दिल्ली-NCR में प्रदूषण पर नजर रखेंगे 250 से अधिक सेंसर, AI बेस्ड सिस्टम से होगी निगरानी; क्या है प्लान?
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से निपटने के लिए एक नई योजना शुरू की गई है। इसके तहत, पूरे क्षेत्र को हाई-टेक सेंसर से लैस किया जाएगा, जिनकी निगरानी एआई सिस्टम से होगी। दिल्ली में 250 से अधिक सेंसर लगाए जाएंगे, जो वायु गुणवत्ता की सटीक जानकारी देंगे और प्रदूषण का पूर्वानुमान भी बताएंगे। यह योजना आईआईटी कानपुर के एआई सेंटर द्वारा तैयार की जा रही है और मार्च 2026 तक शुरू होने की उम्मीद है।

अरविंद पांडेय, जागरण, नई दिल्ली। दिल्ली सहित समूचे एनसीआर को जहरीली हवाओं से बचाने के अब तक कई प्रयासों की घोषणा हुई जो लगभग नाकाम ही रहे। एक नई योजना पर काम शुरू हुआ है। जिसमें दिल्ली सहित समूचे एनसीआर को हाइटेक सेंसर सिस्टम से लैस किया जाएगा। हालांकि यह भी तब होगा जब दिल्ली एनसीआर ठंड के दिनों में होने वाले सर्वाधिक प्रदूषण से थोड़ा मुक्त होगा।
अगले साल मार्च से शुरू होने वाले इस काम में दिल्ली में ही 250 से अधिक सेंसर लगाने की योजना बनाई गई है। जिसमें प्रत्येक वार्ड में कम से कम एक सेंसर लगाया जाएगा। इन सेंसर की निगरानी एआई (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) आधारित सिस्टम से की जाएगी। जो इन सभी क्षेत्रों की वायु गुणवत्ता की न सिर्फ सटीक जानकारी देंगे बल्कि आने वाले दिनों में प्रदूषण के स्तर के घटने-बढ़ने का पूर्वानुमान भी बताएगा।
अभी दिल्ली में केवल 40 सेंसर लगे
मौजूदा समय में दिल्ली के वायु प्रदूषण की निगरानी के लिए सिर्फ 40 सेंसर ही लगे है। दिल्ली-एनसीआर को वायु प्रदूषण के संकट से बचाने की यह योजना शहरी विकास व उससे जुड़ी चुनौतियों को थामने के लिए केंद्र सरकार की ओर से आइआइटी कानपुर में स्थापित किए गए विशिष्ट एआई सेंटर तैयार कर रहा है। केंद्र और दिल्ली सरकार की मदद से तैयार की गई जा रही इस योजना के तहत मार्च 2026 तक दिल्ली में सेंसर लगाने का काम शुरू हो जाएगा।
जिसके बाद इंटेलीजेंस डिसिजन सपोर्ट सिस्टम के जरिए शहर के सभी वार्डों की वायु गुणवत्ता पर एक डैश बोर्ड के जरिए नजर रखी जाएगी। साथ ही किस क्षेत्र में वायु प्रदूषण का स्तर अधिक है तुरंत उसकी पहचान की जा सकेगी। ऐरावत रिसर्च फाउंडेशन के नाम शुरू किए गए इस विशिष्ट एआई सेंटर के प्रोजेक्ट डायरेक्टर प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी के दैनिक जागरण से चर्चा में बताया कि एआइई आधारित इस सिस्टम से जरिए सेंसर से मिले डाटा के आधार पर आठ दिन में यह भी बता दिया जाएगा कि सर्वाधिक वायु प्रदूषण किस वजह से हो रहा है।
साथ ही इसके आधार पर पूर्वानुमान भी लगाया जा सकता है। प्रोफेसर त्रिपाठी के मुताबिक वायु प्रदूषण की बगैर सघन निगरानी के लिए इस पर काबू पाना मुश्किल है। पहले तो यह पता लगाना जरूरी है कि किस क्षेत्र या फिर कौन-कौन वार्ड ज्यादा प्रदूषण फैला रहे है। फिर उन्हें उसने निपटने के लिए कहा जाएगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण को रातो-रात नहीं कम किया जा सकता है। लेकिन यदि इस तकनीक पर ठोस तरीके से काम किया गया तो डेढ़ से दो साल में वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
लखनऊ और गुरुग्राम में जनवरी से एआई सिस्टम से रखी जाएगी निगाह
प्रोफेसर त्रिपाठी ने बताया कि लखनऊ में उन्होंने सेंसर लगाने का काम शुरू कर दिया है। जनवरी से वह एआइ के जरिए वहां के वायु प्रदूषण का निगरानी शुरू कर देंगे। जबकि गुरुग्राम में जनवरी-फरवरी से आम लोगों की मदद से निगरानी शुरू कर देंगे। इस दौरान वह संबंधित एजेंसियों को वायु प्रदूषण के कारणों की रीयल टाइम सटीक जानकारी मुहैया कराएंगे।

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