Elgar Parishad Case: भीमा-कोरेगांव मामले में महेश राउत को अंतरिम जमानत, किस आधार पर मिली राहत?
सुप्रीम कोर्ट ने एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी महेश राउत को चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत दी। न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने यह फैसला बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद राउत को जेल में रखे जाने की चुनौती पर सुनाया। रूमेटाइड अर्थराइटिस से पीड़ित राउत को छह सप्ताह की चिकित्सा जमानत दी गई है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एल्गर परिषद-भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी महेश राउत को चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ महेश राउत की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद उन्हें जेल में रखे जाने को चुनौती दी थी।
रूमेटाइड अर्थराइटिस से पीड़ित महेश राउत
शीर्ष अदालत ने राउत की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह के इस तर्क पर गौर किया कि आरोपी रूमेटाइड अर्थराइटिस से पीड़ित है।
पीठ ने कहा, "आवेदक चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत मांग रहा है और इस तथ्य को भी ध्यान में रखते हुए कि उसे वास्तव में (बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा) जमानत दी गई थी, हम छह सप्ताह की अवधि के लिए चिकित्सा जमानत देने के पक्ष में हैं।"
हाईकोर्ट ने महेश राउत की जमानत याचिका स्वीकार कर ली, लेकिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के अनुरोध पर अपने ही आदेश पर एक हफ्ते के लिए रोक लगा दी।
विशेष चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता?
इसके बाद शीर्ष अदालत ने मामले में उनकी रिहाई पर लगी रोक को बढ़ा दिया। राउत के वकील ने पहले कहा था कि कार्यकर्ता रूमेटाइड अर्थराइटिस से पीड़ित हैं और उन्हें विशेष चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है जो जेल या जेजे अस्पताल में उपलब्ध नहीं है, जहां उनकी जांच की गई है।
राउत एल्गार परिषद भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी कई कार्यकर्ताओं और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं में से एक हैं। एल्गार परिषद का सम्मेलन दिसंबर 2017 में पुणे के मध्य में स्थित 18वीं सदी के महल-किले, शनिवारवाड़ा में आयोजित किया गया था।
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