। साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों ने ग्रीन पटाखों के जरिए बढ़ने वाले इस प्रदूषण को थामने के बड़े-बड़े दावे किए थे।
जबकि हकीकत यह थी कि ग्रीन पटाखों के नाम जो पटाखे बेचें भी गए, उनसे भी जमकर प्रदूषण हुआ। वहीं नकली पटाखों को रोकने और वायु प्रदूषण बढ़ने पर जगह- जगह कार्रवाई व पानी के छिड़काव करने आदि जैसे दावे भी फेल रहे। यह स्थिति तब है, जब दिल्ली सहित देश के 134 बडे शहरों में नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) के तहत वायु प्रदूषण को रोकने की योजना मौजूद है जिस पर करोड़ों रूपए खर्च होते हैं। इन सभी शहरों में पीएम-10 के स्तर को मार्च 2026 तक 40 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य रखा गया है।
किन-किन शहरों में खराब रही हवा
सीपीसीबी की वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के मुताबिक वह देश के जिन 264 शहरों की वायु गुणवत्ता पर नजर रखती है, उनमें से दीपावली पर करीब 200 शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर पर यह तो बेहद खराब श्रेणी में था, यह खराब था।
इनमें नोयड़ा, गाजियाबाद, लखनऊ, बल्लभगढ़, बहादुरगढ़, मेरठ आदि प्रमुख शहर शामिल है। वायु प्रदूषण पर पैनी नजर रखने वाली एजेंसियों के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में बढ़े प्रदूषण के स्तर पर पटाखों से निकलने वाले धुएं की कितनी हिस्सेदारी है यह कहना मुश्किल है क्योंकि अब तक इसे लेकर कोई अध्ययन नहीं हुआ है। ज्यादा संभव है कि इनमें पटाखों के साथ ही पराली व कचरा आदि जलने की हिस्सेदारी शामिल हो।
आइक्यू एयर के मुताबिक दुनिया के प्रदूषित टॉप-5 शहर
- दिल्ली-1752
- कोलकाता-1733
- करांची-1674
- लाहौर-1655
- मुंबई-162
यदि लॉस एजिल्स, बीजिंग, लंदन वायु प्रदूषण को कम कर सकते है तो दिल्ली क्यों नहीं- अमिताभ कांत
दिल्ली-एनसीआर में बढ़े वायु प्रदूषण पर नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अमिताभ कांत ने सवाल खड़े किए और कहा कि यदि लास एजिल्स, बीजिंग और लंदन अपने यहां वायु प्रदूषण को नियंत्रित रख सकते है तो दिल्ली क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि इससे बचने के लिए सिर्फ लगातार इस दिशा में काम करने और सख्ती से पहल पर अमल में लाने की जरूरत है। एक एकीकृत कार्य योजना की जरूरत है। जो वायु प्रदूषण से जुड़े सभी पहलुओं को एक साथ मिलकर कर काम करें।
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