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    जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाएगी मोदी सरकार! क्या है केंद्र की रणनीति?

    Updated: Tue, 03 Jun 2025 11:42 PM (IST)

    मोदी सरकार जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए मानसून सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है। किरण रिजिजु को सभी दलों में सहमति बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले ही जांच कमेटी गठित करने और रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों की पुष्टि के बाद नए सिरे से जांच की जरूरत नहीं होगी। रिजिजु राजनीतिक दलों के नेताओं से बातचीत करेंगे।

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    जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में केंद्र सरकार।(फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मोदी सरकार जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए संसद के आगामी मानसून सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में जुट गई है। इसके लिए संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजु को सभी दलों में सर्वसम्मति बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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    माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले ही जांच कमेटी गठित किये जाने और उसकी रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों की पुष्टि किये जाने को देखते हुए महाभियोग प्रस्ताव आने के बाद नए सिरे से सुप्रीम कोर्ट की जांच की जरूरत नहीं पड़ेगी।

    राजनीतिक दलों के नेताओं से बातचीत की कोशिश कर रहे किरण रिजिजु

    उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार किरण रिजिजु आने वाले दिनों में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से बातचीत कर सर्वसम्मति बनाने की कोशिश करेंगे। नियम के मुताबिक किसी भी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए राज्यसभा में 50 सांसदों और लोकसभा में 100 सांसदों का हस्ताक्षर होना चाहिए।

    उसके बाद संबंधित सदन की कुल सदस्य संख्या का आधे से अधिक या उपस्थित सांसदों के दो-तिहाई बहुमत के साथ महाभियोग प्रस्ताव को पारित किया जा सकता है। सरकार की कोशिश सफल रही तो जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो सकता है। वहीं जस्टिस वर्मा के खिलाफ मानसून सत्र के दौरान ही महाभियोग प्रस्ताव पारित हो सकता है।

    नियम के मुताबिक महाभियोग प्रस्ताव संसद में स्वीकृत होने के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय समिति आरोपों की जांच करगी और उसकी रिपोर्ट के बाद ही महाभियोग प्रस्ताव पर संसद में कार्रवाई आगे बढ़ेगी। लेकिन जस्टिस वर्मा के खिलाफ मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित कमेटी पहले ही जांच कर चुकी है, इसीलिए नई कमेटी के गठन की जरूरत नहीं पड़ेगी।