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    'जब भी जुल्म होगा, जिहाद होगा', मौलाना मदनी के बिगड़े बोल; भाजपा ने किया पलटवार

    Updated: Sat, 29 Nov 2025 04:17 PM (IST)

    जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने देश में डर का माहौल होने की बात कही है। उन्होंने धर्म की आजादी को लेकर सुप्रीम कोर्ट पर सरकार के दब ...और पढ़ें

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    मौलाना महमूद मदनी। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने शनिवार को कहा कि मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने के लिए जिहाद शब्द का जानबूझकर गलत इस्तेमाल किया जा रहा है, उन्होंने जोर देकर कहा कि इसका असल में मतलब ज़ुल्म के खिलाफ लड़ाई है।

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    उन्होंने आरोप लगाया कि इस्लाम के दुश्मन इस शब्द को गलत तरीके से पेश करने के लिए जिम्मेदार हैं। मदनी ने कहा “इस्लाम और मुसलमानों के दुश्मनों ने ‘जिहाद’ शब्द को गाली, झगड़े और हिंसा का दूसरा नाम बना दिया है। ‘लव जिहाद’, ‘लैंड जिहाद’, ‘तालीम (एजुकेशन) जिहाद’ और ‘थूक जिहाद’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल मुसलमानों की आस्था का अपमान करने के लिए किया जाता है। दुख की बात है कि सरकार और मीडिया में जिम्मेदार लोग भी बिना शर्म के ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं।” 

    'जब-जब जुल्म होगा, जिहाद होगा'

    मौलवी ने आगे कहा, “इस्लाम में जिहाद कुरान में कई जगहों पर आता है — अपने फर्ज के लिए, समाज और इंसानियत की भलाई के लिए और जब जंग की बात आती है तो ज़ुल्म और हिंसा को खत्म करने की लड़ाई के तौर पर। इस्लिये जब-जब ज़ुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा।” 

    सुप्रीम कोर्ट पर भी उठाए सवाल

    जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि देश में इस समय डर का माहौल चल रहा है और सुप्रीम कोर्ट सरकार के दबाव में काम कर रहा है।

    उन्होंने कहा, "देश के संविधान ने हमें धर्म की आजादी का अधिकार दिया है। लेकिन धर्म बदलने के कानून के जरिए इस बुनियादी अधिकार को खत्म किया जा रहा है। इस कानून का इस्तेमाल इस तरह से किया जा रहा है कि किसी धर्म को मानने वाले को डर और सजा का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी तरफ, 'घर वापसी' के नाम पर लोगों को किसी खास धर्म में बदलने वालों को खुली छूट है। उनसे कोई पूछताछ नहीं होती और उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होती।"

    'देश के हालात चिंताजनक'

    उन्होंने आगे कहा, "देश के मौजूदा हालात बहुत संवेधनशील और चिंताजनक हैं। दुख की बात है कि एक खास समुदाय को जबरदस्ती निशाना बनाया जा रहा है, जबकि दूसरे समुदाय को कानूनी तौर पर कमजोर, सामाजिक रूप से अलग-थलग और आर्थिक रूप से बेइज्जत किया जा रहा है। बुलडोजर एक्शन, मॉब लिंचिंग, वक्फ प्रॉपर्टी पर कब्जा और धार्मिक मदरसों और सुधारों के खिलाफ नेगेटिव कैंपेन चलाए जा रहे हैं, ताकि उनके धर्म, पहचान और वजूद को कमजोर किया जा सके...इससे मुसलमान सड़कों पर चलते हुए भी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।"

    'सुप्रीम कोर्ट कर रहा सरकार के दबाव में काम'

    मदनी ने कहा, "बाबरी मस्जिद, तीन तलाक और कई दूसरे मामलों में फैसले के बाद, ऐसा लगता है कि कोर्ट कुछ सालों से सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं। हमारे पास पहले भी कई ऐसे उदाहरण हैं जिनसे कोर्ट के कैरेक्टर पर सवाल उठे हैं। सुप्रीम कोर्ट तभी सुप्रीम कहलाने के लायक है जब वह संविधान को माने और कानून को बनाए रखे। अगर वह ऐसा नहीं करता है, तो वह 'सुप्रीम' कहलाने के लायक नहीं है।"

    भाजपा का पलटवार

    मदनी पर निशाना साधते हुए भाजपा ने उन पर सांप्रदायिक सद्भाव को "खराब" करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता यासर जिलानी ने कहा, "वह पूरी तरह से राजनीतिक व्यक्ति हैं। मैंने उनका भाषण सुना। वह इस्लामी संदर्भ में ‘जिहाद’ के बारे में बता रहे थे... लेकिन उन्होंने अपनी ही बात को उलटा बोलते हुए कहा, ‘अगर हम पर जुल्म होगा, तो जिहाद होगा’। वह किसे धमकी दे रहे हैं, भारत सरकार को?”

    जिलानी ने मदनी को “धमकी” देने के खिलाफ चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “इस तरह धमकी मत दो। भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबके बारे में सोचते हैं। महमूद मदनी सद्भाव को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।”

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