हवाई यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए बड़े बदलावों की जरूरत, संसदीय समिति ने कीं ये सिफारिशें
संसदीय समिति ने हवाई सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए डीजीसीए को स्वायत्तता देने पायलटों के थकान प्रबंधन पर ध्यान देने और विमानन कंपनियों द्वारा मनमाने किराए पर नियंत्रण रखने की सिफारिश की है। समिति ने हेलीकॉप्टर सेवाओं के लिए सुरक्षा नियम बनाने और पायलट प्रशिक्षण ढांचे को मजबूत करने पर भी जोर दिया है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में हवाई सुरक्षा की स्थिति बहुत संतोषजनक नहीं है। अगर हवाई यात्रा को सुरक्षित बनाना है तो सरकार की तरफ से कई स्तरों पर कदम उठाने होंगे। इसके लिए नियामक संस्था नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) को पूरी तरह से स्वायत्तता देनी होगी।
विमान कंपनियों में कार्यरत पायलटों व चालक दल के अन्य सदस्यों को, एटीसी में काम करने वाले कर्मचारी व अधिकारियों के थकान का ख्याल रखना होगा यानी उन्हें एक निर्धारित समय से ज्यादा काम कराने की परंपरा खत्म करनी होगी।
स्थाई संसदीय समिति की रिपोर्ट
विमानन क्षेत्र की सुरक्षा से जुड़े सभी पहलुओं को दूर करने के लिए सरकार को एक निर्धारित समय सीमा के भीतर दूर करने का कार्यक्रम चलाना होगा। यह बात यातायात, पर्यटन व संस्कृति पर गठित स्थाई संसदीय समिति की ताजी रिपोर्ट में कही गई है।
जद (यू) सांसद संजय झा की अध्यक्षता वाली इस समिति की इस रिपोर्ट को हाल ही में हुए एयर इंडिया विमान हादसे और देश के कुछ हिस्सों में हेलीकाप्टर हादसे के संदर्भ में देखा जा रहा है। समिति ने विमानन कंपनियों की तरफ से अनाप-शनाप किराया बढ़ाने के मुद्दे की तरफ भी सरकार का ध्यान आकर्षित कराया है।
विमानन कंपनियां कितना किराया वसूलें
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के साथ ही डीजीसीए को कहा गया है कि जब हवाई किराये में अचानक ही बहुत ही ज्यादा बढ़ोत्तरी होती है तब उन्हें अधिकार का उपयोग करते हुए हस्तक्षेप करना चाहिए। एयरक्राफ्ट रुल्स, 1937 की धारा 135(4) में सरकार को हस्तक्षेप करने का अधिकार है। समिति का मानना है कि पीक सीजन या आकस्मिक हालात में भी विमानन कंपनियां कितना किराया वसूलें, इसकी भी एक सीमा तय की जानी चाहिए। यह ग्राहकों के हितों की सुरक्षा के लिए और विमानन क्षेत्र में गुटबंदी को रोकने के लिए जरूरी है।
सुरक्षा नियम तैयार होनी चाहिए
मई-जून, 2025 में सिर्फ उत्तराखंड में तीन हेलीकाप्टर हादसे हुए हैं। संसदीय समिति ने हेलीकाप्टर यात्राओं को सुरक्षित बनाने के लिए कहा है कि पूरे देश में हेलीकाप्टर सेवाओं के लिए एक सुरक्षा नियम तैयार होनी चाहिए। इस फ्रेमवर्क के आधार पर ही हर राज्य को हेलीकाप्टर सेवा चलाने की अनुमति होनी चाहिए। इसमें किस क्षेत्र में किस तरह के पायलटों की नियुक्ति होनी चाहिए, इसका भी विवरण होना चाहिए।
पायलट प्रशिक्षण ढांचे में निगरानी की सलाह
अभी नियमों को लेकर स्पष्टता नहीं है। राज्य सरकारें नियम बनाती हैं और केंद्र की इसमें सीमित भूमिका होती है। इससे सुरक्षा की व्यवस्था में कुछ खामियां रह जाती हैं। रिपोर्ट में पायलट प्रशिक्षण ढांचे को मजबूत करने और उड़ान चालक दल के लिए मानवीय कारकों और थकान प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की सिफारिश की गई है। समिति ने पायलटों की पर्याप्त और उच्च गुणवत्ता वाली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पायलट प्रशिक्षण ढांचे में निरंतर निवेश और निगरानी की सलाह दी है।
रिपोर्ट में फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (एफडीटीएल) नियमों का कड़ाई से पालन करने और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देने की सिफारिश की गई है। नागरिक उड्डयन जैसे क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए त्रुटियों की खुली रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करने को बढ़ावा देने की बात कही गई है।
कर्मचारी के हितों की सुरक्षा होना चाहिए
अगर कोई कर्मचारी विभाग के अंदर की बात बाहर लाता है तो उसके हितों की सुरक्षा भी की जानी चाहिए। उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। इससे पारदर्शिता की संस्कृति मजबूत होती है। समिति ने जोर देकर कहा कि यदि भारत को दुर्घटनाओं को रोकना है और एक सक्रिय सुरक्षा व्यवस्था की ओर बढ़ना है, तो इस तरह का बदलाव आवश्यक है।
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