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    डाटा सुरक्षा कानून के दायरे में किया जाएगा डिजिटल डाटा का इस्तेमाल, सीबीडीटी सदस्य ने दी जानकारी

    Updated: Mon, 25 Aug 2025 10:30 PM (IST)

    केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य आर.एन. प्रबात ने बताया कि इनकम टैक्स सर्च में लिए गए डिजिटल डाटा का इस्तेमाल डाटा सुरक्षा कानून के तहत होगा। इनकम टैक्स के नए कानून में अधिकारियों को डिजिटल दस्तावेज लेने का अधिकार है। वर्ष 2026 से लागू होने वाले इस कानून के तहत डिजिटल दस्तावेजों के इस्तेमाल के लिए दिशा-निर्देश बनेंगे।

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    टैक्स सर्च में प्राप्त डिजिटल डाटा का इस्तेमाल कानून के दायेर में ही।(फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य (विधान) आर.एन. प्रबात ने बताया कि इनकम टैक्स सर्च के दौरान अधिकारियों द्वारा लिए गए डिजिटल डाटा का इस्तेमाल डाटा सुरक्षा कानून एवं अन्य कानून के दायरे में ही किए जाएंगे। इनकम टैक्स के नए कानून में सर्च के दौरान अधिकारियों को लैपटॉप, ई-मेल व अन्य डिजिटल दस्तावेज लेने का अधिकार दिया गया है।

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    इनकम टैक्स के नए कानून को अधिसूचित कर दिया गया है जिसे वर्ष 2026 के एक अप्रैल से लागू किया जाएगा। नए कानून के संबंध में जानकारी देते हुए प्रबात ने बताया कि सर्च में आगे की जांच के लिए जो डिजिटल दस्तावेज लिए जाएंगे, उनके इस्तेमाल को लेकर दिशा-निर्देश बनाए जाएंगे और डाटा सुरक्षा कानून एवं अन्य कानून के दायरे में ही उनका इस्तेमाल किया जाएगा।

    वेतनभोगियों तक के लिए कानून के प्रविधानों को समझना होगा आसान

    जल्द ही सरकार डाटा सुरक्षा कानून को भी लागू करने जा रही है।प्रबात ने बताया कि टैक्स के नए कानून के अमल में आने पर कारोबारियों से लेकर वेतनभोगियों तक के लिए कानून के प्रविधानों को समझना और उस पर अमल करना आसान हो जाएगा। इनकम टैक्स रिटर्न से लेकर टीडीएस से जुड़े तिमाही फार्म के प्रारूप को भी बदलने की तैयारी है।

    इनकम टैक्स के अधिकारियों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से सरकार का उद्देश्य इनकम टैक्स के नए कानून को बिल्कुल सरल बनाना था जिसे ध्यान में रखते हुए ही नए कानून में शब्दों की संख्या को घटाकर 2.67 लाख कर दिया गया है जबकि वर्तमान इनकम टैक्स कानून में शब्दों की संख्या 5.12 लाख है। 46 अध्याय को घटाकर 23 कर दिया गया है।

    वहीं टेबल की संख्या बढ़ा दी गई है ताकि लोग टेबल देखकर ही कानून को आसानी से समझ सके। टेबल की संख्या को 18 से बढ़ाकर 57 कर दिया गया है। कानून को लिखने के तरीके में भी बदलाव किया गया है और अस्पष्ट शब्दों को हटा दिया गया है। हर सेक्शन में कई फालतू के प्रविधान थे और उन्हें भी हटा दिया गया है।