'महिला सशक्तिकरण में भारत का नेतृत्व एक वैश्विक मॉडल', संयुक्त राज्य की अधिकारी ने बताया कारण
संयुक्त राष्ट्र महिला की क्षेत्रीय निदेशक क्रिस्टीन अरब ने कहा कि महिला सशक्तिकरण में भारत का नेतृत्व दुनिया के लिए एक मिसाल है। उन्होंने लैंगिक समानता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की सराहना की और समावेशी विकास के लिए महिलाओं की श्रमबल भागीदारी बढ़ाने के लक्ष्य को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने औपचारिक क्षेत्र में महिलाओं की सुरक्षा और भागीदारी पर जोर दिया।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र महिला की क्षेत्रीय निदेशक क्रिस्टीन अरब ने कहा है कि महिला सशक्तिकरण में भारत का नेतृत्व एक वैश्विक मॉडल है। कार्यबल और राजनीतिक निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के भारत के प्रयास दुनिया के लिए मानक स्थापित कर रहे हैं।
अरब ने लैंगिक समानता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया और समावेशी तथा टिकाऊ आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं के लिए 70 प्रतिशत श्रमबल भागीदारी के लक्ष्य को ''महत्वपूर्ण'' बताया।
औपचारिक क्षेत्र में महिलाओं की एंट्री पर जोर
उन्होंने औपचारिक क्षेत्र में महिलाओं के प्रवेश को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, ''कानूनों के माध्यम से महिलाओं की सुरक्षा तभी लागू की जा सकती है जब औपचारिक कार्यस्थल पर कोई अनुबंध हो।'' 1995 में बीजिंग प्लेटफॉर्म फार एक्शन को अपनाए जाने के बाद से महिलाओं की श्रमबल भागीदारी में वैश्विक वृद्धि नगण्य रही है।
अरब ने कहा कि इस प्रवृत्ति को बदलने के लिए मजबूत सार्वजनिक-निजी भागीदारी महत्वपूर्ण है। अरब ने भारत के महिला आरक्षण विधेयक को महत्वपूर्ण बताते हुए इसकी सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत में स्थानीय रूप से निर्वाचित महिला अधिकारियों का दुनिया का सबसे बड़ा समूह मौजूद है।
'राजनीति में अपना दम दिखाने को महिलाएं तैयार'
उन्होंने बताया कि कई महिला राजनेता राजनीति में अपना दम दिखाने को पूरी तरह तैयार हैं। इन महिलाओं ने इस धारणा को नकार दिया है कि योग्य महिला नेताओं को ढूंढना एक चुनौती है।
उन्होंने कहा, ''संसद सदस्य युवा महिला नेताओं को विधायी निकायों में प्रवेश करने और बदलाव लाने के लिए तैयार करने हेतु उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं।''
संयुक्त राष्ट्र महिला अधिकारी ने कहा कि निजी क्षेत्र को परिवार-अनुकूल, यौन उत्पीड़न निवारण अधिनियम के अनुरूप कार्यस्थल सुनिश्चित करने के लिए और अधिक प्रयास करने चाहिए, जहां जरूरी बुनियादी सुविधाएं हों।
उन्होंने कहा, ''महिलाओं की भर्ती करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें बनाए रखना एक चुनौती है।''
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
यह भी पढ़ें- शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली पांच महिलाएं सम्मानित
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।