फडणवीस और शिंदे में चल रही तनातनी, महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ गठबंधन में चल रहा लुकाछिपी का खेल
महाराष्ट्र में भाजपा, शिवसेना और राकांपा की गठबंधन सरकार में निकाय चुनावों को लेकर तनाव बढ़ रहा है। उपमुख्यमंत्री शिंदे और मुख्यमंत्री फडणवीस के बीच खींचतान साफ दिख रही है। टिकट पाने की चाहत में दलबदल हो रहा है। फडणवीस द्वारा शिंदे के गृह क्षेत्र में संगठन विस्तार से शिंदे नाराज हैं। शिंदे और फडणवीस के बीच सत्ता को लेकर लुकाछिपी का खेल चल रहा है।

देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे। (फाइल फोटो)
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र में तीन दलों की सरकार तो चल रही है, लेकिन इसके साथ-साथ निकाय चुनावों की घोषणा होते ही तीनों दलों के बीच लुकाछिपी का खेल भी चल रहा है। खासतौर से उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एवं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच तनातनी सार्वजनिक मंचों पर भी साफ दिखाई दे रही है।
पिछला लोकसभा चुनाव एवं उसके बाद विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी, एकनाथ शिंदे के नेतृत्ववाली शिवसेना एवं अजीत पवार के नेतृत्ववाली राकांपा मिलकर लड़े। लोकसभा चुनाव में अधिक सफल नहीं हुए, लेकिन विधानसभा चुनाव में अच्छी सफलता मिली और सरकार भी ठीकठाक ही चल रही है। लेकिन स्थानीय निकायों के चुनाव घोषित होते ही तीनों सत्तारूढ़ दलों के बीच खींचतान दिखाई देने लगी है। क्योंकि सभी दलों के कार्यकर्ता इन छोटे चुनावों में अपना भाग्य आजमाना चाहते हैं, और इसका दबाव उनके नेताओं पर भी दिखाई देता है।
खूब दिखाई दिया दलबदल
इसी कड़ी में अनेक कार्यकर्ता टिकट पाने की चाहत में, या जीत के समीकरण देखते हुए दलबदल भी करते हैं। ऐसा ही दलबदल पिछले दिनों भाजपा से शिवसेना में और फिर शिवसेना से भाजपा में दिखाई दिया। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गृह जिला ठाणे के कुछ कार्यकर्ता जब भाजपा में शामिल हुए, तो शिंदे गुट के कई मंत्रियों ने विरोधस्वरूप पिछले मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक का बहिष्कार किया।
फडणवीस और शिंदे में तनातनी?
हालांकि मंत्रिमंडल की बैठक में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे स्वयं मौजूद थे, लेकिन उनके चेहरे पर तनाव साफ दिख रहा था। ये तनाव उसके बाद से कई सार्वजनिक मंचों पर भी नजर आया। गुरुवार को नीतीश कुमार के शपथग्रहण समारोह में देवेंद्र फडणवीस एवं उपमुख्यमंत्री अजीत पवार तो एक ही विमान में गए, लेकिन एकनाथ शिंदे दूसरे विमान से गए। वहां भी वह देवेंद्र फडणवीस से दूर-दूर ही रहे।
महाराष्ट्र में हुए कई सार्वजनिक समारोहों में भी शिंदे और फडणवीस एक-दूसरे से नजरें चुराते दिखाई दे रहे हैं। इसी बीच शिंदे एक बार दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर भी आ गए। उनकी इस यात्रा की खिल्ली शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे यह कहकर उड़ाते दिखे कि लाचार शिंदे बार-बार दिल्ली शिकायत लेकर जाते हैं, जैसे कोई बच्चा अपने बाप से यह कहकर शिकायत कर रहा हो, कि “बाबा वह मुझे मार रहा है”।
फडणवीस कर रहे शिंदे की घेराबंदी
दरअसल एक बार भाजपा के ही सहयोग से ढाई साल मुख्यमंत्री रह चुके एकनाथ शिंदे यह सरकार बनने के समय से ही अपना ‘उपमुख्यमंत्री पद’ हजम नहीं कर पा रहे हैं। दूसरी ओर फडणवीस ने भी शिंदे की घेराबंदी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने शिंदे के गृह जनपद ठाणे से ही भाजपा के एक कद्दावर नेता रवींद्र चव्हाण को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है। रवींद्र चव्हाण डोंबीवली विधानसभा क्षेत्र से चुनकर आते हैं, जो शिंदे के पुत्र श्रीकांत शिंदे के संसदीय क्षेत्र का अंग है।
इसके अलावा ठाणे के ही एक और प्रभावशाली नेता गणेश नाईक भी फडणवीस मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री हैं। फडणवीस ने उन्हें भी ठाणे में संगठन विस्तार के लिए विशेष जिम्मेदारियां दे रखी हैं। वह अक्सर ठाणे में संगठन की बड़ी-बड़ी बैठकें किया करते हैं, जो शिंदे को कतई रास नहीं आता। शिंदे मुंबई और ठाणे में उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) के हिस्से का पूरा जनाधार चाहते हैं, जबकि फडणवीस भाजपा की सांगठनिक क्षमता बढ़ाकर मुंबई और ठाणे दोनों महानगरपालिकाओं में अपना मेयर बनाने के लिए प्रयासरत हैं। ये बात शिंदे को पसंद नहीं आ रही है, और वह फडणवीस से कटे-कटे घूम रहे हैं।

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