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    मालेगांव विस्फोट कांड: एटीएस अधिकारी का दावा, मुख्य आरोपी मारे गए; 17 सालों से गायब हैं दोनों

    Updated: Sun, 03 Aug 2025 11:30 PM (IST)

    महाराष्ट्र एटीएस के पूर्व अधिकारी महबूब मुजावर ने मालेगांव विस्फोटकांड (द्वितीय) के दो आरोपितों रामजी कलसांगरा एवं संदीप डांगे को पुलिस द्वारा मार दिए जाने का दावा किया है। ये दोनों आरोपी कुल पांच आतंकी विस्फोटों के मामले में वांछित हैं जिनमें मालेगांव में 2006 में हुए तिहरे विस्फोट भी शामिल हैं।

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    मालेगांव विस्फोटकांड एटीएस अधिकारी का दावा (फाइल फोटो)

    जेएनएन, मुंबई। महाराष्ट्र एटीएस के पूर्व अधिकारी महबूब मुजावर ने मालेगांव विस्फोटकांड (द्वितीय) के जिन दो आरोपितों रामजी कलसांगरा एवं संदीप डांगे को पुलिस द्वारा मार दिए जाने की बात कही है, वे दोनों आरोपित वास्तव में कुल पांच आतंकी विस्फोटों के मामले में वांछित हैं।

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    सोलापुर के रहनेवाले महबूब मुजावर को 29 सितंबर, 2008 को मालेगांव में दूसरी बार हुए विस्फोटकांड की जांच करनेवाली एटीएस की टीम का हिस्सा बनने का मौका मिला था।

    उन्होंने दावा किया है कि इस मामले में आरोपी बनाए गए इंदौर निवासी रामजी कलसांगरा एवं संदीप डांगे सहित इंदौर के ही एक और व्यक्ति दिलीप पाटीदार को पुलिस ने ही मारकर गायब कर दिया है।

    17 वर्ष से गायब हैं तीनों

    ये तीनों 17 वर्ष से गायब हैं। दूसरी ओर पुलिस पर भरोसा करें, तो कलसांगरा और डांगे ने मालेगांव द्वितीय मामले में आरोपित भी बनाया था, और इन दोनों को भगोड़ा भी घोषित किया हुआ है।

    महाराष्ट्र और इंदौर पुलिस के रिकॉर्ड के अनुसार ये दोनों कुल पांच आतंकी विस्फोट के मामलों में नाम दर्ज हुए और किसी में पकड़े नहीं गए। इनमें सबसे पहला आतंकी विस्फोट का मामला था महाराष्ट्र के मालेगांव में ही आठ सितंबर, 2006 को हुए तिहरे विस्फोट, जिनमें 37 लोगों की जान गई थी।

    इसके अलावा 18 फरवरी, 2007 का समझौता एक्सप्रेस विस्फोट, 18 मई, 2007 को हैदराबाद में हुआ मक्का मस्जिद विस्फोट, फिर 11 अक्तूबर, 2007 को अजमेर दरगाह के चबूतरे पर हुआ विस्फोट, और सबसे अंत में मालेगांव में सितंबर 2008 में हुआ विस्फोट।

    कौन हैं रामचंद्र कलसांगरा और संदीप डांगे?

    कलसांगरा का पूरा नाम रामजी कलसांगरा उर्फ विष्णु पटेल है, जबकि संदीप डांगे का उपनाम परमानंद भी है। दोनों की तलाश राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) सहित कई एजेंसियों को है।

    पिछले सप्ताह विशेष एनआईए अदालत ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सात आरोपियों को बरी कर दिया था। विशेष न्यायाधीश अभय लाहोटी ने केंद्रीय जांच एजेंसी को फरार आरोपी रामजी कलसांगरा और संदीप डांगे की गिरफ्तारी पर उनके खिलाफ अलग से आरोप पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। कलसांगरा (एए-1) और डांगे (एए-2) को एटीएस ने मालेगांव (द्वितीय) मामले में उन्हें वांछित आरोपी दिखाया था। जब एनआईए ने इस मामले की जांच शुरू की, तो भी इन दोनों का नाम आरोपितों की सूची में बनाए रखा।

    एटीएस का दावा

    एटीएस ने दावा किया था कि कलसांगरा ही वह व्यक्ति था जिसने मालेगांव में घटनास्थल पर विस्फोटकों से लदी एलएमएल फ्रीडम मोटरसाइकिल खड़ी की थी। जबकि एनआईए ने कहा था कि विस्फोट से एक साल पहले से ही कलसांगरा और डांगे के पास यह मोटरसाइकिल थी। रामजी के भाई शिवनारायण कलसांगरा को भी एटीएस ने इस मामले में गिरफ्तार किया था।

    लेकिन दिसंबर 2017 में चार अन्य लोगों श्यामलाल साहू, प्रवीण तकलकी उर्फ मुतालिक, राकेश दत्तात्रेय धावड़े और जगदीश चिंतामन म्हात्रे के साथ उसे बरी कर दिया गया था। कलसांगरा बंधु किसान परिवार से थे और इलेक्ट्रीशियन का काम करते थे। डांगे एक इंजीनियरिंग स्नातक और एक प्रोफेसर के बेटे हैं।

    परिवार को है इंतजार

    इंदौर में, कलसांगरा की पत्नी लक्ष्मी कलसांगरा और तीन बेटे उनके बारे में जानने का इंतज़ार कर रहे हैं। रामजी कलसांगरा के बेटे देवव्रत ने कहा कि हम अभी भी न्याय का इंतज़ार कर रहे हैं। मेरी माँ, मेरे दोनों भाई और मेरे दादा-दादी अब भी उम्मीद करते हैं कि एक दिन हमें मेरे पिता के बारे में ठोस खबर मिलेगी।

    पिछले 17 वर्षों से हमें उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है। गुरुवार को आए एनआईए कोर्ट ने अपने फैसले में पूर्व इंस्पेक्टर महबूब मुजावर के इस दावे को भी खारिज कर दिया है कि उनकी मौत एटीएस की हिरासत में रहने के दौरान हो चुकी है।