अमेरिका के 25 फीसदी टैरिफ का भारत कैसे करेगा बचाव? पढ़ें व्यापार पर कैसे पड़ेगा सीधा असर
ट्रंप के टैरिफ लगाए जाने के बावजूद विशेषज्ञों का मानना है कि भारत पर इसका सीमित प्रभाव होगा। मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के अनुसार भारत एशिया में बेहतर स्थिति में है क्योंकि इसका वस्तु निर्यात-जीडीपी अनुपात कम है। फिच रेटिंग्स के अनुसार भारत का विशाल घरेलू बाजार बाहरी मांग पर निर्भरता को कम करता है।

आईएएनएस, नई दिल्ली। ट्रंप ने भले ही भारत पर टैरिफ का एलान कर दिया है, लेकिन जानकारों का मानना है कि इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। मार्गन स्टेनली की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया था कि ट्रंप की ओर से शुल्क बढ़ाने की धमकी से उत्पन्न वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारत एशिया में सबसे बेहतर स्थिति वाला देश है।
इसकी वजह यह है कि उसका वस्तु निर्यात-जीडीपी अनुपात कम है। फिच की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के घरेलू बाजार का बड़ा आकार उसकी बाहरी मांग पर निर्भरता को कम करता है और यह देश को अमेरिकी शुल्क वृद्धि से बचाएगा। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा था कि अगर अमेरिका भारत पर किसी तरह का टैरिफ लगाता है तब भी वित्त वर्ष 2026 में अर्थव्यवस्था के 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर बनाए रखने की उम्मीद है।
ट्रंप के टैरिफ का भारत पर होगा कितना प्रभाव?
एसबीआई रिसर्च की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका को भारत का निर्यात उसके सकल घरेलू उत्पाद का केवल चार प्रतिशत है, इसलिए भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ में वृद्धि का सीधा प्रभाव केवल सीमित होगा। वित्त वर्ष 2023 से अमेरिका को भारत का निर्यात घट रहा है और कुल निर्यात में इसकी हिस्सेदारी लगभग 17-18 प्रतिशत है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका को निर्यात की जाने वाली शीर्ष 15 वस्तुओं का कुल निर्यात में 63 प्रतिशत हिस्सा है।
झींगा निर्यात पर पड़ेगा 'गंभीर' असर
कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी ने कहा है कि अमेरिका के 25 प्रतिशत के ऊंचे शुल्क और जुर्माने से भारत के समुद्री खाद्य निर्यात, विशेष रूप से झींगा मछली के निर्यात पर 'गंभीर' असर पड़ेगा। गुलाटी ने कहा कि ट्रंप का सभी भारतीय वस्तुओं पर ऊंचा शुल्क लगाने का फैसला 'बहुत बुरा' और 'चौंकाने वाला' है।
उन्होंने कहा कि उन्हें केवल 10-15 प्रतिशत शुल्क की उम्मीद थी। उन्होंने बताया, 'यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि ट्रंप अप्रत्याशित और दंडात्मक रुख वाले हैं।' गुलाटी ने कहा कि इस कदम से देश के झींगा निर्यात पर 'गंभीर' असर पड़ेगा तथा कम शुल्क और अमेरिका से करीबी भौगोलिक नजदीकी रखने वाले इक्वाडोर को फायदा होगा।
झींगा निर्यात के अलावा, भारत के वस्त्र उद्योग पर उच्च अमेरिकी शुल्क का प्रभाव भी देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा, 'भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते से हमें जो बड़ा लाभ मिलता है, वह उच्च अमेरिकी शुल्क के कारण बेअसर हो जाएगा।' वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का झींगा निर्यात लगभग 4.88 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो कुल समुद्री खाद्य निर्यात का 66 प्रतिशत है। अमेरिका और चीन भारतीय झींगा के लिए शीर्ष बाजार बने हुए हैं, जहां कच्चे झींगा की किस्मों के निर्यात का लगभग आधा हिस्सा अमेरिका को जाता है।
ट्रंप को चुभ रहा है 44 अरब डॉलर का व्यापार घाटा
आइये जानते हैं भारत अमेरिका को किन उत्पादों का निर्यात करता है और भारत के साथ व्यापार में अमेरिका का घाटा कितना है।
भारत अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार भारत से अमेरिका को प्रमुख निर्यात (अरब डॉलर में) कुल निर्यात में हिस्सेदारी (प्रतिशत में) स्टोन, मेटल्स और पर्ल्स, 12.2, 14.3 इलेक्टि्रकन मशीनरी और इलेक्ट्रानिक्स, 12,14 फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट, 10.8, 12.6 मशीनरी, मैकेनिकल एप्लायंसेज,पार्ट्स, 6.6, 7.7मिनरल फ्यूल, मिनरल आयल,5.2, 6.1 ऑर्गैनिक केमिकल, 3.6, 4.2, आयरन/स्टील, 2.9, 3.4 कार, ट्रैक्टर, ट्रक, इनके पार्ट्स, 2.7, 3.2 भारत का अमेरिका को कुल निर्यात, 85.5 अरब डालर अमेरिका से भारत का कुल आयात, 41.4 अरब डालर अमेरिका का व्यापार घाटा, 44.1 अरब डालर (आंकड़े 2023 के हैं)।
स्त्रोत: जागरण रिसर्च
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