उपराष्ट्रपति उम्मीदवार सुदर्शन रेडडी पर गृहमंत्री की टिप्पणी को कई पूर्व जजों ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण, जानें पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के 16 पूर्व न्यायाधीशों ने गृहमंत्री अमित शाह द्वारा उपराष्ट्रपति पद के विपक्ष के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी पर सलवा-जुडूम मामले में उठाए गए सवालों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। न्यायाधीशों ने कहा कि गृहमंत्री की टिप्पणी पूर्वाग्रह से ग्रसित है जिससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में पड़ सकती है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति पद के विपक्ष के साझा उम्मीदवार सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेडडी पर सलवा-जुडूम मामले में फैसले को लेकर गृहमंत्री अमित शाह के उठाए सवालों को सर्वोच्च तथा उच्च न्यायालय के डेढ़ दर्जन पूर्व न्यायाधीशों ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।
'खतरे में पड़ सकती है न्यायिक स्वतंत्रता'
सुप्रीम कोर्ट-हाईकोर्ट के 16 पूर्व न्यायाधीशों ने गृहमंत्री की टिप्पणी को पूर्वाग्रह से ग्रसित बताते हुए कहा है कि इससे सर्वोच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने के साथ न्यायिक स्वतंत्रता खतरे में पड़ सकती है।
सलवा-जुडूम को गलत ठहराए जाने के मामले में जस्टिस सुदर्शन रेडडी पर सवाल उठाते हुए गृहमंत्री ने उन पर नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसला ऐसा न होता तो वामपंथी उग्रवाद 2020 तक खत्म हो जाता।
पूर्व न्यायाधीशों ने क्या कहा?
पूर्व न्यायाधीशों ने संयुक्त हस्ताक्षर से जारी बयान में कहा कि यह फैसला कहीं भी न तो स्पष्ट रूप से और न ही अपने संदर्भों के किसी भी निहितार्थ के जरिए नक्सलवाद या उसकी विचारधारा का समर्थन करता है।
उपराष्ट्रपति पद के लिए प्रचार अभियान वैचारिक हो सकता है लेकिन इसे शालीनता और गरिमा से चलाया जा सकता है। किसी भी उम्मीदवार की तथाकथित विचारधारा की आलोचना करने से बचना चाहिए।
किसके हवाले से बयान हुआ जारी?
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एके पटनायक, अभय ओका, गोपाल गौड़ा, विक्रमजीत सेन, कुरियन जोसेफ, मदन बी लोकुर और जे चेलमेश्वर के साथ हाईकोर्ट के तीन रिटायर मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर, एस मुरलीधर और संजीब बनर्जी के साथ अन्य सात जजों के हवाले से यह बयान जारी किया गया है।
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