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    IndiGo संकट पर सरकार सख्त, एविएशन मिनिस्टर ने कार्रवाई की कही बात; एयरलाइनों के लिए निर्देश

    Updated: Mon, 08 Dec 2025 09:59 PM (IST)

    नागरिक उड्डयन मंत्री ने इंडिगो संकट पर सख़्त रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि इंडिगो की मनमानी के कारण नागरिक उड्डयन सेक्टर को संकट से जूझना पड़ा। इंडिग ...और पढ़ें

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    IndiGo संकट पर सरकार सख्त एविएशन मिनिस्टर ने कार्रवाई की कही बात (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अब यह पूरी तरह से साफ हो चुका है कि उड्डयन क्षेत्र में अव्यवस्था के लिए इंडिगो अपराधी है। इंडिगो के अपने स्वार्थ और मनमानी की वजह से ही भारत के नागरिक उड्डयन सेक्टर को चार-पांच दिनों तक इतिहास के सबसे बड़े संकट से जूझना पड़ा है।

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    भारत के नागरिक उड्डयन बाजार पर 64 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाली इंडिगो ने सरकार के नियमों को कभी गंभीरता से लिया ही नहीं। एक तरह से इंडिगो ने सरकार को दबाव में लाने और अपनी शर्तों को मनवाने के लिए पूरी अव्यवस्था बनाई और हजारों यात्रियों को इसका शिकार बनाया।

    एविएशन मिनिस्टर ने राज्यसभा में दी जानकारी

    इसकी जानकारी स्वयं नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू ने सोमवार को राज्यसभा में दी। उन्होंने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि यह इंडिगो का आंतरिक संकट है, जिसके लिए एयरलाइन पूरी तरह जिम्मेदार है। इस मामले में सरकार इतनी सख्त कार्रवाई करेगी कि यह अन्य एयरलाइनों के लिए मिसाल बने।

    स्पष्ट है कि जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद इंडिगो को भारी पेनाल्टी का भी सामना करना पड़ेगा और भविष्य में उसका वर्चस्व भी कम किया जाएगा। नायडू ने स्पष्ट किया कि नई फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिट (एफडीटीएल) नियमों का पालन करने में इंडिगो की नाकामी क्रू रोस्टरिंग और इंटरनल आपरेशनल प्लानिंग की विफलता से जुड़ी है।

    उन्होंने कहा-यह इंडिगो की खुद की बनाई हुई समस्या है। मंत्रालय ने एक नवंबर को सभी एयरलाइंस के साथ बैठक की थी और नियमों पर स्पष्टीकरण दिए थे, लेकिन इंडिगो ने एक दिसंबर तक कोई समस्या रिपोर्ट नहीं की। इस बयान से साफ है कि एयरलाइन ने सरकार को अंधेरे में रखा और अपनी तैयारियों की सही तस्वीर नहीं पेश की, जिससे केंद्र और डीजीसीए अचानक पैदा हुए संकट के लिए तैयार नहीं था।

    विपक्ष ने जताया असंतोष

    हालांकि, यहां डीजीसीए के सुस्त रवैये पर भी सवाल उठता है कि उसने एफडीटीएल नियमों को लेकर इंडिगो ने जो कहा, उस पर भरोसा किया। अपनी तरफ से नियमों के पालन की प्रक्रिया का अवलोकन नहीं किया।विपक्ष ने मंत्री के बयान पर असंतोष जताया और सदन से वाकआउट किया। नायडू ने जब यह कहा कि भारत को नागरिक उड्डयन सेक्टर में वैश्विक स्तर पर ले जाने का विजन है, तो विपक्ष ने उस पर शोर मचा कर अपना प्रतिरोध जाहिर किया।

    नायडू ने कहा कि मंत्रालय स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। भारत की हवाई यात्रा मांग को देखते हुए कम-से-कम पांच बड़ी एयरलाइनों की जरूरत है। नई कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार सहयोग देगी, ताकि ऐसी एकाधिकार वाली स्थितियां न हों।

    एयरलाइनों को नियमों का पालन करने के निर्देश

    उन्होंने इस बात को दोहराया कि किसी की भी सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं होगा, ना तो यात्रियों की, ना पायलटों की और ना ही क्रू की। नायडू ने एफडीटीएल को लेकर डीजीसीए के नए नियमों की तारीफ की और कहा कि ये दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देशों पर बने हैं। सभी एयरलाइनों को इनका सख्ती से पालन करना होगा।

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