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    पहली बार स्कूली शिक्षकों की संख्या एक करोड़ के पार, छात्रों के ड्रॉपआउट रेट में आई कमी

    Updated: Thu, 28 Aug 2025 11:16 PM (IST)

    शिक्षा मंत्रालय की यूडीआईएसई प्लस रिपोर्ट के अनुसार भारत में शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में स्कूली शिक्षकों की संख्या पहली बार एक करोड़ को पार कर गई है। यह वृद्धि छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट में छात्रों के बने रहने की दर में बढ़ोतरी और स्कूल छोड़ने की दर में कमी भी दर्ज की गई है।

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    यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफोर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस की रिपोर्ट में खुलासा (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश भर में नई पीढ़ी को तैयार करने वाले तथा जीवन मूल्यों को बोने वाले स्कूली शिक्षकों की संख्या शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में पहली बार एक करोड़ को पार कर गई है।

    केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफोर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यूडीआइएसई) प्लस की रिपोर्ट में बताया गया है कि किसी भी शैक्षणिक वर्ष में पहली बार शिक्षकों की संख्या में यह वृद्धि छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने और शिक्षकों की उपलब्धता में क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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    2022-23 के मुकाबले वर्तमान शैक्षणिक वर्ष में शिक्षकों की संख्या में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2024-25 के दौरान स्कूलों में छात्रों के बने रहने की दर, यानी रिटेंशन रेट और सकल नामांकन अनुपात में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

    क्या है यूडीआइएसई प्लस?

    यूडीआइएसई प्लस एक डाटा संग्रहण प्लेटफॉर्म है जिसे शिक्षा मंत्रालय संचालित करता है। यह देशभर के स्कूल शिक्षा संबंधी आंकड़े एकत्रित करने और उनका विश्लेषण करने में मदद करता है।

    छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार

    आंकड़ों के मुताबिक, विभिन्न शैक्षिक स्तरों पर छात्र-शिक्षक अनुपात में भी सुधार देखने को मिला है। ये अनुपात राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा सुझाए गए 1:30 के मानक की तुलना में उल्लेखनीय रूप से बेहतर हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, 'बेहतर होता यह अनुपात शिक्षकों और छात्रों के बीच अधिक व्यक्तिगत ध्यान और मजबूत बातचीत को बढ़ावा देता है, जिससे बेहतर शिक्षण अनुभव और बेहतर शैक्षणिक परिणाम प्राप्त होते हैं।'

    स्कूल छोड़ने की दर में कमी आई

    साल 2024-25 में ड्रॉपआउट दर में भी उल्लेखनीय कमी देखी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, 'यह गिरावट छात्रों के स्कूल में बने रहने में सुधार और बच्चों को शिक्षा में जुड़े रखने के लिए उठाए गए कदमों की सफलता को दर्शाती है। सभी स्तरों पर लगातार गिरावट यह दर्शाती है कि स्कूल अब छात्रों की जरूरतों के प्रति अधिक संवेदनशील और सहायक बन रहे हैं।'

    छात्रों के स्कूल में बने रहने की दर में भी सुधार

    2024-25 के दौरान स्कूलों में छात्रों के बने रहने की दर, यानी रिटेंशन रेट में महत्वपूर्ण सुधार आया है। रिपोर्ट के अनुसार, 'माध्यमिक स्तर पर विशेष रूप से छात्रों की रिटेंशन दर में सुधार का एक प्रमुख कारण अधिक स्कूलों में माध्यमिक शिक्षा की उपलब्धता है। इससे पहुंच बढ़ी और निरंतर नामांकन को प्रोत्साहन मिला। कुल मिलाकर, बढ़ती रिटेंशन दर शिक्षा प्रणाली में प्रगति का स्पष्ट संकेत है और लक्षित पहलों के प्रभाव को दर्शाती है।'

    शून्य नामांकन वाले स्कूलों की संख्या घटी

    यूडीआइएसई प्लस ने शून्य नामांकन के साथ-साथ एकल शिक्षक वाले स्कूलों की विशेषताओं की भी रिपोर्ट दी है जिसमें कहा गया है कि सचेत और सार्थक सरकारी पहलों के कारण शून्य नामांकन वाले स्कूलों और एकल शिक्षक वाले स्कूलों की संख्या में लगातार गिरावट आई है।

    पिछले वर्ष की तुलना में समीक्षाधीन वर्ष में एकल शिक्षक वाले स्कूलों की संख्या में लगभग छह प्रतिशत की कमी आई है। इसी प्रकार, शून्य नामांकन वाले स्कूलों की संख्या में भी लगभग 38 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई है।

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