एयरबस के विमानों में सौर तूफान से गड़बड़ी पर संदेह, विशेषज्ञों ने उठाए सवाल
एयरबस के ए320 श्रेणी के छह हजार विमानों को वैश्विक स्तर पर जमीन पर उतारने और साफ्टवेयरअपडेट करने के पीछे सौर तूफान को जिम्मेदार बताने पर अब विशेषज्ञ ग ...और पढ़ें

एयरबस के विमानों में सौर तूफान से गड़बड़ी पर संदेह, विशेषज्ञों ने उठाए सवाल (सांकेतिक तस्वीर)
पीटीआई, नई दिल्ली। एयरबस के ए320 श्रेणी के छह हजार विमानों को वैश्विक स्तर पर जमीन पर उतारने और साफ्टवेयर अपडेट करने के पीछे सौर तूफान को जिम्मेदार बताने पर अब विशेषज्ञ गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। कंपनी के 55 साल के इतिहास में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर विमान ग्राउंड किए गए थे।
कंपनी ने दावा किया था कि 30 अक्टूबर को मेक्सिको-अमेरिका उड़ान के दौरान एक विमान अचानक नीचे आने लगा, जिसकी वजह उच्च-ऊर्जा सौर विकिरण से इलेक्ट्रॉनिक्स प्रभावित होना बताया गया। हालांकि, अंतरिक्ष मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि उस दिन कोई बड़ी सौर घटना दर्ज ही नहीं की गई।
भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान उत्कृष्टता केंद्र (सीईएसएसआइ) और आइआइएसईआर -कोलकाता के प्रोफेसर दिब्येंदु नंदी ने कहा कि 30 अक्टूबर को अंतरिक्ष मौसम में ऐसी कोई गतिविधि नहीं दिखी जो विमान की सिस्टम फेलियर जैसी गंभीर घटना का कारण बन सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एयरबस ने पूरे बेड़े को ग्राउंड करने का वास्तविक कारण सार्वजनिक रूप से नहीं बताया है।
प्रो. नंदी ने बताया कि उन्होंने उस दिन के सौर विकिरण और संभावित आकाशगंगा कणों की एंट्री का विश्लेषण किया, लेकिन कोई उल्लेखनीय संकेत नहीं मिले। वे मानते हैं कि संभव है पहले हुई किसी सौर घटना का प्रभाव रूटीन जांच में न पकड़ा गया हो, लेकिन 30 अक्टूबर का दिन सौर गतिविधि के लिहाज से सामान्य था।
सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी कैसे पैदा करते हैं सौर कण
अमेरिकी खगोलशास्त्री आसा स्टाहल के अनुसार, सूर्य से आने वाले उच्च-ऊर्जा कण विमान के कंप्यूटर चिप्स से टकराकर डाटा को अस्थायी रूप से भ्रष्ट कर सकते हैं या इलेक्ट्रानिक सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
आइआइएसईआर- पुणे के प्रो. प्रसाद सुब्रमण्यन ने बताया कि तीव्र सौर ज्वाला के दौरान 'सिंगल ईवेंट अपसेट' हो सकता है, जिसमें बाइनरी कोड का '1' अचानक '0' में बदल जाए या उल्टा। विमानन इलेक्ट्रानिक्स में यह बदलाव बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
ऊंचाई पर क्यों बढ़ जाता है जोखिम
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बेंगलुरु के प्रो. आर. रमेश ने कहा कि 30-40 हजार फीट की ऊंचाई पर पृथ्वी का चुंबकीय कवच कमजोर हो जाता है, जिससे विमान सौर कणों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। हालांकि, वे बताते हैं कि विमानन इलेक्ट्रानिक्स ऐसी परिस्थितियों को संभालने के लिए डिजाइन किए जाते हैं।
प्रो. सुब्रमण्यन ने 29 से 31 अक्टूबर के बीच सौर ज्वाला आर्काइव्स की जांच की, लेकिन उन्हें किसी बड़ी घटना का उल्लेख नहीं मिला। उन्होंने कहा कि एयरबस के निष्कर्ष का आधार अभी अस्पष्ट है।क्या हैं सौर तूफानसौर तूफान सूर्य की 11-वर्षीय चुंबकीय गतिविधि चक्र का हिस्सा होते हैं।
वर्तमान 'सौर चक्र 25' अपनी चरम अवस्था में है, जिसके दौरान सूर्य से बड़ी मात्रा में आवेशित कण और ऊर्जा अंतरिक्ष में फैलते हैं। दुनियाभर की एजेंसियां ऐसी घटनाओं की निगरानी करती हैं, ताकि संचार ब्लैकआउट, उपग्रहों में व्यवधान और विमानन सुरक्षा पर संभावित प्रभावों का पूर्वानुमान लगाया जा सके।

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