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    जैश-ए-मोहम्मद की हालत खराब, आतंकियों को सर्दी से बचाने के लिए जुटा रहा चंदा

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 02:12 PM (IST)

    दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार धमाके की जांच में जैश-ए-मोहम्मद का हाथ सामने आया है। यह संगठन भारत में हमले के लिए आत्मघाती दस्ता तैयार कर रहा है और डिजिटल माध्यमों से चंदा जुटा रहा है। जैश नेताओं ने सर्दियों के कपड़ों के लिए भी चंदा मांगा है, जिसकी जांच की जा रही है।

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    आतंकवादियों के कपड़े खरीदने के लिए जैश ने मांगा चंदा

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार धमाके की जांच जारी है। जांच के दौरान सामने आया है कि कार ब्लास्ट करने वाले पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े हुए हैं। जो भारत के खिलाफ एक और हमला करने के लिए एक 'फिदायीन' या आत्मघाती दस्ता तैयार कर रहा है और इसके लिए चंदा जुटा रहा है।

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    दरअसल, एनडीटीवी ने खुफिया सूत्रों के हवाले से बताया कि लाल किला विस्फोट की जांच के दौरान मिले सुरागों से पता चलता है कि जैश के नेताओं ने डिजिटल माध्यमों से धन जुटाने का आह्वान किया था, जिसमें सदापे नामक एक पाकिस्तानी ऐप भी शामिल था। वे महिलाओं के नेतृत्व में हमले की भी साजिश रच रहे होंगे।

    बड़े हमले की सजिश

    आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद के पास मसूद अजहर की बहन सादिया के नेतृत्व वाली ‘महिला विंग’पहले से ही है। जिसे पहलगाम हमले के बाद भारत की सैन्य प्रतिक्रिया, ऑपरेशन सिंदूर के बाद स्थापित किया गया था, जिसमें पाकिस्तान के बहावलपुर में जैश के शिविरों को नष्ट कर दिया गया था। बताया जा रहा है कि वे महिलाओं के नेतृत्व में बड़े हमले की साजिश रच रहे होंगे।

    लाल किला विस्फोट के प्रमुख संदिग्धों में से एक - डॉ. शाहिना सईद, जिसका कोडनेम कथित तौर पर 'मैडम सर्जन' था और जो हमले के वित्तपोषण के लिए जिम्मेदार हो सकती है - कथित तौर पर उस इकाई की सदस्य है, जिसे जमात उल-मुमिनात कहा जाता है ।

    सर्दियों के कपड़ों के लिए चंदा

    चंदा मांगने वाले जैश नेताओं ने कथित तौर पर कहा कि जो कोई भी किसी ' मुजाहिद ', यानी किसी लड़ाके के लिए सर्दियों की पोशाक उपलब्ध कराएगा, उसे खुद ' जिहादी ' माना जाएगा । इसी तरह, जो कोई भी किसी ' जिहादी ' के मारे जाने के बाद उसकी देखभाल करेगा, उसे भी ' जिहादी ' ही कहा जाएगा।

    डिजिटल फंडिंग नेटवर्क की जांच शुरू

    ऐसा माना जा रहा है कि 'दान' की राशि 20,000 पाकिस्तानी रुपए या लगभग 6,400 भारतीय रुपये है, इसका उपयोग जूते और ऊनी मोजे, गद्दा, तम्बू जैसी चीजें खरीदने के लिए किया जाएगा, जिनकी किसी आतंकवादी को हमले से पहले या बाद में मैदान में रहते समय आवश्यकता पड़ सकती है। इस डिजिटल फंडिंग नेटवर्क की एक अलग जांच शुरू की गई है।

    लश्कर, जैश की जम्मू-कश्मीर पर नई हमले की योजना जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद में खतरनाक वृद्धि हुई है। जैश और लश्कर-ए-तैयबा जैसे बड़े आतंकी संगठन समन्वित हमलों की एक नई लहर के लिए लामबंद हो रहे हैं। दोनों ही प्रमुख आतंकवादी समूह हैं, जिन्हें पाकिस्तानी सेना और उस देश के डीप स्टेट द्वारा वित्तपोषित और समर्थित किया जाता है।

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