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    India-UK Deal : निर्यात बढ़ोतरी की संभावना गुणवत्ता और क्षमता विस्तार से होगा साकार, चीन-यूरोपीय देशों से होगा मुकाबला

    Updated: Sun, 27 Jul 2025 07:20 AM (IST)

    ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौते के तहत टेक्सटाइल लेदर व गैर लेदर फुटवियर खिलौना जेम्स व ज्वैलरी इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग गुड्स फार्मा जैसे रोजगारपरक सेक्टर में निर्यात बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है। लेकिन इस संभावना को पूरी तरह से साकार करने के लिए उत्पादन की गुणवत्ता और क्षमता विस्तार का पूरा ध्यान रखना होगा। कृषि उत्पाद और प्रोसेस्ड फूड्स के निर्यात में भी बड़ी संभावना दिख रही है।

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    निर्यात बढ़ोतरी की संभावना गुणवत्ता और क्षमता विस्तार से होगा साकार (सांकेतिक तस्वीर)

     राजीव कुमार, नई दिल्ली। ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौते के तहत टेक्सटाइल, लेदर व गैर लेदर फुटवियर, खिलौना, जेम्स व ज्वैलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग गुड्स, फार्मा जैसे रोजगारपरक सेक्टर में निर्यात बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है। लेकिन इस संभावना को पूरी तरह से साकार करने के लिए उत्पादन की गुणवत्ता और क्षमता विस्तार का पूरा ध्यान रखना होगा।

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    कृषि उत्पाद के निर्यात में भी बड़ी संभावना दिख रही

    कृषि उत्पाद और प्रोसेस्ड फूड्स के निर्यात में भी बड़ी संभावना दिख रही है, लेकिन इसके लिए भी भारतीय कृषि उत्पादों की गुणवत्ता का खास ख्याल रखना होगा क्योंकि यूरोप के देश चावल से लेकर भारतीय मसाले जैसे कई कृषि उत्पादों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर चुके हैं।

    ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था का आकार भारत से छोटा

    ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था का आकार भले ही भारत से छोटा है, लेकिन ब्रिटेन सालाना 750 अरब डॉलर का आयात करता है और इस आयात में चीन, यूरोपीय देश और अमेरिका की बड़ी हिस्सेदारी है। हालांकि भारत जिन वस्तुओं का निर्यात करता है, उनमें भारत का मुख्य मुकाबला चीन, बांग्लादेश, वियतनाम जैसे देशों से है।

    चीन ब्रिटेन में सालाना 90 अरब डॉलर, जर्मनी 80 अरब डॉलर, अमेरिका 75 अरब डालर का निर्यात करता है। भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में ब्रिटेन को 14.5 अरब डालर का वस्तु निर्यात और 18.4 अरब डॉलर का सेवा निर्यात किया।

    खरीदारों के लिए गुणवत्ता काफी मायने रखती है

    अगले पांच साल में इस व्यापार को दोगुना करने की संभावना जताई जा रही है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंशिएटिव के संस्थापक अजय श्रीवास्तव कहते हैं ब्रिटेन एक विकसित देश है जहां प्रति व्यक्ति आय 50,000 डॉलर से अधिक है। वहां के खरीदारों के लिए गुणवत्ता काफी मायने रखती है।

    ऐसे में, शुल्क में राहत मिलने से ब्रिटेन के बाजार में भारत के निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा क्षमता तो बढ़ जाएगी, लेकिन गुणवत्ता वाले माल के सप्लायर ही अपना निर्यात बढ़ा सकेंगे या उस बाजार में टिक पाएंगे। इसलिए भारतीय निर्यातकों को अपने उत्पाद की उच्च गुणवत्ता पर फोकस करना ही होगा।

    ब्रिटेन के बाजार में धाक जमाने में सफलता मिलेगी

    फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के महानिदेशक एवं सीईओ अजय सहाय ने बताया कि गुणवत्ता पर विशेष जोर होने से पहले बड़े प्लेयर्स को ब्रिटेन के बाजार में धाक जमाने में सफलता मिलेगी।

    चीन के साथ ब्रिटेन का कोई समझौता नहीं है, इसलिए व्यापार समझौते पर अमल के बाद भारतीय वस्तुएं चीन की वस्तुओं की तुलना में सस्ती होंगी। वियतनाम के साथ ब्रिटेन का व्यापार समझौता है, इसलिए वियतनाम के साथ भारत का कड़ा मुकाबला होगा।

    भारत के गारमेंट और फुटवियर निर्यात पर कोई शुल्क नहीं लगेगा

    अति कम विकसित देशों की श्रेणी में होने की वजह से पाकिस्तान और बांग्लादेश से ब्रिटेन में होने वाले निर्यात पर कोई शुल्क नहीं लगता है और मुख्य रूप से इन देशों से गारमेंट और फुटवियर का निर्यात होता है। अब भारत के गारमेंट और फुटवियर निर्यात पर कोई शुल्क नहीं लगेगा, इससे उनकी प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ जाएगी।

    अब निर्यात बढ़ाना निर्यातकों के हाथ में है

    विशेषज्ञों के मुताबिक अब निर्यात बढ़ाना निर्यातकों के हाथ में है। निर्यातकों ने बताया कि आर्डर मिलने पर वे अपनी उत्पादन क्षमता को आसानी से बढ़ा लेंगे। काउंसिल ऑफ लेदर एक्सपोर्ट के चेयरमैन आर.के. जालान कहते हैं कि उत्पादन क्षमता में विस्तार के लिए हम सोमवार को उद्योग विभाग के साथ बैठक करने जा रहे हैं। भारत के लेदर आइटम की सप्लाई पहले से ब्रिटेन के बाजार में हो रही है।

    ब्रिटेन के बाजार में गारमेंट्स का निर्यात लगातार बढ़ रहा है

    अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर ने बताया कि ब्रिटेन के बाजार में गारमेंट्स का निर्यात लगातार बढ़ रहा है और इस समझौते से भारत को बड़ा मौका मिल सकता है और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए हम राज्य सरकार से दो शिफ्ट में काम करने की इजाजत मांग रहे हैं।

    • ब्रिटेन सालाना 30 अरब डॉलर के टेक्सटाइल का आयात करता है और उसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 1.73 अरब डॉलर की है
    • ब्रिटेन 10 अरब डालर के लेदर फुटवियर का आयात करता है जिसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ आधा अरब डालर की है
    • ब्रिटेन 22 अरब डॉलर के प्लास्टिक आइटम का आयात करता है जिसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 30 करोड़ की है
    • ब्रिटेन तीन अरब डॉलर के ज्वैलरी का आयात करता है जिसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 40 करोड़ डॉलर की है
    • ब्रिटेन 5.4 अरब डॉलर के समुद्री उत्पाद का आयात करता है जिसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 2.25 प्रतिशत की है