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    'सेना में महिलाओं को भी भर्ती किया जाए..21 साल की लड़की ने लिखी थी चिट्ठी'; पढ़ें सेना में नारी शक्ति का सफर

    7 मई की वो तस्‍वीर दुनिया भर ने देखी थी जिसमें सैन्य बलों की दो जांबाज महिला अफसर सेना की प्रेस ब्रीफिंग में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जानकारी दे रही थीं। यह तस्‍वीर सेना में नारी शक्ति के दबदबे की तस्‍वीर बनी। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि भारतीय फौज में महिलाओं की एंट्री कब शुरू हुई?

    By Deepti Mishra Edited By: Deepti Mishra Updated: Tue, 01 Jul 2025 05:49 PM (IST)
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    फौज में फाइटर जेट से एयर डिफेंस सिस्‍टम तक संभाल रहीं महिलाएं। जागरण ग्राफिक्‍स

    डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। पहलगाम आतंकी हमले का जवाब देते हुए भारतीय सैन्‍य बलों ने 'ऑपरेशन सिंदूर' लॉन्च किया। 7 मई को सैन्य बलों की दो जांबाज महिला अफसर सेना की प्रेस ब्रीफिंग में 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर जानकारी दे रही थीं, यह तस्वीर न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया ने देखी।

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    उस प्रेस ब्रीफिंग में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी के एक तरफ कर्नल सोफिया तो दूसरी ओर विंग कमांडर व्‍योमिका सिंह थीं। यह भारतीय सशस्त्र बलों में भारतीय नारी शक्ति की एकदम तस्वीर थी।

    भारतीय सैन्‍य बलों महिलाओं की उपस्थित कोई अभी से नहीं है। साल 1992 की वो चिट्ठी तो याद ही होगी, जो 21 साल की एक लड़की ने भारतीय सेना प्रमुख को लिखी थी, जिसमें सेना में महिलाओं को भी शामिल होने की अनुमति देने की अपील की थी।

    चिट्ठी का असर यह हुआ कि भारतीय सेना प्रमुख न सिर्फ पत्र लिखने वाली लड़की को चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी बुलाया, बल्कि जल्द ही 25 महिला कैडेटों के एक बैच को भारतीय सेना में शामिल किया। चिट्ठी लिखने वाली लड़की कोई और नहीं, कैप्टन प्रिया झिंगन जोकि अब रिटायर हो चुकी हैं। इसी समयावधि में वायुसेना और नौसेना में भी महिलाएं शामिल हुईं।

    साल 1992 में तत्कालीन सेना प्रमुख को पत्र लिखकर महिलाओं की भर्ती की अपील करने वाली पहली महिला कैडेट प्रिया झिंगन।

    भारतीय सेना में शामिल होने वाली पहली महिला कौन?

    प्रिया झिंगन सेना में भर्ती होने वाली पहली महिला कैडेट थीं।  हालांकि, इससे कई दशक पहले भी एक महिला भारतीय सेना में सेवा दी थी, जिनका नाम था गर्ट्रूड एलिस राम (Gertrude Alice Ram)। वे साल 1940 के दशक में सेना में शामिल हुई थीं और 1960 के दशक तक सेना में रहीं।

    भारतीय सेना की पहली महिला ब्रिगेडियर और नर्सिंग सर्विस प्रमुख के तौर पर जाना जाता है।  गर्ट्रूड एलिस राम  भारतीय सेना की नर्सिंग सेवा में कार्यरत थीं।

    भारतीय फौज में महिलाओं की आधिकारिक एंट्री बेशक 90 के दशक में हो चुकी थी, लेकिन बीते कुछ सालों के दौरान भारतीय सैन्य बलों में महिलाओं की भागीदारी में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी देखने को मिली है। सेना में महिलाओं की दुनिया अब भारतीय सेना में शक्ति रूपी महिलाओं की मौजूदगी को भी बड़ी शिद्दत से महसूस कर रही है।

    मिसाइल हो या एअर डिफेंस, चला रहीं महिलाएं

    भारतीय फौज में अब महिलाएं पायलट भी हैं। वे मिसाइलें चलाती हैं और एयर डिफेंस भी करती हैं। मोर्चे पर भी जाती हैं और घुसपैठियों के मंशूबे माटी में भी मिलाती हैं। वे वहां इंजीनियरिंग संबंधी कार्य देखती हैं, सैटेलाइट कंट्रोल करती हैं और टेक्निकल इंटेलिजेंस गैदरिंग करती हैं

    फौज में महिलाओं को शामिल करने के लिए क्‍या बदलाव हुए?

    सेना में महिला अधिकारियों और अन्य रैंकों (ORs) के प्रतिशत अनुपात को बढ़ाने की दिशा में भी अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सैन्य विशेषज्ञों की मानें तो आज भारतीय सशस्त्र बल जेंडर न्यूट्रल है।

    यानी सैन्य बलों और सैन्य सेवाओं में पुरुष तथा महिला सैनिकों की तैनाती, कार्य परिस्थितियों और सुविधाओं में कोई अंतर नहीं होता है। पोस्टिंग संगठनात्मक आवश्यकताओं के अनुसार होती है। महिलाओं की नियुक्ति उनकी योग्यता के आधार पर होती है।

    ऑपरेशन सिंदूर की प्रेस ब्रीफिंंग के दौरान कर्नल सोफिया (दाएं) और विंग कमांडर व्‍योमिका सिंह (बाएं)

    सशस्त्र बलों में महिलाएं संभाल रहीं अहम मोर्चे

    भारतीय सशस्त्र बलों के तीनों अंगों- थल सेना, नौसेना और वायुसेना में अब महिलाओं को लड़ाकू (कॉम्बैट) भूमिकाएं भी सौंपी जा रही हैं। इन्हें अधिकारियों के तौर पर निगरानी और नेतृत्व की जिम्मेदारियां भी दी जा रही हैं।

    वो ऐतिहासिक फैसला, जिसने बदले हालात?

    साल 2021 के पहले तक भारतीय सेना में महिलाएं केवल शॉर्ट कमीशन के जरिए ही शामिल हो सकती थीं (यानी सीमित अवधि की सेवा), लेकिन 17 फरवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद स्थिति बदल गई।

    23 नवंबर 2021 को सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया, जिसके तहत भारतीय सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने की शुरुआत हुई। यानी अब पुरुषों की तरह महिलाएं भी पूरी सेवा अवधि तक सेना में बनी रह सकती हैं और नेतृत्व की भूमिका भी निभा सकती हैं।

    भारतीय फौज.. जब पहली बार सेना में शामिल हुईं महिलाएं

    वुमन्स ऑक्जीलरी कॉर्स ने खोली राह

    यह बात उस वक्‍त की है, जब भारत में आजादी की लड़ाई जोर-शोर से जारी थी। दुनिया में द्वितीय विश्व युद्ध जारी था। इसी दौरान गठित एक सहायक सैन्य संगठन था। इस संगठन को ब्रिटिश भारत में महिलाओं को  युद्धकालीन सेवाओं में शामिल करने के उद्देश्य से बनाया गया था।

    गर्ट्रूड एलिस राम

    भारतीय सेना में मेजर जनरल का ओहदा पाने वाली भारत की पहली महिला (1976) थीं। गर्ट्रूड एलिस राम सेना में टू स्टार हासिल करने वाली भी पहली महिला बनीं। वे मिलिट्री नर्सिंग सर्विस की महानिदेशक भी रहीं। उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल (पीवीएसएम) से भी सम्मानित किया गया था।

    कैप्टन सी. आर. लीना

    सेना के गैलेंट्री अवार्ड (सेना पदक) से सम्मानित होने वाली पहली महिला। लीना को यह अवार्ड साल 1995 में दिया गया था। वह 1992 में जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में पोस्टेड थीं।

    डॉ. पुनीता अरोड़ा

    डॉ. पुनीता अरोड़ा साल 2004 में थल सेना में 'लेफ्टिनेंट जनरल' की रैंक प्राप्त करने वाली पहली महिला बनीं। बाद में वे नौसेना में चली गईं, जहां 'वाइस एडमिरल' का ओहदा पानी वाली प्रथम महिला बनीं।

    स्क्वाड्रन लीडर मोहना

    मोहना सिंह साल 2016 में भारतीय वायुसेना की तेजस फाइटर स्क्वाड्रन में शामिल होने वाली पहली महिला बनीं,  इससे पहले वे मिग-21 बाइसन भी उड़ा चुकी हैं।

    कमांडर प्रेरणा देवस्थली

    नौसेना की पश्चिमी फ्लीट में युद्धपोत की कमान संभालने वाली पहली महिला अधिकारी हैं। अभी आईएनएस चेन्नई (गाइडेड मिसाइल विध्वंसक जहाज) की 'प्रथम लेफ्टिनेंट' के पद पर कार्यरत हैं। वे टुपोलेव टीयू-142 पर तैनात होने वाली पहली महिला ऑब्जर्वर भी रहीं।

    ग्रुप कैप्टन शालिजा धामी

    वायुसेना की ऐसी पहली महिला अधिकारी बनीं, जो फ्रंटलाइन कॉम्बैट यूनिट की कमान संभाल रही हैं। फ्लाइंग यूनिट की फ्लाइट कमांडर बनने वाली भी पहली महिला हैं।

    NDA में कितने प्रतिशत सीटों पर होती हैं लड़कियों की भर्ती?

    भारतीय फौज में पहले महिलाओं को शॉर्ट सर्विस में ही लिया जाता था, लेकिन साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले स्थिति में सुधार हुआ है। मौजूदा वक्‍त में एनडीए में जितनी सीटें होती हैं, उनमें औसतन 10 फीसदी सीटों पर लड़कियां सिलेक्ट होती हैं और  वे भी ओपन कॉम्पटिशन से।

    आर्म्ड फोर्सेज में आने के बाद उनके लिए भी अवसर बराबर होते हैं। उनका कॅरियर प्रोग्रेस भी वैसा ही होगा, जैसा लड़कों का होगा। सर्विस रूल्स समान होते हैं। अब अगर यह कहा जाए कि हमारी फौज अब पूरी तरह से जेंडर न्यूट्रलाइज है तो गलत नहीं है। 

    सैन्य बलों में कितनी महिलाएं?

    भारत की तीनों सेनाओं (थल सेना, नौसेना, वायुसेना) में कितनी महिलाएं काम करती हैं, इसको लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में अगस्त 2023 में संसद में आंकड़े पेश किए गए थे। केंद्रीय रक्षा मंत्री अजय भट्ट की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक,  11,414 महिलाएं तीनों सेनाओं में सेवाएं दे रही हैं।

    यह भी पढ़ें- Colonel & Wing Commander Salary: कितनी होती है भारतीय सेना के कर्नल और वायुसेना के विंग कमांडर की सैलरी?

    कहां कितनी महिला अधिकारी?

    • 7,054 महिलाएं भारतीय थल सेना में सेवारत हैं। इनमें 1,733 महिला अधिकारी हैं।
    • 1,654 महिलाएं भारतीय वायुसेना में अधिकारी बतौर सेवारत और 155 महिलाएं 'एयरमेन' (अग्निवीर वायु) के रूप में सेवा दे रही हैं।
    • 580 महिलाएं अधिकारी बतौर सेवारत हैं भारतीय नौसेना में और 726 महिलाएं 'सैलर्स' (अग्निवीर) के तौर पर तैनात हैं।

    मेडिकल कॉर्प्स और एमएनएस

    • 1212 महिलाएं भारतीय थल सेना के आर्मी मेडिकल कॉर्प्स, 168 आर्मी डेंटल कॉर्प्स और 3,841 मिलिट्री नर्सिंग सर्विस (MNS) में हैं।
    • 151 महिलाएं नौसेना के मेडिकल कॉस, 10 महिलाएं डेंटल कॉर्प्स और 380 महिलाएं मिलिट्री नर्सिंग सर्विस में सेवारत हैं।
    • 274 महिलाएं भारतीय वायुसेना के मेडिकल कॉर्प्स, 5 महिलाएं डेंटल कॉस और 425 महिलाएं मिलिट्री नर्सिंग सर्विस में सेवारत हैं।

    (नोट- यह आंकड़ा 1 जनवरी 2023 तक का है।)

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