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    दिल्ली ब्लास्ट में छोटी कारों का क्यों हो हुआ इस्तेमाल? पुलवामा और तमिलनाडु ही नहीं यहां से भी जुड़ा कनेक्शन; पूरी रिपोर्ट

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 10:00 PM (IST)

    नई दिल्ली में हुए विस्फोट और पुलवामा हमले के बीच समानताएं पाई गई हैं, जिसमें आतंकियों ने वाहन आधारित इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (VBIED) का इस्तेमाल किया था। सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि इन 'कार बमों' का पता लगाना मुश्किल होता है। छोटी कारों का इस्तेमाल इसलिए किया जा रहा है ताकि शक कम हो और विस्फोट को बड़ा किया जा सके।

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    दिल्ली ब्लास्ट में छोटी कारों का क्यों हो हुआ इस्तेमाल

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आतंकियों ने देश में घातक हमलों के लिए 'वाहन आधारित इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (VBIED)' को अपना हथियार बनाया है, जिसका पता लगा पाना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा सिरदर्द है। इसे कार बम भी कहा जाता है, जिसे आतंकी आसानी से तैयार कर सकते हैं। इसका पता लगाना भी मुश्किल होता है।

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    2019 में पुलवामा में आतंकियों ने इसी तरीके से सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया था, जिसमें 40 जवान बलिदान हो गए थे। साल 2019 में ही तमिलनाडु के कोयंबटूर में कार में मौजूद पोटैशियम नाइट्रेट, अन्य केमिकल और दो रसोई गैस सिलेंडरों में धमाका हुआ था, जिसमें ड्राइवर की मौत हो गई थी।

    छोटी कारों का किया जा रहा इस्तेमाल

    वहीं 10 नवंबर को राजधानी में भी इसी पैटर्न पर धमाका हुआ, जिसमें 13 लोग मारे गए थे। कार में 'अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल आयल' भरा था, जिसे लाल किला के पास डिटोनेट कर दिया गया। नए तरह के आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए छोटी कारों का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि किसी को शक न होने पाए।

    पुलवामा में मारुति 800 का इस्तेमाल किया गया, तो बीते 10 नवंबर को दिल्ली धमाके में आइ20 कार इस्तेमाल की गई। आतंकियों ने स्थानीय स्तर पर ये कार खरीदी। अमेरिका की साल 2018 की काउंटरटेररिज्म रिपोर्ट के मुताबिक वीबीआइईडी आतंकियों का सबसे खतरनाक हथियार बन गया है।

    इसे तैयार करने में काफी कम मात्रा में विस्फोटक इस्तेमाल होते हैं। इसमें वाहन ही बम का काम करता है। धमाके की वजह से धातु के टुकड़े गोली की तरह बिखरते हैं। छोटी कारों से शक की गुंजाइश कम छोटी कारों के इस्तेमाल से शक की गुंजाइश कम रहती है।

    मैप रूट से हुआ खुलासा

    किसी वजह से साजिश की सूचना लीक हो जाए तो लाखों कारों के बीच से आतंकियों की कार को पहचानना भी मुश्किल रहता है। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने समय रहते आतंकी माड्यूल का पर्दाफाश कर दिया था, लेकिन वे आतंकी डॉ. उमर उन नबी और उसके पास मौजूद विस्फोटक से भरी कार का पता नहीं लग सकी।

    कार के मैप रूट से पता चला था कि आतंकियों ने फरीदाबाद से बदरपुर बार्डर के रास्ते दिल्ली में सुबह 8.13 बजे प्रवेश किया था। दिल्ली के ओखला इलाके में आतंकियों ने कार में तेल भरवाया। ऐसा जानबूझकर किया गया क्योंकि ज्यादा तेल का मतलब और बड़ा धमाका। पूरे दिन दिल्ली में घूमने के बावजूद कार की कहीं चेकिंग नहीं हुई।

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