अमेरिका और चीन के बाद भारत करेगा कमाल, अंतरिक्ष में होगा खुद का स्पेस स्टेशन; ISRO ने दिखाई पहली झलक
भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए अपने पहले भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का मॉडल पेश किया है। ISRO ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस समारोह में स्टेशन के पहले मॉड्यूल का प्रदर्शन किया जिसका लक्ष्य 2028 तक पहला हिस्सा लॉन्च करना है। इस स्टेशन का वजन लगभग 10 टन होगा और यह 450 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया जाएगा।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए अपने पहले भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का मॉडल पेश किया है। ISRO ने शुक्रवार को दिल्ली के भारत मंडपम में शुरू हुए राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस समारोह के मौके पर इस स्टेशन के पहले मॉड्यूल का मॉडल प्रदर्शित किया।
भारत की योजन है कि 2028 तक इस स्टेशन का पहला हिस्सा लॉन्च कर दिया जाए। अभी तक केवल दो देश अमेरिका समेत सहयोगी देशों का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) और चीन का तियांगोंग स्टेशन ही स्पेस पर काम कर रहा है।
2035 तक बन जाएगा स्टेशन
ISRO ने बताया कि स्टेशन का पहला मॉड्यूल BAS-01 लगभग 10 टन वजनी होगा और इसे 450 किलोमीटर ऊंचाई पर धरती के कक्ष में स्थापित किया जाएगा। भारत की योजना है कि 2035 तक कुल पांच मॉड्यूल जोड़कर एक पूर्ण अंतरिक्ष स्टेशन तैयार कर लिया जाए।
भारतीय स्पेस स्टेशन की खास बातें
- इसमें पूरी तरह से भारत में बनी इनवर्नमेंट कंट्रोल एंड लाइफ सपोर्ट सिस्टम (ECLSS) होगी।
- भारत डॉकिंग सिस्टम और भारत बर्थिंग मैकेनिज्म के जरिए अन्य यान जुड़ सकेंगे।
- स्टेशन में ऑटोमेटेड हैच सिस्टम, माइक्रोग्रैविटी रिसर्च प्लेटफॉर्म और वैज्ञानिक इमेजिंग के लिए व्यूपोर्ट होंगे।
भारत के अंतरिक्ष स्टेशन पर मानव स्वास्थ्य पर माइक्रोग्रैविटी के असर, स्पेस में दवाइयों और जीवन विज्ञान पर शोध होगा। यहां से लंबे समय तक इंसानों की उपस्थिति के लिए जरूरी तकनीक भी विकसित की जाएगी। इसके अलावा, इस स्टेशन में स्पेस टूरिज्म भी होगी, जिससे भारत वाणिज्यिक अंतरिक्ष क्षेत्र में नई राह खोलेगा।
बढ़ेगा भारत का दबदबा
यह स्टेशन अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देगा और भारत को वैश्विक शोध केंद्र बनाएगा। साथ ही, यह प्रोजेक्ट युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
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