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    किसानों को एक रुपये मिला फसल बीमा का क्लेम, सुनते ही भड़के शिवराज सिंह चौहान; अधिकारियों को दी चेतावनी

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 10:00 PM (IST)

    प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों को नाममात्र का क्लेम मिलने की शिकायतों पर केंद्र सरकार सख्त हो गई है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीमा कंपनियों को तलब कर गहन जांच के आदेश दिए हैं। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के किसानों को एक रुपये तक का क्लेम मिला है। सरकार, राज्यों और बीमा कंपनियों की जवाबदेही तय करने पर विचार कर रही है ताकि योजना पर किसानों का भरोसा बना रहे।

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    अधिकारियों को गहन फील्ड जांच के आदेश दिए (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों को नाममात्र का क्लेम मिलने की शिकायतें मिलने के बाद केंद्र सरकार गंभीर हो गई है। राज्यों एवं बीमा कंपनियों की जवाबदेही तय करते हुए केंद्र ने स्पष्ट किया है कि किसी तरह की लापरवाही या विसंगति बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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    केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली में सोमवार को उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक बुलाई। बीमा कंपनियों को तलब किया और अधिकारियों को गहन फील्ड जांच के आदेश दिए। महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश के कई किसानों की शिकायत आई है कि उन्हें क्लेम के रूप में एक, तीन या पांच रुपये का भुगतान किया गया है।

    जवाबदेही तय करने पर विचार कर रही सरकार

    योजना पर किसानों का भरोसा बनाए रखने के लिए सरकार राज्यों और बीमा कंपनियों की जवाबदेही तय करने पर विचार कर रही है। फसल बीमा योजना की शुरुआत किसानों के लिए आपदा सुरक्षा कवच के रूप में की गई थी, लेकिन कई मामलों ने इसकी साख पर सवाल खड़े किए हैं। मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र में किसानों को एक रुपये तक का क्लेम मिला है। शिकायतें मिलने के बाद कृषि मंत्री ने इसे गंभीरता से लिया।

    समीक्षा के दौरान उन्होंने भी पाया कि आंकड़े, सर्वे और भुगतान प्रक्रिया में कई स्तरों पर खामियां हैं। मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के किसान कैलाश मीणा को फसल नुकसान के बाद सर्वे रिपोर्ट में शून्य क्षति दिखाई गई और सिर्फ एक रुपये का क्लेम भुगतान हुआ। इसी तरह सीहोर के ही रमेश पटेल का नुकसान मूल्यांकन 0.004806 प्रतिशत दिखाया गया और उसके आधार पर बीमा कंपनी ने एक रुपये का क्लेम जारी किया।

    कृषि मंत्री ने अफसरों से पूछे सवाल

    मंत्री ने खुद बैठक में यह उदाहरण पढ़कर अफसरों से पूछा कि क्षति आकलन का क्या यही वैज्ञानिक तरीका है? वर्चुअल मीटिंग में महाराष्ट्र के अकोला के किसान नामदेव चौधरी ने मंत्री को बताया कि उन्हें क्लेम के रूप में पांच रुपये मिले हैं। अकोला के ही गजानन पाटिल को भी 21 रुपये का क्लेम मिला, जबकि प्रीमियम के रूप में उन्होंने 800 रुपये से अधिक जमा किया है। सच्चाई सामने आने पर अधिकारी तर्क गढ़ने लगे तो मंत्री ने पूछा कि जब प्रीमियम राशि पूरी दी गई तो क्षति का आकलन इतना कम क्यों दिखाया गया।

    उन्होंने रिमोट सेंसिंग आधारित नुकसान मूल्यांकन प्रणाली की वैज्ञानिकता पर भी सवाल उठाया और कहा कि इसकी विश्वसनीयता का परीक्षण कराया जाएगा। बीमा कंपनियों को निर्देश दिए गए हैं कि नुकसान के सर्वे के समय उनका प्रतिनिधि मौके पर मौजूद रहे और किसानों को क्लेम एकमुश्त तथा समय पर मिले।

    साथ ही राज्यों को भी चेतावनी दी गई है कि वे केंद्र के हिस्से के साथ अपनी सब्सिडी राशि समय पर जारी करें, अन्यथा उनसे 12 प्रतिशत ब्याज वसूला जाएगा। कई राज्यों द्वारा अपने हिस्से का भुगतान लंबित रखने से क्लेम वितरण में देरी हो रही है और इसका ठीकरा केंद्र पर फूटता है।