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    Corona Medicine: कोरोना को हराएगी डीआरडीओ की नई दवा, जानें- इसके बारे में, कैसे करती है काम

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Sun, 09 May 2021 12:51 PM (IST)

    डीआरडीओ की इस नई कोरोना रोधी दवा का इस्तेमाल आपात स्थिति में कोरोना संक्रमित मरीजों पर किया जाएगा। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने डीआरडीओ की 2-डीआक्सी-डी-ग्लूकोज (2-DG) नाम से विकसित इस दवा को मंजूरी दे दी है।

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    इस दवा के इस्तेमाल से मरीजों की जल्दी होती है रिकवरी (फाइल फोटो)

    नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना महामारी के कहर के बीच रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की नई दवा ने कोरोना के खिलाफ जंग जीतने की नई उम्मीद दी है। डीआरडीओ की इस नई कोरोना रोधी दवा का इस्तेमाल आपात स्थिति में कोरोना संक्रमित मरीजों पर किया जाएगा। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने डीआरडीओ की 2-डीआक्सी-डी-ग्लूकोज (2-DG) नाम से विकसित इस दवा को मंजूरी दे दी है। इस दवा से कोरोना संक्रमित मरीजों में आक्सीजन की कमी की चुनौती को काफी हद तक कम किया जा सकता है। डीआरडीओ ने यह जानकारी दी है।

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    क्लीनिकल ट्रायल में आक्सीजन पर निर्भरता भी कम हुई

     ट्रायल के दौरान दवा लेने वाले लोग बड़ी संख्या में आरटीपीसीआर टेस्ट में निगेटिव पाए गए। यह दवा अस्पताल में भर्ती मरीजों की आक्सीजन पर निर्भरता को भी काफी कम करती है। 2डीजी दवा से मरीज की रिकवरी भी अपेक्षाकृत जल्दी हुई है। डीआरडीओ के अनुसार, यह दवा कोरोना संक्रमण से जूझ रहे मरीजों के लिए बेहद लाभदायक साबित होगी। यह दवा कोरोना के मध्यम और गंभीर मरीजों को अस्पताल में इलाज के दौरान दी जा सकती है।

    डीआरडीओ और इनमास के वैज्ञानिकों ने विकसित किया दवा

    डीआरडीओ और इनमास के वैज्ञानिकों ने अप्रैल, 2020 में इस दवा को विकसित करने पर काम शुरू किया था। हैदराबाद स्थित सेंटर फार सेल्युलर एंड मॉलीक्युलर बायोलॉजी के सहयोग से लेबोरेटरी टेस्ट में पाया गया कि 2-डीजी कोरोना के वायरस सार्स-सीओवी-2 पर प्रभावकारी है। यह वायरस की ग्रोथ को भी रोकने में सक्षम है। ट्रायल के इस निष्कर्ष के बाद मई, 2020 में डीसीजीआइ और सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ने इसके दूसरे चरण के ट्रायल की अनुमति दी। डीआरडीओ और रेड्डीज लेबोरेटरीज ने इसके बाद दवा के प्रभाव का आकलन करने के लिए मई से अक्टूबर तक क्लीनिकल ट्रायल किया।

    इस दवा के इस्तेमाल से मरीजों की जल्दी होती है रिकवरी

    दवा को सुरक्षित और कोरोना मरीजों पर असरकारी पाया गया है। फेज दो का ट्रायल पहले छह और फिर 11 अस्पतालों में किया गया। इस क्रम में 110 मरीजों पर इसका असर जांचा परखा गया। ट्रायल के आधार पर आकलन में पाया गया कि 2-डीजी दवा का इस्तेमाल करने वाले मरीजों की रिकवरी अपेक्षाकृत ढाई दिन कम समय में हुई।

     देश के 27 अस्पतालों में इसका क्लीनिकल ट्रायल

    इस कामयाबी के बाद डीसीजीआइ ने इसके तीसरे फेज के ट्रायल की अनुमति दी। नवंबर से मार्च, 2021 तक दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बंगाल, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु्, गुजरात और महाराष्ट्र के 27 अस्पतालों में इसका क्लीनिकल ट्रायल हुआ। इसमें पाया गया कि 2-डीजी दवा लेने वाले मरीज कोरोना की तय मानक दवाओं के सेवन वाले मरीजों के मुकाबले ज्यादा तेजी से रिकवर हुए और उनकी आक्सीजन पर निर्भरता भी काफी कम हुई। 65 साल से अधिक उम्र के मरीजों में भी यही ट्रेंड देखा गया। इसके बाद एक मई को डीसीजीआइ ने इस दवा के आपात इस्तेमाल की अनुमति दे दी।

    देश में ही आसानी से बन सकेगी दवा

    खास बात यह है कि 2-डीजी जनरिक दवा है और इसे देश में बड़ी मात्रा में आसानी से बनाया जा सकता है। कोरोना की दूसरी लहर में आक्सीजन की कमी के चलते गंभीर स्थिति का सामना कर रहे मरीजों की हालत को देखते हुए यह दवा भविष्य में इस हालात को रोकने में बेहद कारगर साबित हो सकती है।

    डीजी कैसे काम करती है?

    आधिकारिक जानकारी के अनुसार क्लिनिकल ट्रायल्स से पता चलता है कि ये दवा मरीजों में इस बीमारी से रिकवर होने की गति को तेज करती है और ऑक्सीजन पर निर्भरता को कम करती है। जिन मरीजों को 2-DG दवा दी गई उनमें से अधिकतर का आरटी-पीसीआर टेस्ट जल्दी नेगेटिव आया है। ड्रग कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों के लिए काफी सहायक होगी।

    कैसे ली जाएगी 2-DG दवा

    डीआरडीओ ने बताया कि यह दवा एक पाउडर के रूप में सैशे में आती है, जिसे पानी में घोलकर दिया जा सकता है। डीआरडीओ की रिसर्च लैब इंस्टीट्यूट आफ न्यूक्लियर एंड एलायड साइंसेज (इनमास) में डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज, हैदराबाद के सहयोग से विकसित इस दवा का क्लीनिकल ट्रायल सफल रहा है। ये वायरस से प्रभावित सेल्स में जाकर जम जाती है और वायरस सिंथेसिस व एनर्जी प्रोडक्शन को रोककर वायरस को बढ़ने से रोकती है।

    कितने दिन में आ जाएगी 2-DG?

    डीआरडीओ ने बताया है कि इसे बेहद आसानी से उत्पादित किया जा सकता है, इसलिए देशभर में जल्दी ही आसानी से उपलब्ध भी हो जाएगी। क्योंकि इसमें बेहद जेनेरिक मॉलिक्यूल हैं और ग्लूकोस जैसा ही है।