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    2024 में ISRO के 5 मिशन, जिन्होंने दुनिया में रचा कीर्तिमान; तेज इंटरनेट से लेकर आपदा की भविष्यवाणी तक में मिलेगी मदद

    Updated: Tue, 31 Dec 2024 06:15 PM (IST)

    इसरो हर साल कुछ नया करता है। कम लागत में अंतरिक्ष में इतिहास रचने वाली यह एजेंसी आने वाले सालों में दुनिया को और भी चौंकाने वाली है। साल 2024 में अपने कई मिशन से इसरो ने दुनियाभर का ध्यान अपनी ओर खींचा है। 30 दिसंबर को स्पैडेस्क मिशन लॉन्च करके इसरो ने अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में नई छलांग लगाई है।

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    2024 में इसरो के पांच सबसे अहम मिशन। ( फोटो- इसरो )

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 2024 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने मिशनों से दुनियाभर में कीर्ति पताका फहराई। साल के पहले दिन और 30 दिसंबर को मिशन लॉन्च करके अपनी तकनीकी का प्रदर्शन किया।

    30 दिसंबर को स्पैसडेस्क लॉन्च करने के बाद 7 जनवरी को इसरो एक नया इतिहास रचेगा। इस दिन अंतरिक्ष में दो स्पेसक्राफ्ट को एक-दूसरे से जोड़ा जाएगा। इनकी स्पीड बुलेट की स्पीड से 10 गुना अधिक है। आइए जानते हैं इसरो के वो मिशन, जिन्हें साल 2024 में लॉन्च किया गया।

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    स्पैडेक्स से दिखाई दुनिया को ताकत

    30 दिसंबर की रात भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने साल 2024 का आखिरी मिशन लॉन्च किया। इसका नाम स्पैडेक्स मिशन है। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च यह मिशन भारत की महत्वाकांक्षी परियोजना का हिस्सा है।

    इस मिशन के तहत इसरो स्पेस पर डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करेगा। सफल होने पर भारत ऐसा करने वाला अमेरिका, रूस और चीन के बाद दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। यह तकनीक अंतरिक्ष में स्पेस स्टेशन स्थापित करने और चंद्रयान 4 मिशन में मदद करेगी।

    एक्सपोसैट मिशन

    साल 2024 के पहले दिन इसरो ने एक्सपोसैट मिशन लॉन्च किया था। मिशन का पूरा नाम एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) है। इसे भी सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। इस मिशन के तहत इसरो ब्लैक होल और न्यूट्रॉन सितारों का अध्ययन करेगा। चंद्रयान 3 और आदित्य एल1 मिशन के बाद अंतरिक्ष की खोज में भारत का यह अहम मिशन है। भारत अमेरिका के बाद अंतरिक्ष में विशेष खगोल विज्ञान वेधशाला भेजने वाला दुनिया का दूसरा देश बना।

    इन्सैट-3डीएस मिशन

    इसरो ने 17 फरवरी 2024 को इन्सैट-3डीएस मिशन को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया। जीएसएलवी की मदद से इन्सैट-3डीएस उपग्रह को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित किया गया है। इन्सैट-3डीएस तीसरी पीढ़ी का उन्नत मौसम विज्ञान उपग्रह है। इसकी मदद से इसरो मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने में सक्षम होगा। आपदा से जुड़ी चेतावनी जारी करने में मदद मिलेगी। पृथ्वी और महासागरों की सतहों की निगरानी की जा सकेगी।

    जीसैट एन-2 मिशन

    इसरो ने 19 नवंबर को अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से फाल्कन-9 रॉकेट के माध्यम से जीसैट एन-2 मिशन लॉन्च किया। जीसैट एन-2 का कुल वजन 4700 किलोग्राम वजन है। यह एक उच्च-थ्रूपुट उपग्रह है। यह का-का बैंड में काम करता है। इसकी क्षमता 48 Gbps है। उपग्रह को पूरे भारत में ब्रॉडबैंड और इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी की जरूरतों के हिसाब से डिजाइन किया गया है। उपग्रह में 32 स्पॉट बीम हैं। इनकी मदद से अंडमान और निकोबार व लक्षद्वीप द्वीप के दूरदराज के क्षेत्रों समेत पूरे देश में बेहतरीन कनेक्टिविटी मिलेगी।

    रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल

    इसरो ने 23 जून 2024 को कर्नाटक के चित्रदुर्ग में तीसरी बार रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल का सफल परीक्षण किया। पहला परीक्षण 2 अप्रैल 2023 और दूसरा 22 मार्च 2024 को किया गया था। तीसरे परीक्षण में भी पुष्पक ने सफलतापूर्वक होरिजोंटल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया।

    पुष्पक व्हीकल को वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से 4.5 किमी की ऊंचाई से छोड़ा गया था। विमान 320 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से नीचे उतरा। बाद में पैराशूट के माध्यम से व्हीकल की रफ्तार 100 किमी तक कम करने में मदद मिली। इस तकनीक की मदद से भारत दोबारा इस्तेमाल होने वाले रॉकेट तैयार कर सकता है।

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