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    'देश पहले, व्यापार बाद में', ट्रंप टैरिफ के बाद भी नहीं झुका भारत; मोदी सरकार ने दिया ये संदेश

    Updated: Wed, 27 Aug 2025 05:09 PM (IST)

    भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ रहा है क्योंकि अमेरिका ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है जिसका कारण रूस से तेल खरीदना बताया गया है। भारतीय तेल रिफाइनरी कंपनियों का कहना है कि वे रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करेंगे क्योंकि सरकार अमेरिकी दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं है।

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    रूसी तेल पर भारत अमेरिका में तनाव अमेरिकी टैरिफ का असर (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। अमेरिका ने आज से भारत पर 25% एक्सट्रा टैरिफ लगाया दिया है। इसके पीछे की वजह अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने को बताया है।

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    हालांकि, भारतीय तेल रिफाइनरी कंपनियों का कहना है कि रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद नहीं होगा। उनका मानना है कि सरकार अमेरिकी दबाव के आगे झुकेगी नहीं। अधिकारियों का साफ संदेश है कि 'देश पहले-व्यापार बाद में'।

    सरकार से नहीं मिला कोई आदेश

    तेल कंपनियों के अधिकारियों ने बताया कि सरकार की तरफ से रूस से तेल खरीद बंद करने का कोई आदेश नहीं मिला है। सितंबर महीने में ऑर्डर थोड़े कम जरूर हुए हैं, लेकिन इसका कारण अमेरिकी टैरिफ नहीं बल्कि रूस की तरफ से कम डिस्काउंट मिलना है।

    पिछले साल रूसी कच्चा तेल 2.5 डॉलर से लेकर 3 डॉलर प्रति बैरल तक सस्ता मिल रहा था, लेकिन अब यब छूट घटकर सिर्फ 1.5 डॉलर से लेकर 1.7 डॉलर प्रति बैरल रह गई है। अधिकारी मानते हैं कि अक्टूबर से ऑर्डर फिर बढ़ सकते हैं, क्योंकि रूस फिर से छूट बढ़ाने की तैयारी कर रहा है।

    रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करेगा भारत

    एक उद्योग अधिकारी ने कहा, "सरकार का संदेश साफ है कि हम झुकेंगे नहीं। अगर अभी तेल आयात रोक दिया तो अमेरिका और शर्तें थोपेगा।" तेल उद्योग से जुड़े जानकार मानते हैं कि अगर भारत चाहे तो दूसरे देशों से भी आसानी से कच्चा तेल खरीद सकता है।

    लेकिन ऐसा करना अमेरिका के दबाव में झुकना माना जाएगा। इसलिए सरकार इस विकल्प से फिलहाल बचना चाहती है। उन्होंने कहा कि अगर भारत तुरंत रूसी तेल खरीदना बंद कर देता है तो वैश्विक तेल बाजार पर बहुत बड़ा असर नहीं पड़ेगा।

    बदल सकता है सप्लाई चेन

    ऐसा इसलिए, क्योंकि रूस फिर तेल किसी और देश को बेचेगा और बाकी तेल भारत खरीद लेगा। बस सप्लाई चेन थोड़ी बदलेगी। फिलहाल, भारतीय रिफाइनरियां हालात पर नजर बनाए हुए हैं और उनका ध्यान सिर्फ इतना है कि पर्याप्त और लगातार तेल मिलता रहे।

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