Delhi Blast: फंड, बम और भर्ती... 'व्हाइट कॉलर' मॉड्यूल के आतंकियों को क्या-क्या मिली थी जिम्मेदारी?
दिल्ली में हुए ब्लास्ट की जांच में 'व्हाइट कॉलर' मॉड्यूल का खुलासा हुआ है। आतंकियों को फंड जुटाने, बम बनाने और नए सदस्यों की भर्ती करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कुछ सदस्य हवाला के माध्यम से पैसे जुटाते थे, जबकि अन्य आईईडी बनाने में माहिर थे। पुलिस मॉड्यूल के सदस्यों को गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी कर रही है, जिनका मकसद दिल्ली में दहशत फैलाना था।

दिल्ली आत्मघाती हमले में शामिल सफेदपोश आतंकी।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली के लाल किला के पास एक आत्मघाती कार में हमले के बाद 'व्हाइट कॉलर' आतंकी मॉड्यूल सामने आया। धमाके की जांच के दौरान पता चला है कि ये जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा 'सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल' किस तरह काम करता था? आइए जानते हैं।
सूत्रों के अनुसार, आत्मघाती हमलावर उमर उन नबी समेत सभी प्रमुख संदिग्धों की भूमिकाएं स्पष्ट रूप से परिभाषित थीं। सूत्रों ने बताया कि उनके काम रसद से लेकर बम बनाने तक, काफी अलग-अलग हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि सभी को अपना उद्देश्य आतंकी हमले करना पता था।
आइए देखते हैं कुछ संदिग्ध आतंकी और उनकी भूमिकाएं...
उमर-बिन-खत्ताब उर्फ हंजुल्ला
उमर-बिन-खत्ताब उर्फ हंजुल्ला पाकिस्तान स्थित एक आतंकवादी है जिसके साथ जम्मू-कश्मीर निवासी मौलवी इरफान अहमद संपर्क में था।
मौलवी इरफान अहमद
मौलवी इरफान अहमद जम्मू-कश्मीर के शोपियां की एक मस्जिद में मौलवी है। उसका काम शिक्षित युवाओं को कट्टरपंथी बनाना और उन्हें आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद (JeM) से जोड़कर एक सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल स्थापित करना था।
इरफान अहमद के कई जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादियों से सीधे संबंध था। उसी ने डॉक्टरों की भर्ती की और सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल बनाया जो जल्द ही काम करने लगा। इरफान अहमद ने मुजम्मिल शकील में संभावनाओं की पहचान की और उसे भर्ती करने में कामयाब रहा।
मुजम्मिल शकील
फरीदाबाद के अल-फलाह यूनिवर्सिटी में एक डॉक्टर, मुजम्मिल शकील ने यूनिवर्सिटी में अन्य 'समान विचारधारा वाले' डॉक्टरों से मुलाकात की और उन्हें भर्ती किया। मुजफ्फर अहमद, अदील अहमद राथर और शाहीन सईद। सईद एक कदम और आगे बढ़ गई, उसने अपने भाई परवेज अंसारी, जो एक डॉक्टर भी है, उसे आतंकी साजिश का हिस्सा बनने के लिए शामिल किया।
शकील सबसे अहम संदिग्ध है क्योंकि मौलवी ने उसे सबसे पहले भर्ती किया था और उसने आतंकी मॉड्यूल का विस्तार किया। अल-फलाह में संभावित छात्रों को कट्टरपंथी बनाने के अलावा, उसने विस्फोटक भी पहुंचाए।
शाहीन सईद
उत्तर प्रदेश के लखनऊ की रहने वाली शाहीन सईद अल फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाती थी। उनका मुख्य काम व्हाइट कॉलर मॉड्यूल के लिए फंड इकठ्ठा और गरीब महिलाओं व लड़कियों को जैश-ए-मोहम्मद की महिला इकाई, जमात-उल-मुमिनात से जोड़ना था। सईद ने फरीदाबाद मॉड्यूल को लगभग 20 लाख रुपये का फंड जुटाया और हर समय फंड रेजिंग कैंपेन चलाया।
आमिर राशिद अली
जम्मू-कश्मीर का रहने वाला आमिर राशिद अली, उसने आत्मघाती हमलावर को 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास हुए हमले की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में मदद की। 10 लोगों की जान लेने वाले विस्फोटकों को तैयार करने में उसका हाथ था। अली को एनआईए ने दिल्ली से गिरफ्तार किया था। उसने आत्मघाती हमलावर द्वारा इस्तेमाल की गई i20 कार का इंतजाम किया था।
अदील अहमद राथर
अदील अहमद राथर वही संदिग्ध था जिसकी जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा गिरफ्तारी से पूरे मॉड्यूल का पर्दाफाश हुआ। उसकी सूचना के आधार पर दो अन्य डॉक्टरों, मुजम्मिल शकील और शाहीन सईद को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद पुलिस ने फरीदाबाद में 2,900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद किया। अदील अहमद की मुख्य भूमिका आतंकी मॉड्यूल के लिए हथियारों का इंतजाम करना था।
उमर उन नबी
उमर उन नबी आत्मघाती हमलावर था जिसने भीड़भाड़ वाले इलाके में विस्फोट करने से पहले कई घंटों तक दिल्ली में i20 कार चलाई थी। विस्फोटक बनाने के लिए अमोनियम नाइट्रेट के इस्तेमाल का प्रशिक्षण लेने के बाद उसे रसायनों के बारे में कुछ जानकारी थी। आत्मघाती हमले से पहले उसके द्वारा रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो से पता चलता है कि वह सबसे ज्यादा कट्टरपंथी था।
जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश
जसीर बिलाल आतंकी मॉड्यूल के लिए एक तकनीशियन के रूप में काम करता था। उसे बम बनाने का प्रशिक्षण दिया गया था और आत्मघाती हमलावर ने ही उसे भर्ती किया था। जसीर बिलाल को ड्रोन में विस्फोटक लगाने के तरीके खोजने का काम सौंपा गया था। उसने आतंकी मॉड्यूल के लिए रॉकेट बनाने की योजना बनाई थी।

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