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    जेपी के इलाज के लिए जरूरी थी 5 लाख की मशीन, इंदिरा को पता चला तो तुरंत भिजवाया चेक; इमरजेंसी का वो अनसुना किस्सा...

    Updated: Wed, 25 Jun 2025 10:00 PM (IST)

    एक नई किताब के अनुसार, आपातकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने कट्टर आलोचक जयप्रकाश नारायण (जेपी) के इलाज के लिए गुपचुप तरीके से 90 हजार रुपये दान किए थे। जेपी को हिरासत में किडनी फेलियर हुआ था और उन्हें डायलिसिस मशीन की आवश्यकता थी। हालांकि, जेपी ने इंदिरा गांधी के इस दान को अस्वीकार कर दिया था।

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    जेपी को जीवित रहने के लिए जीवनभर डायलिसिस की आवश्यकता थी (फोटो: कांग्रेस)

    पीटीआई, नई दिल्ली। आपातकाल के दौर की एक कम ज्ञात घटना में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने सबसे कट्टर आलोचक और देशव्यापी आपातकाल विरोधी आंदोलन के नेता जयप्रकाश नारायण के इलाज के लिए गुपचुप तरीके से 90 हजार रुपये दान में दिए थे।

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    लेकिन एक नई किताब में बताया गया है कि जेपी ने इस दान को ठुकरा दिया था। और यह धनराशि आई भी ऐसे समय थी, जब उनके स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ गई थी और उन्हें जीवन रक्षक पोर्टेबल डायलिसिस मशीन की आवश्यकता थी। 26 जून, 1975 को आपातकाल की घोषणा के कुछ घंटे बाद जयप्रकाश नारायण को गिरफ्तार किया गया था।

    सुगाता श्रीनिवासराजू की किताब में जिक्र

    उन्होंने उस वर्ष नवंबर में 30 दिन की पैरोल पर रिहा होने से पहले चंडीगढ़ में पांच महीने तक हिरासत में बिताए। सुगाता श्रीनिवासराजू की पुस्तक 'द कान्शियंस नेटवर्क : ए क्रॉनिकल ऑफ रेजिस्टेंस टू ए डिक्टेटरशिप' के अनुसार जेपी को हिरासत के दौरान किडनी फेलियर का निदान किया गया था और उन्हें जीवित रहने के लिए जीवनभर डायलिसिस की आवश्यकता थी।

    पुस्तक में लिखा है, 'बहुत जल्द, उनके इलाज की लागत और नियमित डायलिसिस की आवश्यकता चिंता का विषय बन गई। यह तय किया गया कि एक पोर्टेबल डायलाइजर मशीन अस्पताल जाने से बेहतर होगी। यह भी तय किया गया कि सरकार की मदद स्वीकार नहीं की जाएगी। इसलिए उनके प्रशंसकों ने डायलाइजर के लिए धन जुटाना शुरू किया।'

    इंदिरा ने भिजवाया था चेक

    • जैसे-जैसे उनकी स्थिति की खबर फैली भारत और विदेशों में उनके समर्थकों ने संसाधनों को जुटाना शुरू किया। पुस्तक के अनुसार, योजना थी कि जनता से प्रति व्यक्ति एक रुपये इकट्ठा किया जाए ताकि महंगी मशीन के लिए धन जुटाया जा सके। हालांकि, इसकी प्रगति धीमी थी। हालांकि उस समय इंदिरा गांधी ने इस बारे में सुना तो मोटी रकम का एक चेक भेजा।
    • लेकिन आपातकाल से कुछ हफ्ते पहले स्थापित प्रवासियों का संगठन 'भारतीय फॉर डेमोक्रेसी' (आईएफडी) इंदिरा गांधी के दान की खबर से निराश था। समूह ने गांधी पीस फाउंडेशन के राधाकृष्ण को पैसे लौटाने के लिए कहा।
    • आईएफडी के सदस्य आनंद कुमार ने कहा, 'मैंने यह स्पष्ट किया कि यदि चेक स्वीकार किया गया तो यह जेपी के प्रशंसकों को बहुत निराश करेगा। हम सबने जेपी से इंदिरा गांधी का चेक लौटाने का अनुरोध किया। यह सच था कि भारत में पैसे नहीं आ रहे थे क्योंकि लोग सरकार से डरते थे।'

    दुनियाभर से जुटाए 5 लाख रुपये

    इसके जवाब में आईएफडी ने नारायण के लिए पोर्टेबल डायलिसिस मशीन खरीदने और रखरखाव के लिए पांच लाख रुपये (उस समय करीब 65,000 डॉलर) जुटाने के लिए एक वैश्विक अपील शुरू की और सफलतापूर्वक राशि इकट्ठा की।

    पुस्तक में 11 जून, 1976 की तारीख वाला जेपी का एक पत्र प्रस्तुत किया गया है जिसमें उन्होंने गांधी द्वारा किए गए दान को अस्वीकार करने के 'तकनीकी बिंदुओं' का उल्लेख किया है। पत्र में लिखा है, 'मैं वास्तव में आशा करता हूं कि आप मुझे गलत और अशिष्ट न समझें। मैं आपके द्वारा मेरी स्वास्थ्य के प्रति दिखाई गई चिंता के लिए आभारी हूं।'

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