निमिषा प्रिया को फांसी होगी या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने दिया ताजा अपडेट
निमिषा प्रिया केस में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एक नया मध्यस्थ सामने आया है। सरकार ने अदालत को मामले की संवेदनशीलता से अवगत कराया और निष्पक्ष सुनवाई का आग्रह किया। केंद्र ने कहा कि वे इस मामले में हर संभव मदद करने को तैयार हैं।
-1760604636233.webp)
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यमन में हत्या के आरोप में फांसी की सजा पाने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि इस मामले में एक नया मध्यस्थ सामने आया है और स्थिति अभी स्थिर है। 38 वर्षीय निमिषा केरल के पलक्कड़ की रहने वाली हैं। 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर की हत्या के मामले में दोषी ठहराई गई थीं।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने बताया कि निमिषा की फांसी पर रोक है और कोई प्रतिकूल घटना नहीं हुई है। निमिषा को बचाने के लिए याचिका दायर करने वाली संस्था 'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' के वकील ने भी इसकी पुष्टि की।
जनवरी 2026 में फिर होगी सुनवाई
अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को सूचित किया कि मामले में एक नया मध्यस्थ सामने आया है, जो संभवतः बातचीत को आगे बढ़ा सकता है। याचिकाकर्ता के वकील ने सुझाव दिया कि मामले को स्थगित किया जाए, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। बेंच ने कहा कि मामला जनवरी 2026 में सुना जाएगा, लेकिन यदि स्थिति की मांग हुई तो जल्दी सुनवाई के लिए आवेदन किया जा सकता है।
निमिषा को 2017 में दोषी ठहराया गया था, 2020 में फांसी की सजा सुनाई गई और 2023 में उनकी अंतिम अपील खारिज हो गई थी। वह वर्तमान में यमन की राजधानी सना के जेल में बंद हैं। भारत सरकार ने जुलाई में कहा था कि वह यमनी अधिकारियों और कुछ मित्र देशों के साथ संपर्क में है ताकि पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकाला जा सके।
ब्लड मनी की संभावना
याचिकाकर्ता के वकील ने पहले कोर्ट को बताया था कि शरिया कानून के तहत पीड़ित के परिवार को ब्लड मनी का भुगतान कर निमिषा को माफी दिलाने की संभावना तलाशी जा सकती है।
उन्होंने कहा कि यदि पीड़ित का परिवार ब्लड मनी स्वीकार कर ले, तो वह निमिषा को माफ कर सकता है। निमिषा की मां यमन में पीड़ित के परिवार से बातचीत करने गई थीं, जिसके लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र को उनकी यात्रा की अनुमति देने का निर्देश दिया था।
14 अगस्त को, याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि निमिषा को तत्काल कोई खतरा नहीं है। केंद्र सरकार ने भी 18 जुलाई को कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वह निमिषा को सुरक्षित निकालने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। यह मामला न केवल निमिषा के जीवन से जुड़ा है, बल्कि भारत-यमन के राजनयिक संबंधों और मानवीय आधार पर सहानुभूति का भी प्रतीक है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।