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    'आज तक ऐसा राष्ट्रपति नहीं देखा...', डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति का जिक्र कर क्या बोले जयशंकर?

    Updated: Sat, 23 Aug 2025 12:57 PM (IST)

    विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम 2025 में बोलते हुए डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति और उनके सार्वजनिक तौर पर विदेश नीति संचालन की आलोचना की। उन्होंने भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर भी बात की और कहा कि भारत अपने किसानों और छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने तेल खरीदने के मुद्दे पर भी अपनी राय रखी।

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    विदेश मंत्री एस. जयशंकर डोनाल्ड ट्रंप पर की बात। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद पूरी दुनिया में उथल-पुथल मची हुई है। उनके उठाए गए कदमों का असर अमेरिका पर भी पड़ रहा है, साथ ही उनकी विदेश नीति की पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है। इसी क्रम में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी डोनाल्ड ट्रंप पर बात की।

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    इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फ़ोरम 2025 में बोलते हुए जयशंकर ने कहा, "हमारे पास अब तक ऐसा कोई अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं रहा जिसने विदेश नीति का संचालन इतने सार्वजनिक रूप से किया हो जितना वर्तमान राष्ट्रपति ने किया है। यह अपने आप में एक बदलाव है जो सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। राष्ट्रपति ट्रंप का दुनिया के साथ, यहां तक कि अपने देश के साथ भी व्यवहार करने का तरीका, पारंपरिक रूढ़िवादी तरीके से बहुत अलग है।"

    'नहीं पसंद तो मत खरीदो तेल'

    डॉ. जयशंकर ने कहा, "यह हास्यास्पद है कि जो लोग व्यापार समर्थक अमेरिकी प्रशासन के लिए काम करते हैं, वे दूसरे लोगों पर व्यापार करने का आरोप लगा रहे हैं। अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड उत्पाद खरीदने में कोई समस्या है, तो उसे न खरीदें। कोई आपको उसे खरीदने के लिए मजबूर नहीं करता। यूरोप खरीदता है, अमेरिका खरीदता है, अगर आपको पसंद नहीं है, तो न खरीदें।"

    'यूएस से ट्रेड टॉक जारी है'

    एस जयशंकर कहते हैं, "बातचीत (भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता) अभी भी जारी है। लेकिन मूल बात यह है कि हमारे सामने कुछ रेड लाइन्स हैं। बातचीत इस मायने में अभी भी जारी है कि किसी ने भी यह नहीं कहा कि बातचीत बंद है। लोग एक-दूसरे से बात करते हैं। ऐसा नहीं है कि 'कट्टी' हो गई... जहां तक हमारा सवाल है तो मुख्य रूप से हमारे किसानों और कुछ हद तक हमारे छोटे उत्पादकों के हित हैं, जो रेड लाइन्स हैं। हम, एक सरकार के रूप में, अपने किसानों और अपने छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम इस पर बहुत दृढ़ हैं। यह ऐसा कुछ नहीं है जिस पर हम समझौता कर सकें।"

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