इनकम का 33 प्रतिशत EMI भरने में खर्च करते हैं कामकाजी भारतीय; फैशन, मेडिकल और खानपान पर कितना खर्चा?
भारत में निजी खपत लगातार बढ़ रही है जहां लोग अपनी आय का 33% से अधिक कर्ज की ईएमआई चुकाने में खर्च कर रहे हैं। बी2बी फिनटेक कंपनी परफियोस और पीडब्ल्यूसी इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया कि लोग अपने कुल व्यय का 39% अनिवार्य खर्चों 32% आवश्यक खर्चों और 29% विवेकाधीन खर्चों पर खर्च करते हैं। टियर 2 शहरों में चिकित्सा खर्च 20% ज्यादा है।

आईएएनएस, बेंगलुरु। भारत में निजी खपत लगातार बढ़ रही है। इसी के साथ सभी शहरों में कमाने वाले लोग अपनी आय का 33 प्रतिशत (औसतन) से अधिक कर्ज की EMI चुकाने में खर्च कर रहे हैं।
बी2बी फिनटेक कंपनी परफियोस और पीडब्ल्यूसी इंडिया की ओर से बुधवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, लोग अपने अनिवार्य व्यय पर सबसे अधिक धन खर्च करते हैं जो उनके कुल व्यय का 39 प्रतिशत है। इसके बाद आवश्यक व्यय पर 32 प्रतिशत और विवेकाधीन व्यय पर 29 प्रतिशत राशि खर्च करते हैं।
फैशन और पर्सनल केयर के खर्चे
रिपोर्ट के अनुसार, कामकाजी लोग विवेकाधीन खर्च का 62 प्रतिशत से अधिक हिस्सा जीवनशैली संबंधी खरीद पर खर्च करते हैं। इसमें फैशन और पर्सनल केयर संबंधी वस्तुओं की खरीदारी शामिल हैं। जैसे-जैसे प्रवेश वेतन बढ़ता है, भोजन व्यय पर खर्च की जाने वाली राशि और इसकी आवृत्ति, दोनों में वृद्धि होती है।
परफियोस के सीईओ सब्यसाची गोस्वामी ने कहा कि भारत का उपभोक्ता बाजार परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जिसे बढ़ते मध्यम वर्ग, ग्रामीण बाजारों का विस्तार और डिजिटल रूप से जुड़ी, आकांक्षी आबादी का सहयोग मिल रहा है।
मेडिकल पर होता है इतना खर्चा
यह रिपोर्ट टेक्नोलॉजी का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले देश के 30 लाख उपभोक्ताओं के खर्च व्यवहार पर आधारित है। अन्य खास बातें- टियर 2 शहरों में मकान किराये पर खर्च की जाने वाली औसत राशि टियर 1 शहरों की तुलना में 4.5 प्रतिशत अधिक है।
टियर 2 शहरों में लोग चिकित्सा व्यय पर सबसे अधिक खर्च करते हैं, जो टियर 1 शहरों की तुलना में औसतन प्रति माह 20 प्रतिशत अधिक है। टियर 1 शहर में रहने वाला व्यक्ति औसतन प्रति माह लगभग 2,450 रुपये चिकित्सा व्यय पर खर्च करता है, जबकि मेट्रो निवासियों का औसत व्यय सबसे कम 2,048 रुपये प्रति माह है।
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