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    जस्टिस सूर्यकांत होंगे भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश, कब संभालेंगे पदभार?

    Updated: Thu, 30 Oct 2025 07:03 PM (IST)

    जस्टिस सूर्यकांत देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे, जो 24 नवंबर, 2025 को पदभार संभालेंगे। वह हरियाणा से पहले ऐसे व्यक्ति होंगे जो इस पद को सुशोभित करेंगे। जस्टिस कांत 53वें सीजेआई के तौर पर 14 महीने का कार्यकाल पूरा करेंगे, जिसके बाद वह 9 फरवरी, 2027 को रिटायर होंगे। वर्तमान सीजेआई भूषण आर. गवई 23 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

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    जस्टिस सूर्यकांत होंगे अगले सीजेआई। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जस्टिस सूर्यकांत देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे और वह 24 नवंबर, 2025 को पदभार संभालेंगे। इस बात की जानकारी केंद्र सरकार ने गुरुवार (30 अक्टूबर, 2025) को दी। यह पहली बार है जब हरियाणा से कोई कानून का जानकार देश के सबसे ऊंचे न्यायिक पद पर बैठेगा।

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    जस्टिस कांत 53वें सीजेआई के तौर पर काम करेंगे और उनका कार्यकाल करीब 14 महीने का होगा, वह 9 फरवरी, 2027 को रिटायर होंगे। मौजूदा सीजेआई भूषण आर गवई 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं।

    कानून मंत्री ने की पुष्टि 

    कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने गुरुवार रात एक्स पर इस नियुक्ति की पुष्टि करते हुए कहा, "भारत के संविधान से मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, राष्ट्रपति को सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत को 24 नवंबर से भारत का चीफ जस्टिस नियुक्त करते हुए खुशी हो रही है... मैं उन्हें दिल से बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।"

    यह अधिसूचना सीजेआई गवई के नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने के दो दिन बाद आया है। उन्होंने सरकार को जस्टिस कांत के नाम की सिफारिश की थी। जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जजों में से एक हैं। सुप्रीम कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट की उम्र 65 साल है।

    कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत?

    जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के हिसार जिले में एक मध्य वर्गीय परिवार में हुआ था। 24 मई, 2019 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने। वह सुप्रीम कोर्ट में दो दशकों का अनुभव लेकर आए हैं। उनके अहम फैसलों में आर्टिकल 370 हटाने, बोलने की आजादी, लोकतंत्र, भ्रष्टाचार, पर्यावरण और लिंग समानता पर अहम फैसले शामिल हैं।

    जस्टिस सूर्यकांत उस बेंच का हिस्सा भी रहे, जिसने पुराने देशद्रोह कानून को रोककर रखा था और निर्देश दिया था कि सरकार के रिव्यू तक इसके तहत कोई नई एफआईआर दर्ज न की जाए।

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