'दर्दनाक परिणाम', भारत की पाकिस्तान को दो टूक- 'अपनी बयानबाजी पर संयम रखें'
पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ दिए गए दुर्भावनापूर्ण बयानों पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तानी नेताओं को संयम बरतने की चेतावनी दी है और कहा है कि किसी भी गलत हरकत के गंभीर परिणाम होंगे। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि पाकिस्तान अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए भारत विरोधी बयानबाजी करता है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पाकिस्तान की तरफ से हाल के हफ्तों में जिस तरह से भारत के खिलाफ बेहद दुर्भावनापूर्ण बयान आए हैं, उन सभी पर सरकार की नजर है।
विदेश मंत्रालय ने इन बयानों पर पाकिस्तान के नेताओं को सधे शब्दों में चेतावनी भी दे दी है कि वह संयम का परिचय दें नहीं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
आसिम मुनीर ने की थी आपत्तिजनक टिप्पणी
पिछले कुछ दिनों के भीतर पहले पाकिस्तान सेना के प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने भारत को लेकर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की और परमाणु हथियारों व मिसाइलों के इस्तेमाल करने तक की बात की। इसके बाद पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो और पीएम शाहबाज शरीफ ने सिंधु जल संधि पर भारत की कार्रवाई को लेकर धमकी दी।
'असफलताओं को छिपानी के पाकिस्तान करता है ऐसा'
इन बयानों को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से जब पूछा गया तो उनका जवाब था कि हमने पाकिस्तानी नेतृत्व द्वारा भारत के खिलाफ लापरवाह, युद्ध उन्मादी और घृणास्पद बयानों के निरंतर पैटर्न को देखा है।
उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तानी नेतृत्व का एक जाना-माना तरीका है कि वे अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए बार-बार भारत विरोधी बयानबाजी को हवा देते हैं। पाकिस्तान को सलाह दी जाती है कि वह अपनी बयानबाजी को संयमित करे, क्योंकि किसी भी गलत हरकत के गंभीर परिणाम होंगे, जैसा कि हाल ही में दिखाया गया था।
पाक के पीएम शहबाज शरीफ ने कही थी ये बात
कहने की जरूरत नहीं कि जायसवाल ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान सेना को हुई हानि की तरफ इशारा कर रहे थे। पाक के पीएम शरीफ ने एक दिन पहले कहा है कि दुश्मन हमारा एक बूंद पानी भी नहीं रोक सकता। अगर वह ऐसा करता है तो उसे ऐसा सबक सिखाया जाएगा कि वह कभी नहीं भूल सकेगा। इसी तरह से पूर्व विदेश मंत्री भुट्टो ने भी उकसावे वाला बयान दिया है।
- इसके साथ ही भारत ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि सिंधु जल समझौते पर हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता अदालत के किसी फैसले को वह स्वीकार नहीं करता।
- जायसवाल ने कहा कि उक्त मध्यस्थता न्यायालय की कानूनी वैधता, प्रामाणिकता या अधिकार क्षेत्र को वह स्वीकार नहीं किया है। ऐसी घोषणाएं उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर, इनका कोई कानूनी आधार नहीं है तथा इनका भारत के जल उपयोग के अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
- पाकिस्तान द्वारा तथाकथित फैसले के भ्रामक बयानों को भी भारत साफ तौर पर खारिज करता है। जैसा कि हमारी 27 जून, 2025 के बयान में दोहराया गया था कि भारत सरकार ने सिंधु जल संधि फिलहाल स्थगित कर रखा है। यह निर्णय पाकिस्तान द्वारा सीमा-पार आतंकवाद के लगातार समर्थन के जवाब में लिया गया था।
- भारत ने पहले कहा था कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह तथाकथित मध्यस्थता अदालत अवैध है, क्योंकि इसका गठन 1960 की सिंधु जल संधि का उल्लंघन करके किया गया था। भारत ने कभी भी इस कोर्ट को कानूनी मान्यता नहीं दी और न ही इसके किसी भी पिछले फैसले को स्वीकार किया है।
यह भी पढ़ें: 'तो दर्द नहीं झेल पाओगे...', शहबाज और मुनीर की गीदड़भभकी पर भारत का पलटवार
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।