जस्टिस यशवंत वर्मा को मिला कपिल सिब्बल का साथ! केंद्र पर निशाना साधते हुए बोले- 'जज को नहीं सुना गया'
कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट की जांच पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश को बिना सुने रिपोर्ट तैयार की गई जो न्याय के खिलाफ है। सिब्बल ने पारदर्शिता और न्यायिक प्रक्रिया के पालन न होने की आलोचना की। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार न्यायपालिका पर दबाव बनाने के लिए एनजेएसी को फिर से लाने की कोशिश कर रही है।

एएनआई, नई दिल्ली। वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट द्वारा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ की गई अंदरूनी जांच पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि इस मामले में न पारदर्शिता रखी गई, न ही न्यायिक प्रक्रिया का पालन हुआ और न्यायाधीश को बिना सुने ही रिपोर्ट तैयार कर दी गई।
दरअसल, मार्च में दिल्ली हाई कोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित घर में आग लग गई थी। आग बुझाने के दौरान उनके आउट हाउस से कैश मिलने का मामला सामने आया था।
सरकार पर सिब्बल का निशाना
इस मामले पर कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर सरकार महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करना चाहती है तो उसे संसद के जरिए करना चाहिए, लेकिन यहां तो सीधे हस्तक्षेप किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस आउट हाउस से नकदी मिली है वह न्यायाधीश को आवंटित क्षेत्र में था, लेकिन बिना किसी ठोस जांच के सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई की।
सिब्बल ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बनाई गई तीन सदस्यी समिति की आलोचना करते हुए कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा को बयान देने का मौका तक नहीं दिया गया। उन्होंने कहा, "आपने जांच की और रिपोर्ट बनाई, लेकिन जज की बात तक नहीं सुनी। ये न्याय के खिलाफ है।"
'सरकार किसी बात से नाराज है'
कपिल सिब्बल ने कहा, "या तो सरकार किसी बात से नाराज है या फिर यह समय देखकर NJAC (नेशनल ज्यूडिशियल अप्वाइंटमेंट कमीशन) को फिर से लाने की कोशिश हो रही है, ताकि न्यायपालिका पर दबाव बनाया जा सके।"
सिब्बल ने एक अन्य मामले का हवाला देते हुए बताया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की जांच 6 महीने से लंबित है।
उन्होंने कहा, राज्यसभा सचिवालय कहता है कि मेरी सिग्नेचर नहीं मिल रही है। 6 महीने बीत गए पर वे सत्यापन नहीं कर पाए। क्या ये दोहरा रवैया नहीं है?
जांच समिति में कौन-कौन हैं शामिल?
- न्यायमूर्ति शील नागू (मुख्य न्यायाधीश, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट)
- न्यायमूर्ति जी.एस. संधवाला (मुख्य न्यायाधीश, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट)
- न्यायमूर्ति अनु शिवरामन (कर्नाटक हाई कोर्ट)
जांच रिपोर्ट पर सिब्बल ने उठाए सवाल
जांच समिति ने पिछले महीने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजी थी। सिब्बल ने कहा कि रिपोर्ट में यह तक नहीं बताया गया कि कितनी नकदी मिली और कैसे यह मान लिया गया कि वह न्यायाधीश की अनुमति से रखी गई थी।
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