बांग्लादेश के साथ भारत ने की है प्रत्यर्पण संधि... ICT के फैसले के बाद अब क्या करेगी मोदी सरकार?
भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि है, लेकिन भारत हर प्रत्यर्पण अनुरोध मानने के लिए बाध्य नहीं है। संधि के अनुसार, प्रत्यर्पण केवल उन अपराधों के लिए हो सकता है जिनकी सजा दोनों देशों में कम से कम एक वर्ष की कैद या मृत्युदंड हो। बांग्लादेश ने भारत से शेख हसीना को सौंपने का आग्रह किया है, लेकिन प्रत्यर्पण कई शर्तों पर निर्भर करता है।

मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच अपराधियों के प्रत्यर्पण को सरल बनाना (फोटो: पीटीआई)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बांग्लादेश के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि है, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि हर तरह के प्रत्यर्पण आग्रह को मानने के लिए भारत बाध्य है। वर्ष 2013 में दोनों देशों के बीच ढाका में इस बारे में द्विपक्षीय समझौता किया गया था। इसमें वर्ष 2016 में संशोधन किया गया था।
बहरहाल, इसका मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच अपराधियों के प्रत्यर्पण को सरल बनाना है। संधि 23 अक्टूबर 2013 से प्रभावी है। भारत ने पूर्वोत्तर में संगठित गिरोह के अपराधियों और आतंकियों पर नकेल कसने के लिए इस संधि को लेकर तत्परता दिखाई थी। पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय आतंकी संगठनों के सदस्यों के बांग्लादेश में छिपे होने का खतरा रहता है।
प्रत्यर्पण प्रस्ताव मानने के लिए बाध्य नहीं
संधि के मुताबिक प्रत्यर्पण केवल उन अपराधों के लिए हो सकता है जिनकी सजा दोनों देशों में कम से कम एक वर्ष की कैद या मृत्युदंड हो। इसमें हत्या, आतंकवाद, जबरन गायब करना, यातना और मानवता के खिलाफ अपराध शामिल हैं। किसी भी तरह की साजिश को उकसाने वाले व्यक्ति को भी इसके तहत प्रत्यर्पित किया जा सकता है।
एक देश दूसरे देश के प्रत्यर्पण प्रस्ताव को मानने को तभी बाध्य होता है जब उसके यहां भी उक्त अपराध दंडनीय हो। यदि अपराध एक देश में अपराध न हो, तो प्रत्यर्पण नहीं होगा। यदि अपराध राजनीतिक हो (जैसे राजनीतिक रूप से प्रेरित आरोप) तो प्रत्यर्पण से इन्कार किया जा सकता है, लेकिन जबरन गायब करना या यातना जैसे अपराधों को राजनीतिक अपराध नहीं माना जाएगा।
सनद रहे कि बांग्लादेश सरकार ने दिसंबर, 2024 में भारत से आग्रह किया था कि वह भारत में निर्वासित जीवन यापन कर रहीं पूर्व पीएम शेख हसीना को सौंप दे। सोमवार को विशेष न्यायाधिकरण के फैसले के बाद बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर भारत से फिर से मांग की कि शेख हसीना को सौंप दिया जाए।

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