'बंदूक नहीं, एल्गोरिदम है हथियार', IIT खड़गपुर में बोले गौतम अदाणी- तकनीक आधारित युद्ध की ओर बढ़ रही दुनिया
अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी ने आईआईटी खड़गपुर में कहा कि दुनिया तकनीक-आधारित युद्ध की ओर बढ़ रही है। उन्होंने छात्रों से आत्मनिर्भरता की आज़ादी के लिए लड़ने का आह्वान किया क्योंकि अब हथियार एल्गोरिदम और साम्राज्य डेटा सेंटरों में बन रहे हैं। अदाणी ने तकनीकी नेतृत्व सुरक्षित करने और वैश्विक नवाचार में सबसे आगे रहने की बात कही।

राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी ने कहा कि दुनिया पारंपरिक युद्ध से तकनीक-आधारित शक्तिशाली युद्ध की ओर बढ़ रही है और हमारी तैयारी की क्षमता ही हमारा भविष्य तय करेगी।
सोमवार को इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) खड़गपुर के प्लेटिनम जुबली समारोह को संबोधित करते हुए, अदाणी ने कहा-'अब हमें जो युद्ध लड़ने होंगे, वे अदृश्य होंगे क्योंकि वे सर्वर फॉर्म से लड़े जाते हैं, न कि मैदान में।'
'आत्मनिर्भरता की आजादी के लिए लड़ना होगा'
गौतम अदाणी ने कहा कि 'अब हथियार बंदूकें नहीं बल्कि एल्गोरिदम हैं। साम्राज्य अब जमीन पर नहीं, बल्कि डेटा सेंटरों में निर्मित हो रहे हैं। अब सेनाएं बॉटनेट हैं, बटालियन नहीं। हमें अब आत्मनिर्भरता की आजादी के लिए लड़ना होगा।'
गौतम अदाणी ने उपस्थित छात्रों व प्रोफेसरों से कहा- 'आप स्वतंत्रता सेनानियों की अगली पीढ़ी हैं। आपका नवाचार, आपका सॉफ्टवेयर कोड और आपके विचार आज के हथियार हैं। आप तय करेंगे कि भारत अपने भाग्य की कमान खुद संभालेगा या इसे दूसरों के हवाले कर देगा। यह केवल हमारे देश की सीमाओं की रक्षा के बारे में नहीं बल्कि हमारे तकनीकी नेतृत्व को सुरक्षित करने और यह सुनिश्चित करने के बारे में है कि हम वैश्विक नवाचार में सबसे आगे रह सकें।'
'कुछ कंपनियां देशों से भी शक्तिशाली हो जाएंगी'
अदाणी ने आगे कहा- 'रोबोटिक्स और एआई की दुनिया में लागत लाभ रातोंरात गायब हो जाएंगे और हम जल्दी ही प्रतिस्पर्धा करने की अपनी क्षमता खो सकते हैं तो कुछ कंपनियां कई देशों से भी ज्यादा शक्तिशाली हो जाएंगी। यही बात शैक्षणिक संस्थानों पर भी लागू होगी इसलिए उन्हें भी बदलना होगा।
उन्होंने कहा, 'अत्याधुनिक शोध को आगे बढ़ाना होगा और साथ ही वास्तविक दुनिया के प्रभावों के प्रति जवाबदेह भी होना होगा। इस नए दौर की लड़ाई में भारत को सबसे प्रतिभाशाली दिमागों की जरूरत होगी। यह हमारे शीर्ष संस्थानों की विरासत को त्यागने का नहीं बल्कि बहुत देर होने से पहले एक अलग भविष्य की रूपरेखा तैयार करने का आह्वान है।'
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