'ये कैसी नीति...' बेंगलुरु एयरपोर्ट पर नमाज पढ़ने का वीडियो वायरल; BJP का सीएम सिद्दरमैया तीखा प्रहार
बेंगलुरु एयरपोर्ट के टर्मिनल-2 पर नमाज पढ़े जाने का वीडियो वायरल होने से कर्नाटक में विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा है कि नमाज पढ़ने की अनुमति किसने दी। भाजपा नेता ने यह भी सवाल किया कि जब आरएसएस रूट मार्च करता है तो सरकार आपत्ति क्यों करती है, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र में नमाज पर चुप क्यों है।

बेंगलुरु एयरपोर्ट पर नमाज पढ़ने का वीडियो वायरल। (फोटो- एक्स)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के इंटरनेशनल एयरपोर्ट के टर्मिनल-2 पर कथित तौर पर कुछ लोगों ने नमाज पढ़ा। इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो ने राज्य में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है।
दरअसल, इस वीडियो को लेकर राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है। भाजपा ने इस प्रकरण में सरकार से जवाबदेही मांगी है। सामने आए वीडियो में देखा जा सकता है कि नमाज पढ़ने वालों के पास सुरक्षाकर्मी भी मौजूद हैं।
बीजेपी ने राज्य सरकार से पूछे सवाल
BJP कर्नाटक यूनिट के प्रवक्ता विजय प्रसाद ने मुख्यमंत्री सिद्दरमैया और मंत्री प्रियांक खरगे से पूछा कि क्या सार्वजनिक स्थान पर नमाज पढ़ने वालों ने राज्य सरकार की ओर से बनाए हाल के नियमों के अनुसार इजाजत ली थी?
नमाज पढ़ने की इजाजत किसने दी?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बीजेपी नेता ने लिखा कि बेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट के T2 टर्मिनल के अंदर इसकी इजाजत कैसे दी गई? सीएम सिद्दरमैया और मंत्री प्रियांक खरगे क्या आप इसकी मंजूरी देते हैं? आगे अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा कि क्या इन लोगों ने हाई-सिक्योरिटी वाले एयरपोर्ट जोन में नमाज पढ़ने के लिए पहले से इजाजत ली थी?
How is this even allowed inside the T2 Terminal of Bengaluru International Airport?
— Vijay Prasad (@vijayrpbjp) November 9, 2025
Hon’ble Chief Minister @siddaramaiah and Minister @PriyankKharge do you approve of this?
Did these individuals obtain prior permission to offer Namaz in a high-security airport zone?
Why is it… pic.twitter.com/iwWK2rYWZa
RSS के रूट मार्च से दिक्कत, तो नमाज पढ़ने से क्यों नहीं?
बीजेपी ने राज्य सरकार के हालिया नियमों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा क्यों है कि जब RSS संबंधित अधिकारियों से सही इजाजत लेने के बाद पथ संचलन (रूट मार्च) करता है तो सरकार आपत्ति करती है, लेकिन एक प्रतिबंधित सार्वजनिक क्षेत्र में ऐसी गतिविधियों पर आंखें बंद कर लेती है? (समाचार एजेंसी एएनआई के इनपुट के साथ)
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