फाइटर जेट, मिसाइल और बारूदी टैंक...जंग में बेशुमार पैसा झोंक रही दुनिया, डिफेंस में कितना है भारत का Investment?
2024 में हथियारों पर खर्च 2.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचा। यूरोप में हथियारों की खरीद में 83% की बढ़ोतरी हुई। भारत का मिलिट्री बजट 83.6 बिलियन डॉलर है जिससे वह डिफेंस पर खर्च करने वाले देशों में पांचवें स्थान पर है। 2020-24 के बीच भारत का ग्लोबल आर्म्स इम्पोर्ट 8.3% था।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुनिया के कई देशों के बीच अभी या तो जंग चल रही है या होने की संभावना है। हाल ही में इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष हुआ, जिसमें अमेरिका भी कूद पड़ा और इजरायल का साथ दिया। रूस और यूक्रेन पिछले कई सालों से युद्ध लड़ रहे हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच भी एक संघर्ष हुआ।
दुनिया इन दिनों डिफेंस सेक्टर में भरपूर पैसा लगा रही है। वहीं, तमाम देश भुखमरी और बीमारी से जूझ रहे हैं। बावजूद इसके हथियारों को खरीदने के लिए पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है और युद्ध की तो पहली शर्त ही है कि इसमें बेशुमार पैसा झोंका जाता है।
इस आर्टिकल में जानेंगे कि दुनिया भर में कैसे जंग विकसित और विकासशील देशों को अपनी जद में ले रही है और इसके लिए इन देशों कितना पैसा खर्च किया?
2024 का साल दुनिया के लिए एक खौफनाक साल बनकर सामने आया है। पिछले साल ग्लोबल सिक्योरिटी ने दम तोड़ता हुआ दिखा। इसी साल हथियारों पर खर्च रिकॉर्ड $2.7 ट्रिलियन तक पहुंच गया, जो पिछले साल से 9.4% ज्यादा है।
SIPRI Yearbook 2025 की मानें तो यह दसवां साल है, जब दुनिया भर में मिलिट्री बजट लगातार बढ़ा है। दुनिया भर में जंगों का मंजर इतना भयावह हुआ कि ग्लोबल डिफेंस बर्डन 2.5% तक पहुंच गया और जिस देश में जंग हो रही थी वहां यह आंकड़ा 4.4% तक जा पहुंचा।
इसके साथ ही मौतों का आंकड़ा भी डरावनी तस्वीर पेश करते हैं। पिछले साल 239,000 लोगों की जान गई। गाजा और यूक्रेन की जंग, म्यांमार और सूडान में सिविल वॉर और इथियोपिया में लड़ाई में 10,000 से ज्यादा मौतें हुई। 2023 में जहां दुनिया भर में चार बड़ी युद्ध चल रही थी, वहीं 2024 में जाकर ये पांच हो गई।
हथियारों को खरीदने की होड़ में रिकॉर्ड तोड़ खर्च
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में हथियारों पर खर्च ने नई ऊंचाइयां छुईं है। यूरोप में हथियारों की खरीद में 83% की तेजी से बढ़ोतरी हुई है, जबकि एशिया-ओशिआना में 46%, अमेरिकास और वेस्ट एशिया में 19% और अफ्रीका में 11% का इजाफा देखा गया।
1988 से 2024 तक का ग्राफ देखें तो साफ है कि अमेरिकास सबसे आगे रहा, लेकिन एशिया-ओशिआना इस रेस में पीछे नहीं रहा है बल्कि कड़ी टक्कर देता रहा है।
इन आंकड़ों से पता चलता है कि जंग के मैदान में शांति की उम्मीद कम होती जा रही है। जो देश जंग से बचे, उनके लिए डिफेंस बर्डन 1.9% रहा, लेकिन लड़ाई में उलझे मुल्कों ने अपनी अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा हथियारों पर बेतहाशा खर्च किया। 2015 से 2024 के बीच ग्लोबल मिलिट्री खर्च 37% बढ़ा है।
ग्लोबल डिफेंस व्यय में भारत पांचवे पायदान पर, इम्पोर्ट करने में दूसरा स्थान
डिफेंस पर खर्च करने में भारत भी पीछे नहीं है। पड़ोसी देश पाकिस्तान की ओर से आए दिन आतंकवाद और सैन्य धमकियों को देखते हुए भारत ने भी अपने सैन्य जखीरों पर खूब खर्च किया है।
2024 में भारत का मिलिट्री बजट 83.6 बिलियन डॉलर हो गया। डिफेंस पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाले देशों में भारत पांचवे स्थान पर आता है। अमेरिका, चीन, रूस, और जर्मनी के बाद भारत का नाम आता है। 2020 से 2024 के बीच भारत का ग्लोबल आर्म्स इम्पोर्ट में 8.3% भागीदारी थी। भारत इस दौरान यूक्रेन के बाद सबसे बड़ा आयातक देश है।
1956 से लेकर 2024 तक भारत का खर्च 2941 मिलियन डॉलर से बढ़कर 83,623.1 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। इस दौरान देश की न्यूक्लियर ताकत भी बढ़ी है और वारहेड्स की संख्या 172 से 180 तक आंकी गई है। यह आंकड़ा बताता है कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए हर कदम मजबूती से उठा रहा है।
सोर्स- Stockholm International Peace Research Institute
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