Video: पुणे में गले में कील वाला पट्टा पहनकर खेती करने को मजबूर किसान, किस चीज का है खौफ?
महाराष्ट्र के पुणे जिले के पिंपरखेड़ गांव में तेंदुए के आतंक से ग्रामीण परेशान हैं। हाल ही में तेंदुए के हमलों में कई लोगों की जान जा चुकी है, जिसके कारण ग्रामीण सुरक्षा के लिए नुकीले कॉलर पहनने को मजबूर हैं। ग्रामीणों में तेंदुए के हमलों से डर का माहौल है।

तेंदुए के डर से स्पाइक कॉलर पहनकर घर से निकल रहें लोग (स्क्रीनग्रैब- ANI)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र के पुणे में तेंदुए का आंतक देखने को मिल रहा है। पिंपरखेड़ गांव में तेंदुए का आतंक इस कदर है कि लोग जानलेवा हमलों से बचाने के लिए स्पाइक वाले कॉलर पहनते हैं। ताकि तेदुंए उन पर हमला ना कर सके।
दरअसल, एक महीने में ही एक 5 साल की बच्ची, एक 82 साल की बुजुर्ग महिला और एक 13 साल का लड़का तेंदुए का शिकार बन चुके हैं। इसके बाद डरे हुए ग्रामीण घरों के चारों तरफ बिजली की तारें और लोहे की ग्रिलें लगा दी हैं। वहीं, खेतों में काम करने जाने के लिए स्पाइक वाले कॉलर पहन रहे हैं।
हर समय तेदुए के हमले का डर
गांववालों का कहना है कि बार-बार तेंदुए के दिखने और हाल ही में हुए कई हमलों ने रोजाना की बाहर की दिनचर्या को खतरनाक बना दिया है, खासकर सुबह और देर शाम के समय। ग्रामीण विट्ठल रंगनाथ जाधव बताया कि खेती ही हमारी कमाई का एकमात्र जरिया है। हम तेंदुए के हमले के डर से घर पर नहीं बैठ सकते।
हमें हर दिन एक तेंदुआ दिखता है। खेत में कभी भी तेंदुए आ जाते हैं। हम तेंदुए की वजह से अपने गले में ये कॉलर पहन रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक महीने पहले उनकी मां भी एक तेंदुआ का शिकार हो गई थीं।उन्होंने कहा कि गांव में हर कोई डरा हुआ है और उन्होंने सरकार से इस मामले को सुलझाने के लिए तुरंत कार्रवाई करने की अपील की।
रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित
गांव के एक और रहने वाले ने कहा कि तेंदुए के हमलों ने रोजमर्रा की जिंदगी पर काफी असर डाला है। गांव वाले अब सुरक्षा के लिए ग्रुप में खेती करने जाते हैं और स्कूल का समय भी फिर से सोचा जा रहा है, शायद सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक बदला जा सकता है।
हालत खराब
एक गांव वाले ने कहा, "यह एक बहुत बड़ी समस्या है, लोग ग्रुप में खेती करने आते हैं... उनकी गर्दन पर लोहे के नुकीले कॉलर पहने होते हैं... हालत खराब है... स्कूलों में भी टाइमिंग सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे करने को कहा जा रहा है... कई लोग तो यहां खेती करने भी नहीं आते...."
इससे पहले 5 नवंबर को, अधिकारियों ने बताया कि पुणे जिले के पिंपरखेड़ गांव और आस-पास के इलाकों में पिछले 20 दिनों में तीन मौतों के लिए जिम्मेदार एक आदमखोर तेंदुए को फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और एक रेस्क्यू टीम के जॉइंट ऑपरेशन के दौरान मार गिराया गया। फॉरेस्ट अधिकारियों ने कहा कि पुणे के कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट आशीष ठाकरे ने तेंदुए को न्यूट्रलाइज करने के लिए प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट (वाइल्डलाइफ) से मंजूरी ले ली है।
गांव वालों को दिखाया गया तेदुए का शव
एक अधिकारी ने बताया कि तेंदुए को पकड़ने के लिए कैमरा ट्रैप और थर्मल ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। तेंदुआ घटनास्थल से करीब 400-500 मीटर दूर देखा गया। ऑपरेशन के बाद, तेंदुए की लाश को गांववालों को दिखाया गया, फिर उसे पोस्टमॉर्टम के लिए मानिकदोह लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर भेजा गया। यह ऑपरेशन सीनियर फॉरेस्ट अधिकारियों की देखरेख में स्थानीय गांववालों की मदद से किया गया। (समाचार एजेंसी एएनाई के इनपुट के साथ)
#WATCH | Pune, Maharashtra | Amid a surge in leopard attacks across several villages in Pune, residents are taking unusual precautions to protect themselves. Local residents in Pimperkhed village, Shirur tahsil, Pune, are wearing collars and belts with sharp iron nails around… pic.twitter.com/8kCeuOcL6U
— ANI (@ANI) November 22, 2025

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।