राहुल गांधी के 'वोट चोरी' के आरोपों पर चुनाव आयोग करारा जवाब, कहा- चुनौती है कि...
चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोपों का खंडन किया है। आयोग ने कहा कि मतदाता सूची से किसी का भी नाम बिना कानूनी प्रमाण के नहीं हटाया जा सकता। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर मतदाता धोखाधड़ी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था जिसके जवाब में आयोग ने यह स्पष्टीकरण जारी किया।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मतदाता सूची में कथित हेराफेरी पर बढ़ते राजनीतिक तनाव के बीच चुनाव आयोग ने इसका दृढ़ता से खंडन किया है। आयोग ने हालिया दावों को गलत और भ्रामक करार दिया है। कहा कि मतदाता सूची से कोई भी नाम मनमाने तरीके से कानूनी प्रमाण के बिना नहीं हटाया जा सकता।
आयोग ने यह स्पष्टीकरण लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के उस अभियान के जवाब में जारी किया है, जिसमें उन्होंने आयोग पर बड़े पैमाने पर मतदाता धोखाधड़ी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और जिसे उन्होंने ''एक व्यक्ति, एक वोट'' के लोकतांत्रिक सिद्धांत पर सीधा हमला बताया।
कांग्रेस ने लगाया चुनाव आयोग पर आरोप
राहुल ने मांग की है कि चुनाव आयोग डिजिटल मतदाता सूची जारी करे, ताकि नागरिक और राजनीतिक दल स्वतंत्र रूप से उसका आडिट कर सकें। अभियान में आरोप लगाया है कि प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के लिए फर्जी और डुप्लिकेट प्रविष्टियों का इस्तेमाल किया गया है। कांग्रेस का दावा है कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित उसके विश्लेषण से मतदाता सूचियों में, खासकर कर्नाटक के महादेवपुरा में गंभीर विसंगतियां सामने आई हैं।
चुनाव आयोग ने दिया ये जवाब
चुनाव आयोग ने अपने आधिकारिक जवाब में कहा कि मतदाता सूचियां कानून का सख्ती से पालन करते हुए तैयार की जाती हैं। किसी भी सुधार, नाम हटाने या जोड़ने के लिए मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के तहत निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन होता है।
आयोग ने कहा कि कोई भी व्यक्ति उचित प्रक्रिया और ठोस सुबूतों के बिना मतदाता सूची से मनमाने ढंग से नाम नहीं हटा सकता। बयान में स्पष्ट किया गया है कि चुनाव पंजीकरण अधिकारी मीडिया रिपोर्टों के आधार पर पूछताछ शुरू कर सकते हैं, लेकिन वे केवल प्रिंट, टेलीविजन या इंटरनेट मीडिया में लगाए गए आरोपों के आधार पर बड़े पैमाने पर नोटिस जारी नहीं कर सकते।
आयोग राहुल गांधी को दी ये चुनौती
आयोग ने चेतावनी दी कि ऐसी कार्रवाइयों से हजारों पात्र मतदाताओं का उत्पीड़न हो सकता है। नियम 20(3)(बी) का हवाला देते हुए आयोग ने बताया कि गलत तरीके से नाम शामिल करने का आरोप लगाने वाले किसी भी व्यक्ति को शपथ लेकर सुबूत पेश करने होंगे।
आयोग ने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाने वालों को अपने दावे औपचारिक रूप से हस्ताक्षरित घोषणापत्र के साथ प्रस्तुत करने की चुनौती दी। कहा कि यह कानूनी सुरक्षा मतदाताओं को राजनीतिक रूप से प्रेरित हस्तक्षेप से बचाती है। चुनाव आयोग प्रत्येक पात्र मतदाता के साथ था, है और हमेशा खड़ा रहेगा।
लोगों से 17,665 दावे और आपत्तियां मिलीं
आयोग ने बताया कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद प्रारूप मतदाता सूची पर लोगों से कुल 17,665 दावे और आपत्तियां प्राप्त हुई हैं, जिनमें से 454 शिकायतों का निपटारा कर दिया गया है। हालांकि 13 दिनों बाद भी किसी राजनीतिक दल ने कोई दावा या आपत्ति प्रस्तुत नहीं की है।
बयान के अनुसार, 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के नए मतदाताओं से कुल 74,525 फार्म प्राप्त हुए हैं, जिनमें बीएलएएस से प्राप्त छह फार्म शामिल हैं। नियमानुसार पात्रता दस्तावेजों के सत्यापन के सात दिन बाद संबंधित ईआरओ या एईआरओ द्वारा दावों एवं आपत्तियों का निपटारा किया जाना है।
एसआईआर के आदेशों के अनुसार, एक अगस्त, 2025 को प्रकाशित प्रारूप सूची से किसी भी नाम को ईआरओ या एईआरओ द्वारा जांच करने और निष्पक्ष व उचित अवसर दिए बिना नहीं हटाया जा सकता।
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