'आतंकवाद के खिलाफ आत्मरक्षा पर समझौता नहीं', 20वें ईस्ट एशिया सम्मेलन में बोले जयशंकर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ईस्ट एशिया सम्मेलन में आतंकवाद को विश्व के लिए खतरा बताया और इसके खिलाफ सख्त रवैया अपनाने की बात कही। उन्होंने पूर्वी एशियाई देशों के साथ भारत की साझेदारी को मजबूत करने और वैश्विक चुनौतियों पर संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया। जयशंकर ने गाजा शांति योजना का स्वागत किया और यूक्रेन में जारी संघर्ष को जल्द समाप्त करने की अपील की।

सोमवार को 20वें ईस्ट एशिया सम्मेलन में पहुंचे जयशंकर (फोटो: एएनआई)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को 20वें ईस्ट एशिया सम्मेलन (ईएएस) में आतंकवाद को 'निरंतर नष्ट करने वाला खतरा' करार देते हुए विश्व समुदाय से इसके प्रति 'जीरो टॉलरेंस' की अपील की। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि, 'आतंकवाद के खिलाफ रक्षा के हमारे अधिकार से कभी समझौता नहीं किया जा सकता।'
जयशंकर ने जटिल वैश्विक परिस्थितियों में ईएएस की भूमिका को रेखांकित करते हुए पूर्वी एशियाई देशों के साथ भारत के समग्र रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत बनाने को लेकर प्रतिबद्धता जताया और यूक्रेन विवाद के शीघ्र समाधान की अपील की। जयशंकर ने कहा कि यह बैठक बहुत ही चुनौतीपूर्ण समय में हो रहा है।
गाजा शांति योजना का स्वागत किया
सप्लाई चेन की विश्वसनीयता और बाजार में पहुंच को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। वैश्विक सिद्धांतों को एक समान लागू नहीं होने और कुछ देशों की तरफ से दूसरे देशों को बेवजह उपदेश देने की मुद्दे को भी भारतीय विदेश मंत्री ने उठाया। वैश्विक बहुध्रुवीयता (दुनिया मे कई देशों का दबदबा) को अपरिहार्य बताते हुए उन्होंने गंभीर वैश्विक संवाद की जरूरत पर बल दिया।
गाजा शांति योजना का स्वागत करते हुए जयशंकर ने यूक्रेन संघर्ष के शीघ्र समाप्ति की कामना की। जयशंकर ने म्यांमार भूकंप में सबसे पहले मदद पहुंचाने के तौर पर भारत की भूमिका को सामने रखा। साथ ही दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संदर्भ में साइबर घोटाला केंद्रों से भारतीय नागरिकों के फंसने की चिंता जताई।
सनद रहे कि कंबोडिया, म्यांमार जैसे देशों से लगातार यह खबरें आ रही हैं कि वहां भारतीय नागरिकों को गलत सूचना के आधार पर रोजगार देने के नाम पर बुलाया जाता है और फिर उनसे साइबर अपराध कराया जाता है।

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