'कौम का कर्ज उतारना है', दिल्ली ब्लास्ट की 'मैडम सर्जन'; खुला D-6 मिशन का बड़ा राज
दिल्ली में हुए कार ब्लास्ट की जांच में डॉक्टर शाहीन शाहिद का नाम सामने आया है, जो जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ी थीं। जांच में 'डी-6 मिशन' का खुलासा हुआ है, जिसमें 6 दिसंबर को हमले की योजना थी। दस्तावेजों में टारगेट लिस्ट और हवाला फंडिंग का पता चला है। शाहीन के बैंक खातों और कॉलेज की गतिविधियों की जांच हो रही है। पूछताछ में आईएसआई हैंडलर से मुलाकात का भी खुलासा हुआ है।
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दिल्ली ब्लास्ट की मैडम सर्जन खुला D-6 मिशना का बड़ा राज (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली में 10 नवंबर को हुए कार ब्लास्ट की जांच एक चौंकाने वाली दिशा में पहुंच गई है। एजेंसियों का दावा है कि इस साजिश के पीछे एक कैंपस डॉक्टर थी, जिसे मॉड्यूल में 'मैडमसर्जन' कहा जाता था। उसका नाम डॉ. शाहीन शाहिद है। जांचकर्ताओं के मुताबिक, वह कई सालों से जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के एक गुप्त नेटवर्क से जुड़ी थी।
जांच टीम ने बताया कि शाहीन शाहिद को फरीदाबाद से गिरफ्तार किया गया। डिजिटल सबूत, हाथ से लिखी डायरी और प्लानिंग नोट्स मिले हैं, जिनमें D-6 मिशन का जिक्र है। यह 6 दिसंबर को होने वाले एक बड़े हमले की योजना बताई जा रही है, जिसे बाबरी मस्जिद विध्वंस की 'बदलाकार्रवाई' बताया गया था।
दस्तावेजों में क्या-क्या मिला?
इन दस्तावेजों में टारगेट लिस्ट, भर्ती करने के तरीके, फंडिंग का हिसाब और सुरक्षित तरीके से बातचीत के नियम लिखे मिले हैं। उसके साथ दो कश्मीरी डॉक्टर मुजम्मिल अहमद गनई और उमर उन नबी भी इस मॉड्यूल में शामिल बताए गए हैं।
एजेंसियों ने लगभग 20 लाख रुपये की हवाला फंडिंग का पता लगाया है। यह पैसा JeM के एक हैंडलर ने मॉड्यूल के तीनों डॉक्टरों शाहीन, उमर और मुजम्मिल तक पहुंचाया था। शक है कि यह पैसा भर्ती, सुरक्षित ठिकाने, मोबाइल फोन और रेकी में खर्च हुआ।
हर बड़े ट्रांजैक्शन की हो रही जांच
जांच टीमें शाहीन के बैंक खातों की भी पूरी पड़ताल कर रही हैं, उसके कानपुर के तीन, लखनऊ के दो और दिल्ली के दो बैंक खातों में आए हर बड़े ट्रांजैक्शन की जांच हो रही है। टीमें कानपुर के GSVM मेडिकल कॉलेज में शाहीन की गतिविधियों को भी जोड़कर देख रही हैं, जहां वह कई साल काम करती रही।
सहकर्मियों ने बताया कि वह शांत स्वभाव की थी, कम छुट्टी लेती थी और अक्सर अपने छोटे बच्चे को साथ लेकर आती थी क्योंकि घर पर कोई नहीं था। दिसंबर 2013 में वह अचानक कॉलेज छोड़कर चली गई। उसने कहा था कि 4 जनवरी 2014 को लौट आएगी, लेकिन कभी लौटकर नहीं आई।
2021 में औपचारिक रूप से कॉलेज से हटाया गया नाम
लगभग एक साल उसके नाम पर भेजे गए पत्रों का कोई जवाब नहीं मिला। 2016 में जब स्टाफ उसके पते पर गया तो पता गलत निकला। कॉलेज ने उसे 2021 में औपचारिक रूप से हटा दिया। पूछताछ में सामने आया कि मार्च 2022 में ये मॉड्यूल तुर्किये गया था, जहां इनकी मुलाकात ISI हैंडलर अबू उकाशा से हुई।
अधिकारियों के मुताबिक, शाहीन में वैचारिक बदलाव की शुरुआत 2010 के आसपास हुई थी। उस समय एक भारतीय मूल के डॉक्टर जो विदेश में था, उससे संपर्क में आया और उसने उसे कुछ वीडिय और साहित्य भेजना शुरू किया। 2015-16 में वह कथित तौर पर JeM के लोगों के करीब आने लगी।
'कौम का कर्ज उतारने का समय है'
एक रिश्तेदार ने बताया कि जब उससे उसके फैसलों पर सवाल किया गया नौकरी, परिवार और शादी छोड़ने को लेकर तो उसने जवाब दिया, "मैंने अपने लिए काफी जी लिया, अब अपनी कौम का कर्ज उतारने का समय है।"

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