कर्नाटक में बाइक टैक्सी को लेकर हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी, राज्य सरकार को दिए ये निर्देश
कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि उसने राइड-हेलिंग कंपनियों को बाइक टैक्सी सेवाएं शुरू करने के लिए कोई आदेश नहीं दिया है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार कानून के अनुसार बाइक टैक्सी एग्रीगेटर्स के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। कोर्ट ने अधिकारियों से व्यक्तिगत वाहन मालिकों को निशाना बनाने से बचने को कहा है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि उसने राइड-हेलिंग कंपनियों को बाइक टैक्सी सेवाएं शुरू करने संबंधी कोई आदेश पारित नहीं किया है। जस्टिस विभु बाखरू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार कानून के अनुसार बाइक टैक्सी एग्रीगेटर्स के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है।
दरअसल कर्नाटक की सड़कों पर बाइक टैक्सी की सेवाएं फिर से शुरू हो गई हैं। लेकिन ऐसे कई मामले सामने आए, जिसमें प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा व्यक्तिगत वाहन भी जब्त किए जा रहे हैं। इस पर टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा कि अधिकारियों को व्यक्तिगत वाहनों के मालिकों को निशाना बनाने से बचना चाहिए।
अदालत ने जल्दीबाजी में कार्रवाई न करने को कहा
इसके पहले 20 अगस्त को सुनवाई के बाद सरकार को यह तय करने का समय मिल गया था कि वह बाइक टैक्सी को लेकर कोई नीति बनाने का इरादा रखती है या नहीं। मामले की सुनवाई 22 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई थी। शुक्रवार को एडवोकेट जनरल शशिकिरण शेट्टी ने अदालत को सूचित किया कि अनुमति संबंधी कोई न्यायिक आदेश न होने बावजूद कई ऑपरेटरों ने बाइक टैक्सी की सेवाएं शुरू कर दी हैं।
अदालत ने स्पष्ट किया कि उसकी प्रारंभिक चिंता राइडर और ओनर को अनावश्यक कठिनाई से बचाने तक सीमित थी। कोर्ट ने राज्य से उनके खिलाफ जल्दबाजी में कार्रवाई न करने को कहा। इसके बाद एडवोकेट जनरल ने अदालत को आश्वासन दिया कि कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
अदालत ने ये भी स्पष्ट किया कि इस मामले में कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं किया गया है और अपीलों को अंतिम निपटारे के लिए लिस्ट किया गया है। बता दें कि खंडपीठ के समक्ष ओला, उबर, रैपिडो और दूसरे ऑपरेटरों द्वारा याचिकाएं दायर की गई थीं।
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