Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आकाश फतह करने के बाद समुद्र की गहराइयों तक पहुंचा भारत, वैज्ञानिक राजू रमेश ने 4,025 मीटर तक लगाया गोता

    Updated: Thu, 14 Aug 2025 11:30 PM (IST)

    भारतीय एक्वानाट ने भारत-फ्रांस महासागर मिशन के तहत उत्तरी अटलांटिक महासागर में 5000 मीटर की गहराई तक गोता लगाकर इतिहास रचा। यह उपलब्धि स्वदेशी मिशन समुद्रयान से पहले मिली है। दो भारतीय विज्ञानी राजू रमेश और जतिंदर पाल सिंह ने फ्रांसीसी पनडुब्बी नटाइल पर सवार होकर यह कीर्तिमान स्थापित किया। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसे भारत की दोहरी विजय का हिस्सा बताया।

    Hero Image
    मिशन 'समुद्रयान' के लिए बड़ी कामयाबी, विज्ञानी राजू रमेश ने 4,025 मीटर तक लगाया गोता।(फाइल फोटो)

    आईएएनएस, नई दिल्ली। आकाश फतह के बाद अब भारत ने समुद्र की गहराइयों में भी अपना कौशल दिखाया है। भारतीय 'एक्वानाट' ने भारत-फ्रांस महासागर मिशन के तहत उत्तरी अटलांटिक महासागर में पांच हजार मीटर की गहराई तक गोता लगाकर 140 करोड़ से अधिक भारतीयों को गर्व से सीना चौड़ा करने का एक और मौका दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह समुद्र के रहस्यों का पता लगाने के स्वदेशी मिशन 'समुद्रयान' से पहले बड़ी उपलब्धि है। यह सफलता ऐसे समय में मिली है कि अंतरिक्षयात्री शुभांशु शुक्ला ने कुछ ही दिनों पहले आइएसएस पर पहली बार भारत का परचम लहराकर 140 करोड़ से अधिक भारतीयों का स्वाभिमान सातवें आसमान पर पहुंचाया था।पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि अटलांटिक महासागर में फ्रांसीसी पनडुब्बी नटाइल पर सवार दो भारतीयों ने कीर्तिमान बनाया।

    पांच अगस्त को राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइओटी) के विज्ञानी राजू रमेश 4,025 मीटर नीचे तक पहुंचे। इसके अगले दिन सेवानिवृत्त नौसेना कमांडर जतिंदर पाल सिंह ने 5,002 मीटर की रिकॉर्ड गहराई तक गोता लगाया।

    यह मिशन गहरे समुद्र मिशन के अंतर्गत भारत-फ्रांस सहयोग का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य चरम समुद्री वातावरण में वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाना था।

    इससे भविष्य में गहरे समुद्र में होने वाले अभियानों के लिए मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा,"यह उपलब्धि भारत की महत्वाकांक्षी मत्स्य 6000 परियोजना की दिशा में बड़ा कदम है।"

    यह सफलता समुद्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती क्षमताओं को दर्शाता है, तथा समुद्री अनुसंधान में हमारी वैश्विक साझेदारी को मजबूत करता है।उन्होंने कहा, भारतीय अंतरिक्ष में जा रहे हैं, वहीं लगभग उसी समय भारतीय जलयात्री गहरे समुद्र में भी जा रहे हैं। यह भारत की ''दोहरी विजय'' का हिस्सा है। यह देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान देगा।

    मंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरे समुद्र मिशन और नीली अर्थव्यवस्था (समुद्र पर आधारित आर्थिकी) में रुचि दिखाई है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव एम. रविचंद्रन ने कहा कि गहरे समुद्र मिशन का उद्देश्य भारत की अपनी पनडुब्बी मत्स्य 6000 को लांच करने से पहले प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करना है।

    अंतरिक्ष और गहरे समुद्र में पहला स्वदेशी अभियान शुरू करेगा भारत

    भारत जल्द ही अंतरिक्ष (आकाश) में 'गगनयान' और गहरे समुद्र में 'समुद्रयान' के तहत परचम लहराना चाहता है। ये दोनों मिशन अंतरिक्ष और समुद्र में भारत का पहला स्वदेशी मिशन होगा। 'गगनयान' में पृथ्वी की 400 किलोमीटर की निचली कक्षा में तीन अंतरिक्षयात्रियों को भेजा जाएगा।

    इसके बाद पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी भी कराई जाएगी, वहीं 'समुद्रयान' भारत का पहला मानवयुक्त गहरा समुद्र मिशन है। इस मिशन के तहत स्वदेशी पनडुब्बी मत्स्य 6000 छह हजार मीटर की गहराई तक समुद्र के रहस्य को खंगालेगा। तीन विज्ञानियों को लेकर 'मत्स्य' समुद्र के सफर पर रवाना होगा।

    'मत्स्य' को स्वदेशी तकनीक से किया गया है विकसित

    स्वदेशी तकनीक से विकसित, 25 टन के चौथी पीढ़ी के यान को विशेष रूप से गहरे समुद्र में अत्यधिक दबाव और तापमान का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें टाइटेनियम से बना पतवार है। इसमें वैज्ञानिक उपकरण, संचार प्रणालियां और सुरक्षा सुविधाएं होंगी।