'भारत के खिलाफ तेल उतना ताकतवर हथियार नहीं, जितना...' अपने ही दिखा रहे ट्रंप को आईना, Expert ने क्या कहा?
भू-राजनीतिक विशेषज्ञ डेविड गोल्डविन का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप का भारत पर प्रतिबंध लगाने का अनुमान गलत था क्योंकि भारत कमजोर नहीं है। गोल्डविन ने रूसी तेल आयात को लेकर भारत पर लगाए गए प्रतिबंधों को पाखंडी नीति बताया। उन्होंने कहा कि ट्रंप का मानना है कि चीन की तुलना में भारत के साथ सौदेबाजी में उनका प्रभाव ज्यादा है।

एएनआई, वॉशिंगटन। प्रमुख भू-राजनीतिक विशेषज्ञ डेविड गोल्डविन का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का यह अनुमान गलत था कि प्रतिबंध भारत पर दबाव बनाने का जरिया बन सकते हैं।
भारत के साथ राजनयिक संबंधों के संदर्भ में वह इस विफलता सीख रहे हैं कि तेल का हथियार उतना ताकतवर नहीं था, जितना उन्होंने सोचा था। भारत उतना कमजोर नहीं है। वास्तव में उन्होंने भारतीय इतिहास ठीक से नहीं पढ़ा।
बिल क्लिंटन और बराक ओबामा के कार्यकाल में अमेरिकी ऊर्जा विभाग में वरिष्ठ अधिकारी रहे गोल्डविन ने एक साक्षात्कार में भारत पर टैरिफ को लेकर ट्रंप प्रशासन के दोहरे मानदंडों की आलोचना की और रूसी तेल आयात को लेकर भारत पर लगाए गए प्रतिबंधों को बेहद पाखंडी नीति बताया।
यह पूछे जाने पर कि अमेरिका ने चीन पर इसी तरह के सेकेंडरी प्रतिबंध क्यों नहीं लगाए, गोल्डविन ने कहा कि ट्रंप का मानना है कि चीन की तुलना में भारत के साथ सौदेबाजी में उनका प्रभाव ज्यादा है।
इसीलिए चीन के खिलाफ टैरिफ में देर हुई, बातचीत आगे बढ़ी और उन्होंने रूसी तेल के चीनी आयात पर प्रतिबंध या टैरिफ लागू नहीं किए। गोल्डविन ने बताया कि ट्रंप बीजिंग के साथ संभावित व्यापार वार्ता बिगाड़ने के डर से चीनी बंदरगाहों और जहाजों पर प्रतिबंध लगाने से बचते रहे।
जब उनसे पूछा गया कि क्या ट्रंप को लगता है कि वह चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग को अमेरिका के साथ समझौता करने के लिए मजबूर कर सकते हैं, तो गोल्डविन ने इस संभावना से इन्कार किया, लेकिन कहा कि ट्रंप समझौता करना चाहते हैं।
गोल्डविन ने अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ भारत के कड़े रुख का समर्थन करते हुए कहा कि नई दिल्ली को अपनी संप्रभुता की रक्षा का अधिकार है। अमेरिका को एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है जो द्विपक्षीय व्यापार वार्ता को आगे बढ़ाते हुए भारत की रणनीतिक स्वायत्तता का सम्मान करे।
गोल्डविन ने यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में अमेरिकी दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए सुझाव दिया कि अमेरिका को अपने दबाव को भारत या यूरोपीय संघ जैसे सहयोगियों के बजाय रूस पर केंद्रित करना चाहिए।
भारत-अमेरिका संबंधों के प्रति ट्रंप के बयान पर गोल्डविन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हालिया प्रतिक्रिया की सराहना की और कहा कि यह तनाव कम करने में बहुत मददगार रही। अब वास्तव में व्यापार के बारे में गंभीर वार्ता होनी चाहिए, लेकिन यह अमेरिका के भारत के साथ मौजूदा और संभावित रणनीतिक संबंधों के संदर्भ में होनी चाहिए। उन्हें उम्मीद है कि ट्रंप इसका कोई रास्ता निकाल लेंगे।
दिखावटी राजनयिक हैं नवारो
गोल्डविन ने राष्ट्रपति ट्रंप के व्यापार एवं विनिर्माण सलाहकार पीटर नवारो को एक दिखावटी राजनयिक बताया। उन्होंने कहा, ''वह एक गैर-गंभीर और अपर्याप्त जानकारी रखने वाले व्यक्ति हैं। अगर राष्ट्रपति उनकी सलाह मान रहे हैं, तो यह उनके साथ अन्याय है। लेकिन मुझे लगता है कि उन्हें धमकाने वाले जनसंपर्क अभियान के तहत टेलीविजन पर जाकर ऐसी बातें कहने के लिए कहा गया है।
उन्होंने आगे कहा, "जब हम नवारो को टीवी पर देखना बंद कर देंगे, तब हमें पता चलेगा कि बातचीत गंभीर है और हम तनाव कम करने की राह पर हैं।''
गोल्डविन ने कहा कि नवारो को उनके कार्यक्षेत्र से परे जाकर भी बातें करने की अनुमति दी जा रही है।
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