डीआरडीओ ने सशस्त्र बलों को सौंपी सात स्वदेशी तकनीकें, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर कदम
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भारतीय सशस्त्र बलों को सात स्वदेशी तकनीकें सौंपी हैं। यह कदम रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने ...और पढ़ें

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने सात स्वदेशी तकनीकें सशस्त्र बलों को सौंप दी हैं। इन तकनीकों को प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) के तहत विकसित किया गया है। बयान में कहा गया है, डीआरडीओ ने सात प्रौद्योगिकियां सेना के तीनों अंगों को सौंप दी हैं।
इन प्रौद्योगिकियों में एयरबोर्न सेल्फ-प्रोटेक्शन जैमर्स के लिए स्वदेशी उच्च-वोल्टेज विद्युत आपूर्ति, नौसेना जेटी के लिए ज्वार-कुशल गैंगवे, उन्नत निम्न आवृत्ति-उच्च आवृत्ति 'स्विचिंग मैट्रिक्स' प्रणालियां, पानी के नीचे प्लेटफार्म के लिए 'वीएलएफ लूप एरियल', तेज इंटरसेप्टर नौकाओं के लिए वाटरजेट प्रणोदन प्रणाली, लिथियम-आयन बैटरियों से 'लिथियम प्रीकर्सर' की पुनर्प्राप्ति की नई प्रक्रिया और लंबे समय तक पानी में सेंसरिंग एवं निगरानी के लिए उपयोगी 'लांग लाइफ सीवाटर बैटरी सिस्टम' शामिल हैं।
इन तकनीकों/उत्पादों को भारतीय रक्षा उद्योग द्वारा डीआरडीओ के विशेषज्ञों एवं तीनों सेनाओं के सहयोग के साथ डिजाइन, विकसित और तैयार किया गया है।डीआरडीओ अध्यक्ष डा. समीर वी. कामत की अध्यक्षता में दो दिसंबर को नई दिल्ली में डीआरडीओ की उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक के दौरान इन प्रौद्योगिकियों को सशस्त्र बलों को सौंपा गया।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।