टैरिफ लगाकर अमेरिका कर रहा आर्थिक ब्लैकमेल, अर्थशास्त्री बोले- चुनौतियों से निपटने को भारत को झोंकनी होगी पूरी ताकत
अर्थशास्त्रियों ने अमेरिकी टैरिफ को आर्थिक ब्लैकमेल की संज्ञा दी है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि ये टैरिफ भारत को आत्मसंतुष्टि और निर्भरता से मुक्त होने के लिए एक थेरेपी के तौर पर भी काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर उद्योग नीति निर्माता और राजनयिक मिलकर काम करें तो आज का टैरिफ आतंक कल बदलाव का कारण बन सकता है।

आईएएनएस, नई दिल्ली। अर्थशास्त्रियों ने अमेरिकी टैरिफ को आर्थिक ब्लैकमेल की संज्ञा दी है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा है कि ये टैरिफ भारत को आत्मसंतुष्टि और निर्भरता से मुक्त होने के लिए एक थेरेपी के तौर पर भी काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर उद्योग, नीति निर्माता और राजनयिक मिलकर काम करें, तो आज का टैरिफ आतंक कल बदलाव का कारण बन सकता है।
दुनिया एक बड़े दांव वाले नाटक को देख रही
इन्फोमेरिक्स रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मनोरंजन शर्मा ने कहा, आगे का काम मुश्किल है, लेकिन ईमानदारी और ठोस प्रयासों से हम इस चुनौती का सामना कर सकते हैं। सिर्फ जरूरत है पूरी रफ्तार से आगे बढ़ने और पूरी ताक से काम करने की। फिलहाल, दुनिया एक बड़े दांव वाले नाटक को देख रही है। क्या भारत झुकेगा, टूटेगा या फिर वापसी करेगा!
अमेरिकी टैरिफ की काट को भारत का 'ट्रंप कार्ड'
शुल्क लगाए जाने के बीच सरकार ने वस्त्र निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 50 देशों में विशेष संपर्क कार्यक्रम चलाने की योजना बनाई है। इस पहल के तहत ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन, नीदरलैंड, पोलैंड, कनाडा, मेक्सिको, रूस, बेल्जियम, तुर्किये, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया जैसे प्रमुख देशों को शामिल किया गया है।
भारत पहले से ही 220 से अधिक देशों को वस्त्र निर्यात करता है
बता दें कि भारत पहले से ही 220 से अधिक देशों को वस्त्र निर्यात करता है, लेकिन ये 50 देश मिलकर करीब 590 अरब डॉलर का वैश्विक वस्त्र एवं परिधान आयात करते हैं। इस आयात में भारत की हिस्सेदारी फिलहाल महज पांच-छह प्रतिशत है।
एक अधिकारी ने कहा, 'मौजूदा परिदृश्य में इन देशों के साथ विशेष संपर्क की यह पहल बाजार विविधीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होने जा रही है। इसमें भारतीय मिशन और निर्यात प्रोत्साहन परिषदों (ईपीसी) की अहम भूमिका होगी।'
भारतीय वस्त्र उद्योग अमेरिकी बाजार से लगभग बाहर
परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर ने कहा, '25 प्रतिशत शुल्क दर को तो उद्योग ने पहले ही स्वीकार कर लिया था, लेकिन अब अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगने से भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता बांग्लादेश, वियतनाम, श्रीलंका, कंबोडिया और इंडोनेशिया जैसे देशों की तुलना में 30-31 प्रतिशत तक घट गई है। इससे भारतीय वस्त्र उद्योग अमेरिकी बाजार से लगभग बाहर हो गया है।'
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