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    ट्रंप के टैरिफ से कैसे निपटेगा भारत? Experts ने बनाया शानदार प्लान, सरकार से की ये मांग

    Updated: Sun, 03 Aug 2025 09:00 PM (IST)

    खाद्य समुद्री और कपड़ा जैसे विभिन्न क्षेत्रों के भारतीय निर्यातकों ने 25% ट्रंप शुल्क से निपटने के लिए सरकार से वित्तीय सहायता और सस्ती दरों पर ऋण की मांग की है। निर्यातकों ने उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) जैसी योजनाओं की भी मांग की है। उनका कहना है कि अमेरिकी खरीदारों ने ऑर्डर रद्द करना शुरू कर दिया है जिससे नौकरियां जा सकती हैं।

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    केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से मिले एक्सपोर्टर्स। (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। उद्योग अधिकारियों ने बताया कि खाद्य, समुद्री और कपड़ा सहित विभिन्न क्षेत्रों के भारतीय निर्यातकों ने 25 प्रतिशत ट्रंप शुल्क से निपटने के लिए सरकार से वित्तीय सहायता और किफायती ऋण की मांग की है।

    उन्होंने बताया कि मुंबई में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक में कुछ निर्यातकों ने उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) जैसी योजनाओं की मांग की। एक अधिकारी ने कहा, निर्यातकों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से घोषित उच्च शुल्क के कारण अमेरिकी बाजार में आने वाली समस्याओं पर अपनी राय रखी।

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    मंत्री ने लिखित मांगे सुझाव

    उन्होंने आगे बताया कि मंत्री ने कहा कि निर्यातक समुदाय अपने सुझाव लिखित रूप में भेजें। उन्होंने सस्ती दरों पर ऋण और राजकोषीय प्रोत्साहन की भी मांग की। निर्यातकों के अनुसार, भारत में ब्याज दरें आठ से 12 प्रतिशत या उससे भी अधिक होती हैं। प्रतिस्पर्धी देशों में, ब्याज दर बहुत कम है। उदाहरण के लिए, चीन में केंद्रीय बैंक की दर 3.1 प्रतिशत, मलेशिया में तीन प्रतिशत, थाईलैंड में दो प्रतिशत और वियतनाम में 4.5 प्रतिशत है।

    जा सकती हैं लोगों की नौकरियां

    उन्होंने कहा, परिधान और झींगा जैसे क्षेत्रों की स्थिति अच्छी नहीं है। अमेरिकी खरीदारों ने ऑर्डर रद करना या रोककर रखना शुरू कर दिया है। आने वाले महीनों में, इसका असर अमेरिका को भारत के निर्यात पर पड़ सकता है, और निर्यात में गिरावट के कारण, नौकरियां जा सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के लिए राजकोषीय प्रोत्साहन देना मुश्किल होगा।

    इन उद्योगों पर पड़ेगा असर

    इस सप्ताह घोषित 25 प्रतिशत शुल्क सात अगस्त से लागू होगा। यह शुल्क अमेरिका में मौजूदा मानक आयात शुल्क के अतिरिक्त होगा। इस उच्च कर का खामियाजा जिन क्षेत्रों को भुगतना पड़ेगा, उनमें कपड़ा/वस्त्र (10.3 अरब डालर), रत्न एवं आभूषण (12 अरब डालर), झींगा (2.24 अरब डॉलर), चमड़ा एवं जूते-चप्पल (1.18 अरब डालर), रसायन (2.34 अरब डालर), और विद्युत एवं यांत्रिक मशीनरी (लगभग नौ अरब डालर) शामिल हैं। भारत के चमड़ा और परिधान निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से अधिक है।

    कपड़ा मंत्रालय अगले सप्ताह उद्योग जगत करेगा मुलाकात

    केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह अगले सप्ताह उद्योग जगत के हितधारकों से मुलाकात करेंगे और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा के संभावित असर पर विचार-विमर्श करेंगे। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

    कपड़ा और परिधान निर्यात के लिए अमेरिका भारत का सबसे बड़ा बाजार है, जो इस क्षेत्र से देश के कुल निर्यात का लगभग 25 प्रतिशत है। सूत्रों ने बताया कि बैठक में पिछले महीने हस्ताक्षरित ब्रिटेन-भारत एफटीए से भारत के कपड़ा क्षेत्र को होने वाले संभावित लाभ पर भी चर्चा होगी। सरकार और उद्योग 2030 तक 100 अरब डालर के कपड़ा निर्यात लक्ष्य को हासिल करने और अमेरिकी शुल्क घोषणा के संभावित प्रभाव को कम करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं।

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