ग्रेट निकोबार परियोजना से भारत को क्या-क्या मिलेगा फायदा? गृह मंत्री अमित शाह ने बताया सरकार का विजन
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ग्रेट निकोबार द्वीप विकास परियोजना से भारत के समुद्री व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने इंडियन मैरीटाइम वीक में यह बात कही। शाह ने बताया कि सरकार का समुद्री दृष्टिकोण सुरक्षा, स्थिरता और आत्मनिर्भरता पर आधारित है। सागरमाला परियोजना के तहत 2025 तक कई परियोजनाएं पूरी करने का लक्ष्य है। पुराने कानूनों में सुधार किया गया है और बंदरगाहों को अधिक स्वायत्तता दी गई है।
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कैसे ग्रेट निकोबार परियोजना बदलेगी भारत की किस्मत (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, मुंबई। ग्रेट निकोबार द्वीप विकास परियोजना को लेकर विरोध और पर्यावरण संबंधी चिंताओं के बीच केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि यह परियोजना भारत के समुद्री व्यापार को कई गुना बढ़ा देगी। उन्होंने यह बात मुंबई के गोरेगांव स्थित नेस्को काम्प्लेक्स में पांच दिवसीय इंडियन मैरीटाइम वीक का उद्घाटन करते हुए कही।
शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का समुद्री दृष्टिकोण तीन स्तंभों पर आधारित है- सुरक्षा, स्थिरता और आत्मनिर्भरता। सागरमाला, ब्लू इकोनॉमी और ग्रीन मैरीटाइम विजन जैसी पहलों के माध्यम से, भारत मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 के साथ वैश्विक जहाज निर्माण उद्योग में भारत को शीर्ष पांच देशों में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है।
भारत के समुद्री वैश्विक व्यापार को मिलेगा बढ़ावा
शाह ने इसी कड़ी में कहा कि पांच अरब डॉलर की ग्रेट निकोबार परियोजना निर्माणाधीन है, जिससे भारत के समुद्री वैश्विक व्यापार को कई गुना बढ़ावा मिलेगा। बता दें कि अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह एकीकृत विकास निगम (एएनआईआईडीसीओ) इस परियोजना का कार्यान्वयन कर रहा है। यह परियोजना अंडमान सागर में ग्रेट निकोबार द्वीप के दक्षिणी सिरे पर चल रही है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सागरमाला परियोजना के अंतर्गत मार्च 2025 तक पूरा करने के लिए 70 बिलियन डॉलर की 839 परियोजनाओं की पहचान की गई है, जिनमें से 17 बिलियन डॉलर की 272 परियोजनाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं। इसके अलावा, 20 करोड़ डॉलर के निवेश से हम कोचीन शिपयार्ड में भारत का सबसे बड़ा ड्राई डॉक बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
पुराने भारतीय कानूनों में किया गया सुधार
इसके अलावा, गुजरात में एक समुद्री विरासत परिसर विकसित किया जा रहा है। शाह ने आगे कहा कि आवश्यक अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप, पुराने भारतीय कानूनों में भी सुधार किया गया है। 2025 में हमारी संसद ने 117 साल पुराने भारतीय बंदरगाह विधेयक को पारित कर दिया है, जिसे समकालीन आवश्यकताओं और वैश्विक परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए अद्यतन किया गया है।
प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021 के माध्यम से, हमने बंदरगाहों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करने और उनके संस्थागत ढांचे के आधुनिकीकरण का मार्ग भी प्रशस्त किया गया है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के तहत 106 नए जलमार्ग घोषित किए गए हैं।
मोदी सरकार ने बढ़ाया बजट
शाह ने कहा कि बंदरगाह संचालन के लिए प्रति वर्ष 10,000 मिलियन मीट्रिक टन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और बंदरगाह परिवहन का पूर्णतः डिजिटलीकरण किया गया है। इसके अतिरिक्त भारत भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा, पूर्वी समुद्री गलियारा और उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा जैसी संपर्क परियोजनाओं से भी जुड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा कि आज वैश्विक व्यापार का दो-तिहाई हिस्सा हिंद-प्रशांत समुद्री मार्ग से होकर गुजरता है और भारत का 90 प्रतिशत व्यापार समुद्री मार्गों के माध्यम से होता है। उनके अनुसार, मोदी की समुद्री नीति महासागर (क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति) में विकसित हुई है, जो भारत के बढ़ते वैश्विक पदचिह्न का प्रतीक बन गई है।
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का ‘सागर’ को ‘महासागर’ में बदलने का विजन भारत को 2047 तक इस क्षेत्र में वैश्विक नेता बनने की ओर अग्रसर करेगा। इसे प्राप्त करने के लिए, मोदी सरकार ने बजट को छह गुना बढ़ा दिया है, जो आज 40 मिलियन डॉलर से बढ़कर 230 मिलियन डॉलर हो गया है।
गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले जहाजों का उद्घाटन
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के मझगांव डॉक पर गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले अत्याधुनिक जहाजों का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले जहाज दिए जा रहे हैं, जिनकी लागत 1.2 करोड़ रुपये प्रति इकाई है।
इसके लिए महाराष्ट्र सरकार, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और केंद्रीय मत्स्य मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्य पालन विभाग से वित्तीय सहायता प्राप्त होगी। यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने और ब्लू इकोनॉमी (समुद्र आधारित अर्थव्यवस्था) मज़बूत करने की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
दावा किया जा रहा है कि केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह द्वारा लाभार्थियों को गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले जहाजों की चाबियाँ सौंपना मत्स्य पालन क्षेत्र में सहकारिता के माध्यम से आत्मनिर्भरता, स्थिरता और सहकारी समितियों को सशक्त बनाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा।
पारंपरिक जहाजों पर निर्भर रहते हैं मछुआरे
सहकारी समितियों और एफएफपीओ के माध्यम से सहकारी नेतृत्व वाली गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की पहल में तेजी लाने के उद्देश्य से, मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार और सहकारिता विभाग, सहकारिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एक संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) का गठन किया गया है।
भारत का समुद्री मत्स्य पालन क्षेत्र पारंपरिक रूप से बहुत छोटे पैमाने पर संचालित होता रहा है, जहाँ मछुआरे पारंपरिक जहाजों और तकनीकों पर निर्भर रहते हैं, और आमतौर पर समुद्र तट से केवल 40-60 समुद्री मील तक ही जाते हैं। इसने पकड़ी गई मछलियों की मात्रा और आर्थिक लाभ को सीमित कर दिया है।
अब की जा रही नई पहल मत्स्य पालन सहकारी समितियों और एफएफपीओ को भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और उच्च सागरों, विशेष रूप से लक्षद्वीप और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह जैसे क्षेत्रों की विशाल क्षमता का स्थायी रूप से दोहन करने में सक्षम बनाएगी। इससे टूना जैसे उच्च मूल्य वाले मत्स्य पालन में नए अवसर खुलने की उम्मीद है, जिससे भारत के समुद्री खाद्य निर्यात में वृद्धि होगी और तटीय आजीविका को मजबूती मिलेगी।

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