'प्रत्येक बच्चे को मां-बाप दोनों के स्नेह का अधिकार है', सुप्रीम कोर्ट ने पिता के हित में दिया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वर्तमान में बच्चा आयरलैंड में अपनी मां के साथ रह रहा है और लगता है कि वह वहीं बस गया है। यह देखते हुए कि माता-पिता दोनों का आचरण आदर्श नहीं रहा है सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनके व्यक्तिगत मतभेद एक लंबे और कटु संघर्ष में बदल गए हैं लेकिन कोर्ट बच्चे को इस संघर्ष का शिकार नहीं बनने दे सकता।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि प्रत्येक बच्चे को माता-पिता दोनों के स्नेह का अधिकार है, भले ही वे अलग-अलग रहते हों या अलग-अलग देशों में रहते हों। बच्चे के लिए उनके साथ संबंध बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि इस तरह के संपर्क से इनकार करने से बच्चा पिता के प्यार, मार्गदर्शन और भावनात्मक समर्थन से वंचित हो जाएगा। याचिका में आयरलैंड में अपनी मां के साथ रह रहे अपने नौ वर्षीय बेटे के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत करने की मांग की गई थी।
बच्चा आयरलैंड में अपनी मां के साथ है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वर्तमान में बच्चा आयरलैंड में अपनी मां के साथ रह रहा है और लगता है कि वह वहीं बस गया है। यह देखते हुए कि माता-पिता दोनों का आचरण आदर्श नहीं रहा है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनके व्यक्तिगत मतभेद एक लंबे और कटु संघर्ष में बदल गए हैं, लेकिन कोर्ट बच्चे को इस संघर्ष का शिकार नहीं बनने दे सकता। पीठ ने कहा कि चूंकि बच्चा अभी अपनी मां के साथ है, अतएव फिलहाल इस व्यवस्था को बिगाड़ना उसके हित में नहीं होगा। ''
पिता ने हमारे समक्ष अपना अनुरोध भी सीमित रखा है क्योंकि वह बच्चे को अपने पास रखने की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि केवल वीडियो-कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपने बेटे के साथ नियमित रूप से बातचीत करने की गुहार लगा रहे हैं। हमें यह अनुरोध उचित और आवश्यक दोनों लगता है।''
हर बच्चे को माता-पिता दोनों के स्नेह का अधिकार- पीठ
पीठ ने कहा, ''हर बच्चे को माता-पिता दोनों के स्नेह का अधिकार है। भले ही माता-पिता अलग-अलग रहते हों या अलग-अलग देशों में रहते हों, बच्चे के लिए दोनों के साथ संबंध बनाए रखना जरूरी है। इस तरह के संपर्क से इनकार करने से बच्चा पिता के प्यार, मार्गदर्शन और भावनात्मक समर्थन से वंचित हो जाएगा। इसलिए हमारा मानना है कि अपीलकर्ता का वीडियो कान्फ्रेंसिंग का अनुरोध उचित है। यह बच्चे की वर्तमान जीवन स्थिति की वास्तविकता और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बीच संतुलन बनाता है कि पिता बच्चे के जीवन का हिस्सा बना रहे।''
पिता का बेटे से बातचीत करने का अधिकार होगा
कई निर्देश जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति को हर दूसरे रविवार को सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे (आयरलैंड के समयानुसार) तक दो घंटे के लिए वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपने बेटे से बातचीत करने का अधिकार होगा।
बच्चे का हित सर्वोपरि- पीठ
''दोनों पक्षों को यह सुनिश्चित करने के लिए सहयोग करना होगा कि व्यवस्था सुचारू रूप से, सद्भावनापूर्वक, बिना किसी बाधा या शत्रुता के संपन्न हो। वीडियो सत्रों की व्यवस्था में आने वाली किसी भी तकनीकी या तार्किक कठिनाइयों का समाधान आपसी सहमति से किया जाएगा, यह ध्यान में रखते हुए कि बच्चे का हित सर्वोपरि है।''
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