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    अगर पति दे रहा धोखा तो क्या उसकी प्रेमिका पर किया जा सकता है मुकदमा?

    Updated: Tue, 28 Oct 2025 10:18 AM (IST)

    दिल्ली हाईकोर्ट ने व्यभिचार मामले में अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि शादी टूटने पर पत्नी तीसरे व्यक्ति से हर्जाना मांग सकती है। यह मामला एक पत्नी द्वारा पति की प्रेमिका के खिलाफ दायर शिकायत से जुड़ा है। अदालत अब यह तय करेगी कि क्या प्रेमिका ने जानबूझकर शादी तोड़ी। यदि साबित होता है, तो यह भारत में पहला मामला होगा जिसमें विवाहेतर संबंध में शामिल तीसरे व्यक्ति को हर्जाना देने का आदेश दिया जा सकता है।

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    पति के धोखे में क्या प्रेमिका पर केस कर सकती है पत्नी?

    दीप्ति मिश्रा, नई दिल्‍ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले महीने व्यभिचार (Adultery) यानी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर से जुड़े एक मामले पर कुछ ऐसी टिप्पणी की थी, जिससे देश में वैवाहिक विवादों के कानून को लेकर बहस छिड़ गई है। दिल्‍ली हाईकोर्ट के जस्टिस पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने कहा था, 'अगर किसी तीसरे व्यक्ति के कारण शादी टूटती है, या पत्नी को उसके अधिकारों से वंचित रखा जाता है तो पत्नी उससे सिविल कोर्ट में हर्जाना (damages)मांग सकती है।
     
    न्यायमूर्ति पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने यह टिप्पणी पिछले महीने एक महिला की उस याचिका पर की थी, जिसने अपने पति का किसी अन्‍य महिला के साथ संबंध होने का आरोप लगाते हुए उसकी प्रेमिका से 4 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की।  इसके बाद से देश भर में बहस छिड़ गई है कि एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर से जुड़े मामलों में क्या पीड़ित महिला अपने पति के प्रेमी से या कोई पुरुष अपनी पत्नी के प्रेमी से हर्जाना मांग सकता है? एक्सपर्ट का क्‍या कहना है, आइए बताते हैं...
     

    क्‍या है पूरा मामला, जिससे पैदा हुआ यह सवाल?

    दिल्‍ली हाईकोर्ट के जस्टिस  पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने जिस याचिका पर टिप्‍पणी की है, वह एक पत्नी की पति की प्रेमिका के खिलाफ दर्ज शिकायत से जुड़ा है।
     

    याचिका दायर करने वाली महिला ने आरोप लगाया- 


    '' साल 2012 में मेरी शादी हुई। 2018 में जुड़वा बच्चे हुए। पति व्यवसाय करते हैं। मेरी शादीशुदा जिंदगी अच्‍छी चल रही थी। मेरी शादीशुदा जिंदगी में समस्या तब शुरू हुई, जब साल 2021 में मेरे पति के बिजनेस में एक अन्‍य महिला भी शामिल हुई। वह दूसरी महिला उसके पति के साथ यात्राओं पर जाती थी। दोनों बेहद करीब आ गए।  2023 में उसने पति और उसकी प्रेमिका की अंतरंग बातें सुनी। पति के लैपटॉप से इस रिश्ते के सबूत भी मिले। पति के परिवार के दखल के बावजूद यह सब जारी रहा। महिला का पति सार्वजनिक स्थलों पर प्रेमिका के साथ दिखाई दिया, बाद में तलाक के लिए अर्जी लगा दी।''

     इस पूरे घटनाक्रम के बाद पीड़ित महिला ने पति और उसकी प्रेमिका के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। पत्नी का कहना है कि उस महिला ने जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादे से उसकी शादी को तोड़ा, जिससे उसे मानसिक और भावनात्मक क्षति हुई। इसलिए उसने अदालत में एलीनेशन ऑफ अफेक्शन’ के तहत याचिका दायर कर हर्जाने की मांग की।
    Yogendra Verma Advocate
     

    पति और उसकी प्रेमिका ने दी यह दलील

    पति ने कोर्ट में दलील दी कि वह एक स्वतंत्र इंसान है और उसे अपने निजी जीवन के फैसले खुद लेने का अधिकार है। हर वयस्क व्यक्ति को यह आजादी होती है कि वह किससे रिश्ता रखे या किससे दोस्ती करे, जब तक वह कानूनन अपराध न हो।
     
    पति की कथित प्रेमिका ने दलील दी कि उसका उस शादी से कोई लेना-देना नहीं है, इसलिए पत्नी के प्रति उसकी कोई कानूनी जिम्मेदारी नहीं बनती।

    पति और उसकी प्रेमिका ने कहा कि अगर कोई विवाद है भी तो सुनवाई फैमिली कोर्ट में की जानी चाहिए, हाईकोर्ट में नहीं। इतना ही नहीं, उन दोनों ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला भी दिया, जिसमें कोर्ट ने व्यभिचार को अपराध से मुक्त कर दिया। अगर दिल्‍ली हाईकोर्ट में चल रहा मौजूदा मामला आगे बढ़ता है तो इस तरह का यह पहला मामला भी बन सकता है।
     

    हाईकोर्ट ने क्या कहा?

    जस्टिस पुरुषेन्द्र कुमार कौरव (Justice Purushaindra Kumar Kaurav) ने न केवल याचिका को स्वीकार किया, बल्कि पति और उसकी कथित प्रेमिका दोनों को नोटिस भी भेजने का निर्देश दिया। जस्टिस पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने कहा कि अगर किसी तीसरे शख्स के चलते शादी टूटती है तो पत्नी सिविल कोर्ट में हर्जाना मांग सकती है। हालांकि, व्यभिचार (Adultery) यानी एक्स्ट्रा मैरिटल  अब अपराध नहीं है, फिर भी इसके नुकसान के लिए हर्जाना लिया जा सकता है। यह मामला पूरी तरह सिविल कानून से जुड़ा है, इसलिए इसे फैमिली कोर्ट में नहीं, बल्कि सिविल कोर्ट में ही सुना जाएगा।
     
    जस्टिस पुरुषेन्द्र कुमार ने कहा कि यह मामला ‘एलीनेशन ऑफ अफेक्शन’ (Alienation of Affection) सिद्धांत को लागू करने की दिशा में पहला उदाहरण बन सकता है। दरअसल, यह सिद्धांत कहता है कि शादी में प्यार और विश्वास को जानबूझकर तोड़ने वाले व्यक्ति को कानूनी तौर पर जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। एंग्लो-अमेरिकन कॉमन लॉ  से लिए गए ‘एलीनेशन ऑफ अफेक्शन’ सिद्धांत को भारत में सुप्रीम कोर्ट ने अपने दो फैसलों में स्वीकार किया है। जस्टिस पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने यह भी स्‍प्‍ष्‍ट किया कि महिला ने अपनी याचिका में जो आरोप लगाए हैं,  वो  साबित करने होंगे।
    Manish Bhadauriya Advocate
     

    इस मामले में आगे क्या?

    इस मामले में अब सुनवाई होगी, जिसके बाद हाई कोर्ट तय करेगा कि क्या  पति की कथित प्रेमिका ने जानबूझकर गलत आचरण करके महिला की शादी तोड़ी है। अगर यह साबित हो जाता है तो भारत में यह पहला ऐसा मामला होगा, जिसमें अदालत किसी विवाहेतर संबंध में शामिल तीसरे व्यक्ति को हर्जाना देने का आदेश दे सकती है।

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